संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं. सोमवार को सिविल सर्विसेज़ परीक्षाओं (Civil Services Examination 2021) के फ़ाइनल रिज़ल्ट्स जारी किए गए. इस बार परीक्षा में देश की बेटियों ने बाज़ी मारते हुए टॉप 3 रैंक हासिल किया. श्रुति शर्मा (Shruti Sharma) टॉपर रहीं और अंकिता अग्रवाल (Ankita Agrawal) और गामिनी सिंगल (Gamini Singla) ने दूसरा और तीसरा रैंक हासिल किया. वहीं ऐश्वर्य वर्मा (Aishwarya Verma) ने चौथे पायदान पर रहे.
UPSC की परीक्षा देश की सबसे कठिन परिक्षाओं में से एक है. छात्र सबकुछ छोड़ कर परीक्षा की तैयारी में निरंतर लगे रहते हैं. आज हम लेकर आए हैं यूपीएससी 2021 उत्तीर्ण करने वाले कुछ छात्रों की कहानियां जिससे सभी प्रेरणा ले सकते हैं. चाहे आप यूपीएससी की परीक्षा दें या न दें पर इन कहानियों से कुछ नया करने का प्रोत्साहन ज़रूर मिलेगा.
1. श्रुति शर्मा, AIR 01
25 वर्षीय श्रुति शर्मा ने पहला रैंक हासिल किया. श्रुति को यकिन नहीं हो रहा था कि उन्होंने सिविल सर्विसेज़ परीक्षा पास ही नहीं कि बल्कि टॉप की है. दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू की छात्रा श्रुति ने सेल्फ़ स्टडी के साथ-साथ जामिया मिलिया इस्लामिया रेसिडेंशिल कोचिंग अकेडमी से पढ़ाई करके सफ़लता हासिल की. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार पिछली परीक्षा में वो सिर्फ़ 1 नंबर से चूक गई थीं. श्रुति ने दूसरे प्रयास में सिविल्स क्लियर किया है. उनका कहना है कि उन्होंने सिलेबस पर ध्यान रखा और पुराने साल के प्रश्नपत्रों से रिविज़न किया. सोशल मीडिया को उन्होंने कम से कम समय दिया क्योंकि उनका मानना है कि ये बेहद डिस्ट्रैक्टिंग होता है. बिजनौर, उत्तर प्रदेश की श्रुति अपने ही राज्य में एडमिनिस्ट्रेटिव लेवल पर सेवाएं देना चाहती हैं.
2. ऐश्वर्य वर्मा, AIR 04
ऐश्वर्य वर्मा ने चौथा रैंक हासिल किया है. The Times of India के लेख के अनुसार, उज्जैन, मध्य प्रदेश के ऐश्वर्य इस साल लड़कों में टॉपर हैं. उन्होंने गोविंद वल्लभ पंत विश्वविद्यालय, उत्तराखंड से बीटेक किया है. 2017 से वे यूपीएससी की तैयारी दिल्ली में रहकर कर रहे थे लेकिन कोविड की वजह से उन्हें दिल्ली छोड़कर उज्जैन वापस जाना पड़ा. ऐश्वर्य का कहना है कि 16-16 घंटे पढ़ना ज़रूरी नहीं है. यूपीएससी सिलेबस बड़ा होता है और इस वजह से मिड टर्म और लॉन्ग टर्म प्लान्स बनाकर तैयारी करनी चाहिए. पढ़ाई के दौरान प्रेशर कम करने के लिए वे क्रिकेट और शतरंज खेलते थे. India Today से बात-चीत में ऐश्वर्य ने बताया कि लोग उन्हें अकसर उनके नाम की वजह से चिढ़ाते थे और तब उन्होंने सोचा कि एक दिन वो टीवी पर आएंगे और सबको बताएं कि उनका नाम ऐश्वर्य है, ऐश्वर्या नहीं.
3. प्रीतम जाखड़, AIR 09
प्रीतम कुमार ने सिविल सर्विसेज़ एग्ज़ाम ने नौवां रैंक हासिल किया. उनके पिता ने कारगिल युद्ध में अपना पैर गंवा दिया था. दैनिक भास्कर के लेख के अनुसार, तभी से प्रीतम ने देश सेवा करने की ठान ली थी. आईआईटी रोपड़ से इंजीनियरिंग करने वाले प्रीतम को माता-पिता से हिम्मत मिलती रही. सीकर, राजस्थान के प्रीतम ने 15-16 घंटे प्रतिदिन पढ़ाई करके सफ़लता हासिल की. तीसरी कोशिश में उनका चयन हुआ. पिछले दो बार वे इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन सेलेक्ट नहीं हुए. यूपीएससी परीक्षा के लिए धैर्य बहुत ज़रूरी है और एक बार को प्रीतम का भी धैर्य छूटने लगा था. उन्होंने प्राइवेट नौकरी करने का मन बना लिया था लेकिन उनके पिता ने उन्हें हिम्मत दी.
