US Taliban News: अमेरिका की कुख्‍यात ग्वांतानामो जेल से रिहा हुआ आखिरी अफगान कैदी, तालिबान ने भी छोड़ा अमेरिकी नागरिक

हाजी बशर नूरजई के रिहाई के बदले तालिबान ने अमेरिकी कॉन्ट्रैक्टर मार्क फ्रेरिच को वापस लौटाया है। मार्क फ्रेरिच भी पिछले कई साल से तालिबान के कब्जे में थे। हालांकि, तालिबान ने इससे पहले हमेशा मार्क फ्रेरिच को अपनी कैद मे होने से इनकार किया था। अमेरिका का दावा है कि अब भी कई अमेरिकी नागरिक तालिबान के कब्जे में हैं।

Last Afghan datinee relaesd from Guantanamo prison
ग्वांतानामो जेल से रिहा हुआ आखिरी अफगान कैदी

 

काबुल: अमेरिका के ग्वांतानामो जेल में कैद आखिरी अफगान कैदी को रिहा कर दिया गया है। यह रिहाई एक अमेरिकी नागरिक के बदले की गई है। तालिबान और अमेरिका में यह कैदी एक्सचेंज एक दिन पहले हुआ है। तालिबान ने पुष्टि करते हुए बताया है कि अमेरिका के ग्वांतानामो जेल में अंतिम अफगान बंदी हाजी बशर नूरजई को रिहा कर दिया गया है। हाजी बशर ग्वांतानामो जेल में पिछले 20 साल से कैद था। उसे आज सुबह काबुल हवाई अड्डे पर अफगानिस्तान के सामान्य निदेशालय खुफिया के इस्लामिक अमीरात को सौंप दिया गया है। तालिबान ने दावा किया है कि यह रिहाई उसकी अंतरिम सरकार के प्रयासों से हुई है।

तालिबान ने भी अमेरिकी नागरिक को रिहा किया
हाजी बशर नूरजई के रिहाई के बदले तालिबान ने अमेरिकी कॉन्ट्रैक्टर मार्क फ्रेरिच को वापस लौटाया है। मार्क फ्रेरिच भी पिछले कई साल से तालिबान के कब्जे में थे। हालांकि, तालिबान ने इससे पहले हमेशा मार्क फ्रेरिच को अपनी कैद मे होने से इनकार किया था। अमेरिका का दावा है कि अब भी कई अमेरिकी नागरिक तालिबान के कब्जे में हैं, जिन्हें तालिबान ने मोल भाव करने के लिए रखा हुआ है। हाजी बशर को अमेरिका में मादक पदार्थों की तस्करी और तालिबान से संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

तालिबान के शासन में अफगानिस्तान का बुरा हाल
अगस्त 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान ने कब्जा जमा लिया था। हालांकि, अमेरिका ने जाते-जाते तत्कालीन अफगान सरकार के सभी बैंक खातों पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे सत्ता में काबिज होने के बाद तालिबान के हाथ में एक रुपया भी नहीं गया। अब एक साल बाद पूरे अफगानिस्तान के हालात बेहद खराब हो चुके हैं। तालिबान सरकार पूरी तरह से विदेशों से मिलने वाली खैरात पर निर्भर है। अगर विदेशों से भी आर्थिक और दूसरे तरह की सहायता बंद हो जाती है तो तालिबान और और बुरे दिन देखने पड़ेंगे।

दुनिया की मांगों को पूरा नहीं कर रहा तालिबान
अफगानिस्तान पर कब्जे के पहले तालिबान दावा करता था कि वह बदल गया है। हालांकि, सत्ता पर काबिज होते ही तालिबान का व्यवहार बदल गया और उसने सार्वभौमिक सरकार बनाने की जगह सिर्फ अपने ही लोगों को जगह दी। इतना ही नहीं, तालिबान ने महिलाओं के काम करने पर भी रोक लगा दी। उनके स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया और बिना बुर्का के बाहर निकलने पर भी पांबदी लगा दी गई।