ISRO launches LVM3-M2/OneWeb India-1 Mission: इसरो आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र को सबसे भारी रॉकेट लॉन्चिंग के लिए तैयार किया गया था। एलवीएम3-एम2 मिशन इसरो की ब्रांच न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के लिए पहला कमर्शल मिशन है। इस मिशन के तहत वनवेब के 36 उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा।
नई दिल्ली : इसरो (ISRO) ने अंतरिक्ष में रचा इतिहास। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने शनिवार देर रात 12 बजकर 5 मिनट पर अपने अब तक के सबसे भारी लिफ्ट रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 को लॉन्च किया। इसका नाम बदलकर एलवीएम3 एम2 कर दिया गया है। इसमें 36 ‘वनवेब’ उपग्रह हैं। इन सभी उपग्रहों को सफलता से पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। एलवीएम 3 एम2 रॉकेट 43.5 मीटर लंबा और 644 टन वजनी है। यह 8 हजार किलो वजन ले जाने में सक्षम है। वनवेब, भारत भारती ग्लोबल और यूके सरकार के बीच एक जॉइंट वेंचर है।
तीन चरण वाला रॉकेट हैं एलवीएम 3
एलवीएम3 एम2 तीन चरण वाला रॉकेट है। इसमें पहले चरण में तरल ईंधन से दो स्ट्रैप ठोस ईंधन द्वारा संचालित मोटर्स पर दूसरा तरल ईंधन द्वारा और तीसरा क्रायोजेनिक इंजन है। इसरो के भारी लिफ्ट रॉकेट की क्षमता एलईओ तक 10 टन और जियो ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) तक चार टन है।
इसरो ने कहा कि वनवेब उपग्रहों का कुल प्रक्षेपण द्रव्यमान 5,796 किलोग्राम होगा।’ 36 उपग्रह स्विस आधारित बियॉन्ड ग्रेविटी, पूर्व में आरयूएजी स्पेस द्वारा बनाए गए एक डिस्पेंसर सिस्टम पर होंगे। बियॉन्ड ग्रेविटी ने पहले 428 वनवेब उपग्रहों को एरियनस्पेस में लॉन्च करने के लिए उपग्रह डिस्पेंसर प्रदान किया था।
अब तक 345 विदेशी उपग्रहों को भेजा
1999 से शुरू होकर इसरो ने अब तक 345 विदेशी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया है। 36 वनवेब उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण से यह संख्या 381 हो जाएगी। वनवेब के 36 उपग्रहों के एक और सेट को जनवरी 2023 में कक्षा में स्थापित करने की योजना है। यह जीएसएलवी एमके-3 का पहला कमर्शल लॉन्चिंग है। पहली बार कोई भारतीय रॉकेट लगभग छह टन का पेलोड ले जाएगा। इसी तरह, वनवेब पहली बार अपने उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए एक भारतीय रॉकेट का उपयोग कर रहा है।