साल 2018 में आई ग्लोबल हंगर इंडेक्स की लिस्ट में भारत 102वें स्थान पर था. इस क्षेत्र में भारत की स्थिति पड़ोसी देश बांग्लादेश और भूटान से भी बुरी हालत में है. भूख सबसे मूलभूत ज़रूरतों में से एक है. लिहाज़ा, इसी क्षेत्र में लोगों की भूख मिटाने के लिए उत्तर प्रदेश के हरदोई में एक रोटी बैंक है जहां शाम को घरों से रोटी जमा करके गरीब और बेसहारा लोगों को बांटी जाती है.
2017 में समाजसेवी अरुणेश पाठक रोटी बैंक की स्थापना की. पाठक ने ग्लेस ने इसके बारे में पूछा तो वह भी मदद के लिए तैयार हो गईं. आज रोटी बैंक से कई युवा जुड़ गए हैं जो हरदोई और पास के इलाकों में ज़रूरतमंद लोगों को ढूंढकर उनके पास जा-जाकर रोटी बांटते हैं. रोजाना करीब 150 पैकेट तैयार किए जाते हैं जिसमें 4 रोटियां, सब्जी, मिर्च, गुड़ आदि होता है.
रोटी बैंक त्योहारों पर खाना समेत मिठाई और सर्दियों में कंबल आदि बांटकर लोगों की मदद करता है. वर्तमान में इस बैंक से 500 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं. ये लोग बैंक के लिए फंड जमा करते हैं. इसमें लोगों से चंदा मांगा जाता है. खुद ग्लेस अकेले 50 रोटियां का खर्च अपनी ओर से देती हैं.
आम लोगों द्वारा मिलने वाली रोटियों से अगर पूर्ति नहीं होती तो रोटियां बनवाई भी जाती है. ग्लेस मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं लेकिन शादी के बाद वह हरदोई शिफ्ट हो गईं.
आज हरदोई के एक पब्लिक स्कूल में टीचर के तौर पर काम करने से पहले वह बैंगलोर मेडिकल कॉलेज में नौकरी किया करती थीं. ग्लेस की मां ने अपने अंतिम समय में लोगों की भूख मिटाने की दी थी सीख.