फर्जी डिग्री मामले में मानव भारती विवि के 700 विद्यार्थियों की मार्क्सशीट का सत्यापन शुरू

राज्य निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने हाईकोर्ट के निर्देशानुसार जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। डिटेल मार्क्स सर्टिफिकेट का सत्यापन न होने से कई विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

फर्जी डिग्री मामला(फाइल)

फर्जी डिग्री मामले में फंसे हिमाचल प्रदेश के मानव भारती विश्वविद्यालय के 700 डिटेल मार्क्स सर्टिफिकेट (डीएमसी) का सत्यापन शुरू हो गया है। राज्य निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने हाईकोर्ट के निर्देशानुसार जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। डिटेल मार्क्स सर्टिफिकेट का सत्यापन न होने से कई विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।  हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने जांच कमेटी गठित कर दस्तावेजों का सत्यापन करने के आदेश दिए हैं। मानव भारती विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की मुश्किलों को देखते हुए अदालत ने यह आदेश दिए हैं।

विश्वविद्यालय पर फर्जी डिग्रियां बांटने का आरोप है। पुलिस की विशेष जांच टीम मामले की पड़ताल कर रही है। ऐसे में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहे हैं। जांच कमेटी गठित होने के बाद से 700 विद्यार्थियों ने अपने डीएमसी को जांचने के लिए आवेदन किए हैं। विनियामक आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि डीएमसी जांचने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जांच के आधार पर डीएमसी को सही या गलत ठहराया जाएगा। सही मामले में विद्यार्थियों को डीएमसी जारी कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि जो भी विद्यार्थी डीएमसी की जांच करवाना चाहता है वह आयोग से संपर्क कर सकता है।

43,000 डिग्रियां मिली हैं फर्जी
मानव भारती विश्वविद्यालय की 43,000 डिग्रियां पुलिस जांच में फर्जी पाई गई हैं। पुलिस एसआईटी के अनुसार मानव भारती विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों को दर्जनों ऐसे कोर्स भी करवा दिए हैं, जिनकी विश्वविद्यालय के पास मान्यता ही नहीं थी। फर्जी तरीके से करवाए गए इन कोर्सों की हजारों फर्जी डिग्रियां देश भर में बेचकर करोड़ों रुपये कमाए गए। मानव भारती विश्वविद्यालय की 4,600 डीएमसी का सत्यापन किया जाना है। अभी तक 700 के आवेदन कमेटी के पास आ गए हैं।