Varanasi News: मशीनी सफाई, CNG का इस्तेमाल, चौड़ी सड़कें, बेहतर बिजली सप्लाई… और यूं चमकता चला गया बनारस

कुछ साल पहले तक इस तस्वीर पर धुंध का कब्जा होता था। इससे तीर्थयात्रियों और टूरिस्टों को निराशा होती थी। उनमें से कई प्रदूषण के कारण मास्क पहने नजर आते थे। बहरहाल, दशाश्वमेध घाट निवासी और गंगोत्री सेवा समिति के सचिव दिनेश शंकर दुबे कहते हैं, अब हालात सुधर रहे हैं।

 फाइल फोटो

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वाराणसी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर बने किसी भी पुराने घर की छत से गंगा का दृश्य बेहद स्पष्ट और विस्मयकारी है। कई पर्यटक यहां की तस्वीर को कैमरे में कैद करना बेहद जरूरी मानते हैं। लेकिन कुछ साल पहले तक इस तस्वीर पर धुंध का कब्जा होता था। इससे तीर्थयात्रियों और टूरिस्टों को निराशा होती थी। उनमें से कई प्रदूषण के कारण मास्क पहने नजर आते थे। बहरहाल, दशाश्वमेध घाट निवासी और गंगोत्री सेवा समिति के सचिव दिनेश शंकर दुबे कहते हैं, अब हालात सुधर रहे हैं।

गंगा से जुड़े नाविक इस बात से सहमत हैं। वे कहते हैं कि CNG इंजन वाली नावों के इस्तेमाल से हालात सुधरे हैं। 600 से ज्यादा नाविकों की संस्था ‘बनारस नौकायन सेवा समिति’ के शंभू साहनी कहते हैं, शुरुआती परेशानियां तो हैं, फिर भी हम में से कई नई तकनीक को अपनाने के इच्छुक हैं, क्योंकि प्रदूषण पूरी दुनिया में वाराणसी की छवि को खराब करता है। चौसठी घाट पर टूरिस्ट गाइड दुर्गा शंकर का कहना है कि बैटरी से चलने वाले रिक्शे और सीएनजी बसों से फर्क पड़ा है। एक होमस्टे के मालिक अमल कुमार रॉय के मुताबिक, सड़क की सफाई भी अहम फैक्टर है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वाराणसी की साफ हवा ने हाल में सुर्खियां बटोरी हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 132 शहरों का अध्ययन किया तो पाया कि वाराणसी में 2017 से 2021 के बीच प्रदूषक तत्व PM10 के स्तर में 53% गिरावट आई है। बीएचयू में इंस्टिट्यूट ऑफ एनवायरनमेंट ऐंड सस्टेनेबल डिवेलपमेंट यानी IESD के डायरेक्टर अखिलेश रघुबंशी कहते हैं कि PM10 में गिरावट कई कोशिशों का नतीजा है।

इनमें नियमित निगरानी, सड़कों का चौड़ीकरण, सफाई, बेहतर बिजली सप्लाई (जिससे डीजल जेनरेटर के उपयोग में कमी आई), इलेक्ट्रिक और सीएनजी बसें अपनाना शामिल हैं। उनके सहयोगी तीर्थंकर बनर्जी कहते हैं, सबसे बड़ा कारण सड़क सफाई का मशीनीकरण है। वे बताते हैं, सड़क की धूल PM10 का सबसे बड़ा स्रोत है और पिछले कुछ वर्षों में अधिकारियों ने फुटपाथ विकास और सड़क की सफाई पर ध्यान केंद्रित किया है। यूपी के प्रमुख सचिव (शहरी विकास) अमृत अभिजात कहते हैं कि वाराणसी नगर निगम ने दो स्वीपिंग मशीनों को तैनात कर रखा है।

कुछ लोगों का विचार अलग है। ‘द क्लाइमेट अजेंडा’ की एकता शेखर कहती हैं कि निगम ने प्रदूषण की निगरानी के लिए सेंसर लगाए हैं, लेकिन डेटा सार्वजनिक नहीं है। बनारस नौकायन सेवा समिति के शंभू साहनी कहते हैं, हमारे लिए केवल एक सीएनजी रिफिलिंग स्टेशन है। हमें तीन स्टेशनों की जरूरत है।