UPSC Success Story: पहले चलाते थे साइकिल रिपेयर की दुकान, अब हैं आईएएस अधिकारी…

Success Story: स्कॉलरशिप मिलने के बाद उनके हालात थोड़े ठीक हुए लेकिन फीस भरने और किताबों के लिए उनके दोस्तों और शिक्षकों ने मदद की।

varun ias final

अगर आपके भीतर भी कुछ कर गुजरने और दुनिया में नाम बनाने की जिद है तो कोई भी ताकत रोक नहीं सकती है। चाहे आपके आर्थिक स्थिति कैसी भी हो यह मायने नहीं रखता मायने रखता है तो केवल आपकी मेहनत और दृढ़संकल्प। हम हर दिन ऐसी हजारों सफलता की कहानियां (UPSC Success Story) देखते, सुनते और पढ़ते हैं जो हर मुश्किल को पीछे छोड़ अपने सपने पूरे करते हैं। उन्हीं कहानियों में से एक है 2013 बैच के आईएएस ऑफिसर वरुण कुमार बरनवाल (IAS Varun Kumar Baranwal) की कहानी जिसने आर्थिक स्थिति को हराकर अपना मुकाम हासिल किया।

कौन हैं वरूण कुमार बरनवाल?

वरूण 2013 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं और फिलहाल गुजरात में तैनात हैं। लेकिन हमेशा उनका समय एक समान नहीं था। वे बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थे और हमेशा टॉप करते थे। उनके पिता की साइकिल रिपेयर की दुकान थी जिससे पूरा घर चलता था। लेकिन जब वरुण ने 10वीं की परीक्षा खत्म की तो कुदरत ने चार दिन बाद ही उनसे उनके पिता का साथ छीन लिया। अब अपने साथ-साथ परिवार को चलाने की जिम्मेदारी भी वरुण के ऊपर आ गई।

वरुण ने 10वीं में टॉप किया लेकिन पिता की मौत ने उन्हें भीतर से झकझोर कर रख दिया। उन्होंने सब कुछ छोड़कर दुकान संभालने का फैसला लिया। लेकिन घरवाले उनके भीतर के मेधा को पहचानते थे इसलिए उन्होंने वरुण को अपनी पढ़ाई जारी रखने को कहा। उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई भी की और इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया। एडमिशन के लिए उनके पास 10 हजार रुपये भी नहीं थे। उस वक्त उनके पिता का इलाज करने वाले डॉक्टर ने फीस देकर एडमिशन करा दिया है।

इंजीनियरिंग और सिविल सेवा परीक्षा!

उसके बाद तो वे सभी परीक्षाओं में सफलता के नए कीर्तिमान बनाते गए। साइकिल रिपेयर की दुकान के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। दुकान से जो भी पैसे मिलते उससे ही वे अपना घर चलाते। उन्हें अक्सर आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा था लेकिन वे भी वरुण का हौसला नहीं तोड़ पाए और वे अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते रहे।

इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई शुरू की और टॉप करने पर स्कॉलरशिप मिला। स्कॉलरशिप के बाद उनके हालात थोड़े ठीक हुए लेकिन फीस भरने और किताबों के लिए उनके दोस्तों और शिक्षकों ने मदद की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने जॉब करना शुरू किया। जॉब करते समय ही वरूण ने अपना रुख सिविल सेवा की तरफ मोड़ लिया। उन्होंने इसके लिए कोचिंग लेना शुरू किया और सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी। वरुण की मेहनत और लगन ने उन्हें पहले ही प्रयास में अफसर बना दिया। साल 2013 में उनका चयन यूपीएससी परीक्षा में हो गया और वे गुजरात कैडर के आईएएस ऑफिसर बन गए।