ईंट भट्टी में करता था बाल मज़दूरी, NGO ने बचाया और आज पूर कर लिया मास्टर्स डिग्री लेने का सपना

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7 साल की मासूम सी उम्र में जब बच्चे गेंद उठाते थे, उसने ईंटें ढोई. पेट की आग शांत करने के लिए उसे अपने सपने देखने का हक गंवाना पड़ा. डी. शिव कुमार बचपन भूलकर तमिलनाडु कर्नाटक बॉर्डर (Tamil Nadu Karnataka Border) पर स्थित अपने गांव में एक ईंट भट्टी में काम करता था. आज तकरीबन 22 साल के बाद वो मद्रास क्रिश्चयन कॉलेज से, पीला लिबास पहनकर मास्टर्स डिग्री लेकर बाहर निकले.

स्कूल जाने का सपना नहीं देखा, आज मास्टर्स डिग्री पा ली

rescued irular community man worked as child labour Masters degree in MSWIB Times/Representative Image

बाल मज़दूरी अपने देश का एक बहुत बड़ा कलंक है. कड़े कानून बनाए जाने के बावजूद आज भी देश में बच्चों से जबरन श्रम करवाया जाता है. The New Indian Express ने एक ऐसे ही बाल मज़ूदर की कहानी साझा की है. ईंट भट्टी में काम करने वाला शिव कुमार स्कूल तक जाने के सपने नहीं देखता था. आज उसने 63% के साथ Master of Social Work की डिग्री हासिल की.

ईंट भट्टी में होती थी मार-पीट

शिव कुमार इरुलर समुदाय से हैं. तमिलनाडु के ज़िला धर्मापुरी के कारागूर (Karagoor) का रहने वाला शिव कुमार के परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी. उसके चाचा ने उसे ईंट भट्टी में काम पर जबरन लगवाया. जैसा की अमूमन बाल मज़दूरों के साथ होता है, शिव कुमार को भी ईंट भट्टी के वयस्क मारते-पीटते थे. शिव कुमार ने बताया कि उसका जीवन नर्क हो गया था.

NGO ने दिया नया जीवन

rescued irular community man worked as child labour Masters degree in MSWTNIE

शिव कुमार ने बताया, ‘मेरी ज़िन्दगी नर्क हो चुकी थी. 2003 में जब मैं 10 साल का था तब एक NGO ने मुझे बचाया और घर पहुंचाया.’ शिव कुमार की आगे की ज़िन्दगी में भी मुश्किलें आती रही. पैसों के लिए उसे छोटे-मोटे काम करने पड़े. कुछ वॉलंटियर्स की मदद से उसने नेशनल चाइल्स लेबर प्रोजेक्ट स्कूल जॉइन किया.

19 साल की उम्र में कॉरेस्पॉन्डेंस की मदद से शिव कुमार ने 10वीं पास की.

कॉलेज जाने का दृढ़ निश्चय

तमाम मुसीबतें झेलते हुए उसने खुद से वादा किया कि वो कॉलेज की पढ़ाई ज़रूर पूरी करेगा. शिव कुमार ने कहा, ‘मुझे समझ आ गया था कि शिक्षा की बदौलत ही मैं अपने समुदाय में बदलाव ला सकता हूं. मैंने सोशल वर्क में मास्टर्स इसलिए किया ताकि मुझे जानकारी मिले और मैं लोगों की मदद कर सकूं. गरीबी के कारण इरुलर समुदाय के बच्चों को मज़दूरी करनी पड़ती है. लड़कियों का बाल विवाह कर दिया जाता है. मैं ये सब खत्म करना चाहता हूं.’

शिव कुमार ने मद्रास क्रिश्चय कॉलेज से Masters of Social Work की डिग्री हासिल की. शिव कुमार के मेहनत, परिश्रम और धैर्य की कहानी हम सभी के लिए प्रेरणा है.