UPPSC Topper : पिता चलाते हैं परचून की दुकान, परिवार में 30 लोग, UPPSC टॉपर छात्रा ने बताया कैसे मिली कामयाबी

यूपीपीएससी 2022 का फाइनल रिजल्ट आ चुका है। पहली बार महिलाओं ने लड़कों को काफी पीछे छोड़ दिया है। टॉप टेन में 8 लड़कियों ने अपना स्थान बनाया है। वहीं, योगी ने सभी छात्रों को शुभकामनाए दी हैं।

UPPSC-Topper
यूपीपीएससी 2022 का फाइनल रिजल्ट जारी, बाएं से प्रतीक्षा पांडेय, दाएं से सल्तनत
लखनऊ: यूपीपीएससी 2022 के फाइनल रिजल्ट में टॉप टेन में लड़कियों का परचम रहा है। पहली बार सबसे ज्यादा लड़कियां यूपीपीएससी में पास हुई हैं। वहीं, टॉप करने वाली छात्राओं ने इस परीक्षा का श्रेय परिवार और लगातार मेहनत को दिया है। आइए जानते हैं टॉपर छात्राओं ने क्या कहा।

ग्रामीण लड़कियों के लिए काम करूंगी- दिव्या

यूपीपीएससी में प्रथम स्थान पाने वाली आगरा की दिव्या ने कहा कि मैं महिलाओं और लड़कियों के उत्थान के लिए काम करना चाहती हूं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, क्योंकि उनके पास बढ़ने के कम अवसर रहते हैं। दिव्या ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को दिया और कहा कि मां ही उनकी प्रेरणा है। दिव्या ने इससे पहले दो बार प्रयास किया, लेकिन एक बार मेंस नहीं निकला तो दूसरी बार इंरव्यू नहीं निकला। मां सरोज देवी ने कहा कि मैं अपनी बेटी की उपलब्धि से खुश हूं। वह घंटों पढ़ाई करती थी और घर का कामकाज भी संभालती थी। वह एक अच्छी अधिकारी बनेगी।

लगातार प्रयास से मिली सफलता: प्रतीक्षा

गोतीनगर निवासी प्रतिक्षा पांडेय को सफलता पांचवें प्रयास में मिली। उन्होंने लखनऊ के राम स्वरूप मेमोरियल कॉलेज से बीटेक किया है। प्रतीक्षा ने बताया कि उनके घर पर उनके पिता, भाई, भाभी इंजिनियर हैं। प्रतीक्षा के अनुसार सिविल सेवा में सफलता के लिए विषय को समझना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बावजूद वैकल्पिक विषय के लिए समाजशास्‍त्र का चयन किया था। प्रतीक्षा का कहना है कि कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। लगातार प्रयास करने से सफलता अवश्य मिलती है। प्रतीक्षा पांडेय ने दूसरा स्थान पाया है।

संयुक्त परिवार ने अकेला नहीं होने दिया: सल्तनत

अलीगंज की रहने वाली सल्तनत परवीन संयुक्त परिवार से हैं। उन्होंने बताया कि परिवार में 30 लोग हैं। सभी साथ रहते हैं। सल्तनत को सफलता चौथी बार में मिली। वह कहती हैं कि मैं जब भी असफल होती तो संयुक्त परिवार उनका मनोबल टूटने नहीं देता। कभी अकेलापन महसूस नहीं होने नहीं दिया। हर बार हिम्मत बढ़ाने को कोई न कोई साथ होता था। उनके पिता मुंशी पुलिया पर परचून की दुकान चलाते हैं। सल्तनत नैशनल लेवल की वॉलीबॉल प्लेयर रही हैं। सल्तनत ने छठवें स्थान पर रही हैं।