Vegetarian Crocodile Death: दुनिया के इकलौते ‘शाकाहारी मगरमच्छ’ बाबिया का निधन, केरल के मंदिर की करती थी रखवाली

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कासरगोड, केरल के श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर के रक्षक, रहस्यमयी शाकाहारी मगरमच्छ बाबिया (Kerala Temple Vegetarian Crocodile Passes Away) की मौत हो गई. अनंतपुरा गांव के मंदिर के झील की दक्षिणी दिशा में बाबिया का मृत शरीर पाया गया. आशंका लगाई जा रही है कि रविवार रात को ही उसकी मौत हो गई.

बीमार थी बाबिया, खाना छोड़ चुकी थी

kerala kasargod temple vegetarian crocodile babiya death On Manorama

On Manorama की रिपोर्ट के अनुसार, बाबिया पिछले कुछ दिनों से बीमार थी. मंदिर के ट्रस्टी उदय कुमार आर गट्टी ने बताया कि मंगलुरू पिलुकुला बायोलॉजिकल पार्क (Mangaluru Pilikula Biological Park) के पशु चिकित्सकों ने उसकी जांच भी की थी. पिछले दो दिन से बाबिया को खाना खाने के लिए बुलाया गया लेकिन वो नहीं आई. इससे पहले बाबिया को पुजारी जब भी खाने के लिए बुलाते वो पहुंच जाती थी, दिन में उसे दो बार मंदिर का ही प्रसाद दिया जाता था. इसके बाद उसकी खोज शुरू की गई और रविवार रात को उसका मृत शरीर मिला.

पूरे सम्मान से दी जाएगी अंतिम विदाई

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बाबिया से केरल के मंदिर से जुड़े लोग, राज्य के श्रद्धालु ही नहीं बल्कि आस-पास के राज्यों के श्रद्धालु भी प्रेम करते थे, उसका सम्मान करते थे. अनुमान लगाया जा रहा है कि बाबिया की अंतिम विदाई में 1000 से ज़्यादा लोग शामिल होंगे. मंदिर के ट्रस्टी उदय कुमार आर गट्टी ने बताया, ‘बाबिया को मंदिर के प्रांगण में ही दफ़नाया जाएगा. उसे भी वही सम्मान दिया जाएगा जो किसी स्वामी को दिया जाता है.’ देलमपदी गणेश तंत्री बाबिया का अंतिम संस्कार करेंगे.

मांस नहीं खाती थी, मछलियों पर हमला नहीं करती थी

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श्री अनंतपद्मनाथ स्वामी मंदिर केरल का इकलौता झील मंदिर है और कहा जाता है कि 9वीं शताब्दी में इसका निर्माण हुआ था. मंदिर के प्रमुख पुजारी सुब्रमण्य भट पी एस ने 2015 में एक पत्रकार से बात-चीत में बताया कि बाबिया 1940 के दशक में झील में पहुंची. The News Minute से बात-चीत के दौरान मंदिर के कर्मचारी चंद्र प्रकाश ने बताया कि बाबिया रोज़ चावल के लड्डू (Rice Balls) खाती थी. चंद्र प्रकाश का ये भी दावा था कि कई बार उसने बाबिया के मुंह में खाना डाला था. उसे न तो मांस दिया जाता था और वो झील में रहने वाली मछलियों पर भी हमला नहीं करती थी.

श्रद्धालु भगवान का दूत कहते थे

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बाबिया को श्रद्धालु भगवान का दूत मानते थे. उसके दर्शन करना भी शुभ माना जाता था. इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि बाबिया इस मंदिर के झील में कहां से आई और इसको लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. पुजारी भी झील में बिना किसी डर के स्नान करते थे.

अक्टूबर 2020 में बाबिया मंदिर परिसर में घुसी थी लेकिन पुजारी के कहने के बाद वापस चली गई थी, ये तस्वीरें वायरल हो गई थी.