US News: न्‍यूयॉर्क कोर्ट ने भारतीय-अमेरिकी शख्‍स को बताया ‘इंटरनेशनल पैरेंटल किडनैपिंग का दोषी, जानिए क्‍या है सारा मामला

18 साल से कम उम्र के बच्‍चे को जबरन अपने साथ ले जाने और फिर उसे मां से न मिलने देना, अमेरिका (US ) में एक अपराध है और इसे इंटरनेशनल पैरेनटल किडनैपिंग ( international parental kidnapping) के तहत माना जाता है। भारत में इस तरह के अपराध की कोई सजा नहीं है लेकिन अमेरिका इस मामले को लेकर बहुत सख्‍त है। अमेरिका ने एक कानून बनाकर इस अपराध के लिए सख्‍त सजा का प्रावधान किया है।

 
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न्यूयॉर्क: एक अमेरिकी अदालत ने भारतीय-अमेरिकी नागरिक को

अमेरिका में जन्मे अपने बच्चे को भारत ले जाने और फिर अमेरिका में उसकी मां के पास उसे वापस ना लाने के मामले में ‘इंटरनेशनल पैरेंटल किडनैपिंग’ का दोषी ठहराया है। वडोदरा के अमित कुमार कनुभाई पटेल को पिछले सप्ताह न्यूजर्सी में कैमडेन संघीय अदालत में अमेरिकी जिला न्यायाधीश रेनी मैरी बंब ने पांच दिन तक चली सुनवाई के बाद ‘इंटरनेशनल पैरंटल किडनैपिंग’ का दोषी ठहराया गया था। पटेल पहले न्यू जर्सी के एडिसन में रहते थे। ‘इंटरनेशनल पैरंटल किडनैपिंग’ का दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल की सजा और अधिकतम 2,50,000 डॉलर का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।

नवंबर में होगा सजा का ऐलान
पटेल को मामले में इस साल नवंबर में सजा सुनाई जाएगी। अमेरिकी अटार्नी फिलिप आर. सेलिंगर ने सोमवार को बताया कि पटेल को बच्चे का अपहरण करने, बच्चे की मां के अधिकारों को बाधित करने और अमेरिका में बच्चे को वापस लाने में विफल रहने का दोषी ठहराया गया है। इस मामले में दायर दस्तावेजों और मुकदमे के साक्ष्य के अनुसार, बच्चे की मां और पटेल के बीच संबंध थे और दोनों अगस्त 2015 से जुलाई 2017 तक न्यूजर्सी में साथ रहते थे। दोनों ने कभी शादी नहीं की। नवंबर 2016 में उनका एक बच्चा हुआ।
बच्चे की मां के अनुसार, पटेल बच्चे को भारत ले जाकर अपने परिवार से मिलवाना चाहते थे और डीएनए जांच करवाना चाहते थे। पटेल का कहना था कि उनकी पारिवारिक संपत्ति हासिल करने के लिए यह जरूरी है। बच्चे की मां से पटेल ने बच्चे का भारत का वीजा लेने के लिए भी कहा। पटेल ने बच्चे की मां से कहा था कि वह अदालत के समक्ष कहे कि उनके बीच बच्चे के संरक्षण को लेकर आपसी सहमति बन चुकी है। पटेल ने कहा था कि वह अदालत में कहे कि उसके पास काम करने की अनुमति नहीं है इसलिए वह बेरोजगार है और बच्चे का ध्यान नहीं रख सकती।

मां से कहा था झूठ
मई 2017 में, पटेल बच्चे की मां को न्यूजर्सी सुपीरियर कोर्ट ले गया, ताकि बच्चे के संरक्षण संबंधी सभी अधिकार केवल उसे मिल सकें। बच्चे की मां के अनुसार, मामले की अधिकतर सुनवाई अंग्रेजी भाषा में की गई। वह भी बिना अनुवादक के..महिला का दावा है कि वह इस दौरान बेहद कम अंग्रेजी बोली। मां ने पटेल के निर्देशानुसार ही सभी सवालों के जवाब दिए।

सुनवाई के दौरान उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई वकील भी नहीं था। न्यूजर्सी सुपीरियर कोर्ट ने बच्चे की मां की सहमति के आधार पर केवल पटेल को बच्चे के संरक्षण संबंधी सभी अधिकार (सोल कस्टडी) दे दिए थे, लेकिन साथ ही मां के लिए भविष्य में संयुक्त संरक्षण हासिल करने के वास्ते अनुरोध करने का विकल्प खुला रखा था।

अदालत के आदेश के बाद पटेल ने अपने और बच्चे के लिए भारत का वीजा लिया और मां को यह कहकर भारत चला गया कि वह दो सप्ताह या एक महीने में लौट आएगा। पटेल जुलाई 2017 में बच्चे को भारत ले गया और कुछ दिन बाद मां को फोन करके कहा कि वह बच्चे को अब कभी अमेरिका वापस नहीं लाएगा। इसके बाद बच्चे की मां ने कानूनी सलाह ली और दोबारा न्यूजर्सी सुपीरियर कोर्ट का रुख किया।

लंदन की कोर्ट का फैसला
न्यूजर्सी सुपीरियर कोर्ट ने अक्टूबर 2018 में पटेल को तत्काल बच्चे को अमेरिका लाने का निर्देश दिया। मां के वकील ने पारिवारिक अदालत का आदेश पटेल को ई-मेल किया, लेकिन वह बच्चा लेकर अमेरिका नहीं आया। अक्टूबर 2020 में पटेल और बच्चा भारत से ब्रिटेन रवाना हुए। वहां पहुंचते ही अमेरिका के गिरफ्तारी अनुरोध के आधार पर पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया।

‘हेग कन्वेंशन’ के तहत लंदन की एक अदालत ने सुनवाई के बाद आदेश दिया कि यह बच्चे के सर्वोत्तम हित में है कि उसे भारत में उसके दादा-दादी के पास भेज दिया जाए। पटेल को सितंबर 2021 में अमेरिका प्रत्यर्पित कर दिया गया, ताकि उनके खिलाफ सुनवाई पूरी की जा सके।