“कृत्रिम जासूसी” तकनीक के उपयोग से GST संग्रह में आएंगे क्रांतिकारी बदलाव, जानिए कैसे

 हिमाचल राज्य कर एवं आबकारी विभाग राजस्व संग्रह बढ़ाने और क्षमता को सशक्त करने के लिए ऑडिट प्रवर्तन की आधुनिक तकनीकों के साथ-साथ कृत्रिम जासूसी ( Artifical Intelligence) का उपयोग करने के लिए एक वृहद एवं महत्वाकांक्षी योजना कार्यान्वित करने जा रहा है। इसके दृष्टिगत राज्य मंत्रिमण्डल से अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया है। इस महत्वाकांक्षी पहल को कार्यान्वित करने का मुख्य ध्येय वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े राजस्व नुकसान को कम करना है।

विभाग अत्याधुनिक उपकरणों और तकनीकों के नियोजन और विशेषज्ञों (Experts)  की तैनाती से कर चोरी के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रहा है। ताकि प्रदेश के राजस्व को मज़बूत किया जा सके। इस परियोजना के कार्यान्वयन से जीएसटी बकाएदारों का वास्तविक डेटा (Data) उपलब्ध होगा और निरीक्षण तथा त्वरित (Accelerate)  निर्णय लेने की प्रक्रिया सुनिश्चित होगी।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhu) ने प्रशासन में दक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकारी विभागों के कामकाज में आधुनिक तकनीकों को शामिल करने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता पर सदैव बल दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य कर एवं आबकारी विभाग (Excise Department)  द्वारा लेखा परीक्षा प्रवर्तन की आधुनिक तकनीक को अपनाने से सटीक डेटा तैयार करने, कर धोखाधड़ी का पता लगाने और उसकी रोकथाम में मदद मिलेगी।    

 उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस परियोजना के कार्यान्वित होने से प्रदेश के वार्षिक राजस्व में 250 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी होगी। सीमित श्रम शक्ति के दृष्टिगत, कर हानि की पहचान करने के लिए करदाताओं के आंकड़ों का तुरंत विश्लेषण करने की एक महत्वपूर्ण चुनौती विभाग के समक्ष आयी है। एआई प्रौद्योगिकी उपयोग से इस चुनौती से निपटने की योजना तैयार की गई है। इससे कर चोरी के मामलों की त्वरित पहचान करने तथा राज्य के जीएसटी राजस्व (GST Revenue)  को बढ़ाने के लिए सटीक जानकारी भी उपलब्ध होगी।

इसके अलावा, इस परियोजना के माध्यम से समय-समय पर राजस्व संग्रह पैटर्न का विश्लेषण करने तथा प्रोत्साहन नीतियों पर निर्णय लेने में राज्य सरकार को मदद प्राप्त होगी। साथ ही, स्वैच्छिक कर अनुपालन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना विभागीय अधिकारियों की क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ राजस्व में वृद्धि के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान करने में सक्षम बनाएगी। उन्होंने कहा कि एआई प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन से विभाग को मौजूदा चुनौतियों से और अधिक कुशलता से निपटने में मदद मिलेगी।

एआई को अपनाने और उन्नत डेटा विश्लेषण तकनीकों को शामिल करके, राज्य कर एवं आबकारी विभाग राजस्व संग्रह बढ़ाने, कर चोरी से निपटने और निर्णय लेने की प्रक्रिया को कारगर बनाने में और अधिक सक्षम होगा। आधुनिक तकनीकों को नियोजित कर राज्य सरकार के इस तरह के प्रयास सरकारी कार्यों में दक्षता और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।