25 अप्रैल को यूपी बोर्ड (Uttar Pradesh Board Results) के 10वीं, और 12वीं के रिज़ल्ट जारी किए गए. उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UPMSP) की परीक्षा में कई होनहार छात्रों ने अपने परिवार और शहर का नाम रोशन कर दिया. इसी सूची में झांसी के रहने वाले एहसान ने हाईस्कूल की परीक्षा में 94.5 प्रतिशत अंक पाकर जनपद में दूसरा स्थान हासिल किया है. उनकी कामयाबी पर उनका परिवार काफी खुश है. हालांकि गरीब परिवार के बेटे को पढ़ाई के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा.
बाप पल्लेदार, मां ने बकरी बेचकर पढ़ाया
एहसान के पिता असगर मूलरूप से मऊरानीपुर के पचवारा गांव के रहने वाले हैं. कई वर्ष पहले काम के सिलसिले में वे झांसी में आकर बस गए. असगर सब्जी मंडी में पल्लेदारी करते हैं. बमुश्किल परिवार का खर्च चलता है. मगर, उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना किया.
एहसान एक होनहार छात्र है. बेटे के अंदर पढ़ाई की ललक देखकर माता-पिता ने उसे पढ़ाने की ठान ली. अपने खर्चों में कटौती करते हुए अपने बेटे एहसान को पढ़ने भेजते हैं. बड़ी मुश्किल से एहसान की फीस चुका पाते हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक, इस साल एहसान की किताबें खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. ऐसे में उनकी मां ने 7 हजार रुपए में अपनी बकरी बेच दी और बेटे को किताबें दिलाई. बेटे ने भी मां-बाप की कुर्बानियों को जाया नहीं होने दिया. हाईस्कूल की परीक्षा में जिले में दूसरा स्थान हासिल कर परिवार का नाम रोशन कर दिया. उनकी कामयाबी पर उनकी मां के आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़ते हैं.
घर में टीवी तक नहीं है
एहसान की मां सलमा बानो दैनिक भास्कर को दिए अपने इंटरव्यू में बताती हैं “पति को मैच देखने का शौक है. हमारे घर में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी थी. तीन वर्ष पहले वो खराब हो गई. उसकी रिपेयरिंग नहीं हो सकी तो आर्थिक तंगी की वजह से दूसरी टीवी खरीदने की हिम्मत नहीं हुई. पिछले साल लोन लेकर बेटी की शादी कर दी है. अभी तक उसकी क़िस्त भर रहे हैं.”
एहसान शहर के हाफिज सिद्दीकी स्कूल के छात्र हैं. वो जब नमाज पढ़ने गए थे तब तक रिजल्ट आ चुका था. नमाज पढ़कर लौट रहे थे तो क्लास टीचर ने फोन करके बताया कि तुमने जनपद में दूसरा स्थान हासिल किया है.
दोस्तों से लिफ्ट लेकर स्कूल जाते हैं
एहसान बताते हैं कि घर से स्कूल दूर था. इतने पैसे नहीं थे कि ऑटो से स्कूल जा सकें. दोस्त से लिफ्ट लेकर स्कूल जाते थे. स्कूल और ट्यूशन के बाद प्रतिदिन 5-6 घंटे पढ़ाई करता था.
हाफिज सिद्दीकी स्कूल के प्रिंसिपल उस्मान खान भी एहसान की कामयाबी पर काफी खुश हैं. उनका कहना है कि एहसान ने अच्छे अंक लाकर स्कूल का नाम रोशन किया है. आज हमें उसके परिवार की आर्थिक हालत के बारे में पता चला. अब इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए एहसान से कोई फीस नहीं ली जाएगी. वहीं एहसान की इस सफलता पर इलाके के लोग उसे बधाई दे रहे हैं.