4. दिव्यांश शुक्ला, AIR 153
बिहार के गोपालगंज के दिव्यांश ने भारतवर्ष में 153वां रैंक हासिल किया. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने, आईआईटी बीएचयू से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया. ETV Bharat कैंपस सेलेक्शन में उनकी नौकरी CCL में हो गई. रामगढ़ में वे बतौर प्रोजेक्ट इंजीनियर पोस्टेड थे. दिव्यांश ने दिन में नौकरी की और रात में तैयारी. कोविड के दौरान कोचिंग बंद थे तो दिव्यांश ने ऑनलाइन क्लासेज़ से मदद ली. दिव्यांश ने ये साबित किया कि लगन हो तो नौकरी के साथ भी यूपीएससी क्लियर किया जा सकता है.
5. आदित्य वर्मा, AIR 200
मिर्ज़ापूर, उत्तर प्रदेश के आदित्य वर्मा ने पहले की प्रयास में यूपीएससी लक्ष्य को भेद दिया. आदित्य की सफ़लता की दो खास बातें हैं, पहली ये कि उन्होंने सिर्फ़ 22 साल 6 महीने की उम्र में परीक्षा पास की और दूसरी की उसके पिता खुद आईपीएस अफ़सर हैं. पिता से प्रेरित होकर आदित्य ने, बीटेक करने के बाद एमटेक के बजाए यूपीएससी की तैयारी शुरू की.
6. दिव्या पांडेय, AIR 323
ज़िला रामगढ़, झारखंड की दिव्या पांडेय ने पूरे ज़िले का नाम रौशन कर दिया है. दिव्या ने 323वां रैंक हासिल किया है. दिव्या ने पहले ही प्रयास में देश की सबसे कठिन परीक्षा पास कर ली. दिव्या का कहना है कि सफ़लता का शॉर्टकट नहीं होता, कड़ी मेहनत और धैर्य ज़रूरी है. न्यूज़18 हिंदी के लेख के अनुसार, दिव्या ने बिना किसी कोचिंग के परीक्षा क्लियर कर ली. घर के काम-काज करने के साथ ही उन्होंने परीक्षा की तैयारी की और पूरे परिवार का मान बढ़ा दिया.
दिव्या देश और समाज की सेवा करना चाहती हैं और सकारात्मक बदलाव लाना चाहती हैं.
7. आलोक रंजन, AIR 346
ज़िला नवादा, बिहार के आलोक रंजन ने ऑल इंडिया 346वां रैंक हासिल किया है. आलोक रंजन उन छात्रों में से हैं जिन्होंने इस परीक्षा को पास करने के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया. पंजाब केसरी के एक लेख के अनुसार, उनके पिता नरेश यादव शिक्षक हैं और मां सुशीला देवी शिक्षिका. आलोक को ये सफ़लता सातवें प्रयास में मिली है. ये सफ़लता न सिर्फ़ उनकी बल्कि उनके पूरे परिवार की सफ़लता है. आलोक के माता-पिता किराये के घर में रहते हैं. आलोक के पिता ने गांव में पुरखों की ज़मीन बेच दी ताकि आलोक की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए. आलोक 15 सालों से घर नहीं गए और आज उन्होंने अपने माता-पिता ही नहीं पूरे गांव को गर्व करने की वजह दे दी.
8. विशाल कुमार, AIR 484
असुविधाओं, दुखों के बीच तैयारी करके सफ़लता पा ली है ज़िला मुजफ़्फ़रपुर, बिहार के विशाल कुमार ने. यूपीएससी में 484वां रैंक हासिल किया है. माता-पिता का साथ किसी भी विद्यार्थी के लिए बहुत ज़रूरी होता है लेकिन विशाल की मां ही उनके लिए माता बनी और पिता भी. विशाल के पिता मज़दूरी करते थे लेकिन 2008 में उनकी मौत हो गई. बच्चों को पालने के लिए विशाल की मां रीना देवी ने बहुत संघर्ष किया. बकरी और भैंस पालकर रीना देवी ने विशाल को पढ़ाया और आज विशाल ने मां का मान बढ़ा दिया. आईआईटी कानपुर से बीटेक करने वाले विशाल ने एलन इंस्टीट्यूट में बतौर शिक्षक भी नौकर की. पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी पास की है.