विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कहता है, दूषित पानी और स्वच्छता में कमी हैजा, दस्त, पेचिश, हेपेटाइटिस-ए, टाइफाइड और पोलियो जैसी बीमारियों के संचरण का कारण बन सकती है। विशेषकर बाढ़ प्रभावित हिस्सों में सुविधाओं की कमी के कारण इन समस्याओं का जोखिम काफी बढ़ जाता है। साफ पीने के पानी की अनुपलब्धता और स्वच्छता की कमी के कारण ऐसे हिस्सों में संक्रमण और बीमारियां बढ़ जाती हैं, जिसके कारण हर साल हजारों की मौत होती है।
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि अस्वच्छ पेयजल और साफ-सफाई की कमी के कारण हर साल करीब 829,000 लोगों की डायरिया से मौत हो जाती है। अगर इन जोखिम कारकों पर ध्यान दिया जाए तो हर साल 5 साल से कम उम्र के 297 000 बच्चों की जान बचाई जा सकती है। प्राकृतिक आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में हाथ धोते रहने और साफ पानी की व्यवस्था बनाकर कई तरह के संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।
मौजूदा समय में बाढ़ प्रभावित असम के कछार में यूनिसेफ के इस प्रयास से प्रभावितों को बीमारियों से बचाने में सफलता मिल सकेगी।
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