उत्तराखंड के मसूरी में एक गुब्बारा बेचने वाले युवक का हादसे में पैर काटना पड़ा। इस हादसे के बाद युवक जिंदगी को लेकर काफी निराश हो गया। लेकिन उसको वाइनबर्ग ऐलन स्कूल के बच्चों ने नई खुशी दी। बच्चों ने अपनी पॉकेटमनी से 1.54 लाख रुपये जमाकर युवक को दोबारा पैरों पर खड़ा कर दिया।
मसूरी: उत्तराखंड का एक युवक गुब्बारा बेचकर अपने परिवार को बड़ी मुश्किल से पाल रहा था। जैसे-तैसे वह अपनी जिंदगी में कुछ बेहतर करने की रोज नई कोशिश में लगा था। इसी बीच एक दिन गुब्बारे में हाइड्रोजन सिलेंडर भरने वाला उसका सिलेंडर फट गया। गंभीर हालत में उसे अस्पताल पहुंचाया गया। लेकिन जब युवक की आंख खुली तो उसने पाया कि अब उसकी जिंदगी बदल चुकी है। डॉक्टरों को युवक की जान बचाने के लिए उसका पैर काटना पड़ा। इससे युवक का जिंदगी के प्रति रवैया कुछ निराशाजनक हो गया। ऐसे में एक स्कूल के बच्चे युवक के लिए फरिश्ता बनकर सामने आए। इसके बाद युवक ने फिर से अपनी जिंदगी को नई सिरे से शुरू करने का फैसला किया। ये कहानी है कि मसूरी के अरविंद की।
मसूरी में वाइनबर्ग ऐलन स्कूल के छात्रों ने एक 21 वर्षीय विकलांग युवक अरविंद को मैकेनिकल पैर लगाकर उसे जीने की नई उम्मीद दी है। इसकी पूरे मसूरी में प्रशंसा की जा रही है। जनवरी महीने में गुब्बारा बेचने वाले 21 वर्षीय अरविंद का हाइड्रोजन सिलेंडर फट जाने से दाहिना पैर क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे उसका पैर काटना पड़ा और अरविंद विकलांग हो गया था। मसूरी वायनबर्ग ऐलन स्कूल के प्रधानाचार्य एल. टिंडेल ने बताया कि 21 वर्षीय युवक अरविंद का एक्सीडेंट में एक पैर कट गया था। अरविंद को नई जिंदगी देने और मैकेनिकल पैर लगाने के लिए स्कूल के छात्र-छात्राओं ने अपनी पॉकेट मनी से पैसे इकट्ठा किए। छात्र-छात्राओं ने 1.54 लाख रुपये इकट्ठा कर अरविंद को मैकेनिकल पैर लगवाया। पैर लगने के बाद विकंलाग अरविंद फिर से चल फिर सकता है।
छात्रों के साथ उनके परिवार ने भी की अरविंद की मदद
छात्र श्रेय कनोडिया ने कहा कि पीड़ित अरविंद के साथ हुई घटना किसी के साथ न हो। जब स्कूल के छात्रों को अरविंद के बारे में पता लगा तो उससे मुलाकात कर उसमें आत्मा विश्वास बढ़ाया गया। इसके बाद अरविंद का मैकेनिकल पैर लगाने के लिए पॉकेट मनी से पैसे एकत्रित किए गए। वहीं इस काम में छात्र के परिजनों ने भी मदद की। अब अरविंद की खुशी देखकर सभी छात्र काफी खुश है।
बच्चों ने दी अरविंद की जीने की नई वजह
पीड़ित अरविंद कुमार ने बताया कि वायनवर्ग ऐलन स्कूल के प्रधानाचार्य एल टिंडेल और छात्रों की मदद से वह अपने पैरों पर खड़े हो गए हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल के बच्चों की मदद से वह बेहद खुश हैं। बच्चों ने मैकेनिकल पैर लगवाकर उन्हें जीने की नई वजह भी दी है।
गांव की महिलाओं और सरकारी स्कूल को भी पहुंचाई मदद
छात्रा अंषिका ने बताया कि स्कूल की इको सोसाइटी और शिक्षक ममता पुंडीर की देखरेख में कई सामाजिक कार्य किए जा रहे हैं। इसके तहत छात्रों द्वारा कैम्पटी के नौथा गांव में महिलाओं को स्वस्थ रहने के साथ सेनेटरी पैड और उसके बारे में भी जानकारी दी गई है। वहीं हाल में स्कूल के छात्रों ने कैम्पटी नौथा गांव के सरकारी स्कूल के छात्र-छात्राओं को जूते और उनके बैठने के लिए वेंच और टेबल का भी इंतजाम किया।
रिपोर्ट – सुनील सोनकर