अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैंसी पेलोसी (US Congress Speaker Nancy Pelosi) अगस्त महीने की शुरुआत में ताइवान (Taiwan) के दौरे पर गई थीं। उनके इस दौरे का ऐलान होने से पहले ही चीन (China) काफी नाराज था। उसने धमकी दी थी कि अगर पेलोसी का एयरक्राफ्ट ताइवान की सीमा में दाखिल भी हुआ तो उसे गिरा दिया जाएगा। लेकिन ऐसा हो नहीं सका और अब इसकी वजह सामने आई है।
वॉशिंगटन: अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने इस महीने ताइवान की यात्रा पूरी की। करीब तीन दशक के बाद अमेरिका का कोई टॉप लीडर जब ताइवान पहुंचा तो चीन का पारा सांतवें आसमान पर पहुंच गया। चीन की तरफ से पहले भी धमकी दी गई थी कि अगर पेलोसी का एयरक्राफ्ट ताइवान पहुंचा तो उसे गिरा दिया जाएगा। इस धमकी के बाद पेलोसी की सुरक्षा बढ़ाई गई और उन्हें यूएस एयरफोर्स के साये में ताइवान भेजा गया। पेलोसी की ताइवान यात्रा के साथ ही अमेरिका और चीन में अब वो युद्ध शुरू हो गया है जिसे आपने अभी तक किसी वॉर फिल्म या फिर डॉक्यूमेंट्री में ही देखा।
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में फिसड्डी चीन
पेलोसी के ताइवान दौरे से पहले अमेरिकी सेनाओं ने एक रेकी और फिर उस इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) को उलझाया था। मिलिट्री सूत्रों के हवाले से चीन के सरकारी न्यूज चैनल सीसीटीवी ने बताया है कि पेलोसी के ताइवान दौरे से पहले और बाद में इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में पीएलए को अमेरिकी सेनाओं के हाथों बुरी तरह से शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने मिलिट्री सूत्रों के हवाले से लिखा है कि किस तरह से चीन की नौसेना और वायुसेना ने कई जगहों की ट्रैकिंग कर रखी थी और सर्विलांस को भी पूरा किया था। इसका मकसद यूएस एयरफोर्स के उस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को रोकना था जिसमें सवार होकर पेलोसी, मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर से ताइवान की राजधानी ताइपे के लिए रवाना हुई थीं। 2 अगस्त को को पेलोसी ताइपे पहुंची थीं।
पीएलए के मेजर जनरल मेंग शियांगकिंग ने खुद ये कुबूला है कि पीएलए, अमेरिका को डराना चाहता था। पीएलए ने कई जेट्स और टाइप 055 डेस्ट्रॉयर्स का प्रयोग कर अमेरिकी सेना को ट्रैक किया था। लेकिन सबकुछ और सारे प्रयास असफल साबित हुए।पीएलए इस वॉरफेयर में फिसड्डी साबित हुई और पेलोसी ने सफलतापूर्वक अपना दौरा पूरा करके चीन के मुंह पर तमाचा जड़ दिया।
सारे उपकरण हुए ब्लॉक
सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि पीएलए ने कुछ इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर एयरक्राफ्ट जैसे कि J-16D और वॉरशिप्स का प्रयोग पेलोसी के एयरक्राफ्ट को ट्रैक करने के लिए किया था। ये सभी उपकरण असफल साबित हुए। सूत्रों ने कहा कि पीएलए के सभी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर उपकरण ठीक से काम ही नहीं कर सके थे। ये सभी पूरी तरह ये जाम हो गए थे।
अमेरिकी सेना के एयरक्राफ्ट स्ट्राइक ग्रुप को पेंटागन की तरफ से पेलोसी की सुरक्षा के लिए भेजा गया था और इन्होंने ही इन उपकरणों को फेल कर दिया था। फ्लाइट के दौरान पेलोसी के एयरक्राफ्ट ने असाधारण रास्ता अपनाया। वो पहले दक्षिण-पूर्व दिशा में इंडोनेशिया के बोरनेयो द्वीप कर तरफ मुड़ गया था। इसके बाद वो उत्तर की तरफ फिलीपींस की तरफ से होते हुए ताइपे पहुंचा।
रडार भी हो गया फेल
ही युआन मिंग जो कि वायुसेनाओं के विशेषज्ञ हैं उन्होंने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्टको बताया है कि ये बात हैरान नहीं करनी चाहिए कि चीनी नौसेना के जहाज तक इस फ्लाइट का पता नहीं लगा पाए थे। उन्होंने बताया कि यहां तक के टाइप 055 भी इसमें फेल हो गया। ये डेस्ट्रॉयर एक एडवांस्ड डेस्ट्रॉयर है जिस पर 500 किलोमीटर तक दुश्मन को ट्रैक करने वाले रडार लगे हैं। लेकिन इसकी प्रभावी रेंज असल में बहुत कम है। उन्होंने कहा कि ये डेस्ट्रॉयर नया है जिसकी क्षमता और क्रू भी एकदम नए हैं। ऐसे में इस बात पर हैरानी नहीं होनी चाहिए कि क्यों चीन की नौसेना पेलोसी का प्लेन कहां है इसका पता नहीं लगा पाई