विदुर नीति: हमेशा परेशानी और कष्ट में जीवन यापन करते हैं ऐसे लोग

महाभारत काल में महान दार्शनिक और नितिज्ञ महात्मा विदुर को धर्मराज का अवतार माना जाता है। एक श्लोक में महात्मा विदुर ने सुखी जीवन के सार के बारे में बताया है। उनके अनुसार, जो दूसरों की इन चीजों को देखकर द्वेष व ईर्ष्या करते हैं, वे किसी असाध्य रोगी से कम नहीं होते हैं।

ऐसे लोग हमेशा दुख और कष्ट में जीते हैं जिंदगी

ऐसे लोग हमेशा दुख और कष्ट में जीते हैं जिंदगी

महाभारत काल में महान दार्शनिक और नितिज्ञ महात्मा विदुर को धर्मराज का अवतार माना जाता है। वह कौरवों और पांडवों के भी महामंत्री रहे हैं क्योंकि उनकी सलाह का सभी आदर करते थे। उन्होंने राजनीति से जुड़े ज्ञान के अलावा मानव कल्याण के लिए कई नीतियां बनाई हैं, जो मानव जीवन के लिए प्रासंगिक हैं। इसी प्रकार से एक श्लोक में महात्मा विदुर ने सुखी जीवन के सार के बारे में बताया है। उनके अनुसार, जो दूसरों की इन चीजों को देखकर द्वेष व ईर्ष्या करते हैं, वे किसी असाध्य रोगी से कम नहीं होते हैं और सबसे बड़ी समस्या यह है कि ऐसा रोग कभी ठीक नहीं हो सकता है। दुर्योधन भी पांडवों की इन्हीं चीजों को देखकर ईर्ष्या करते थे, जिसकी वजह से महाभारत जैसा महासंग्राम हुआ। आइए जानते हैं उन चीजों के बारे में…

 

समय आने पर फीकी हो जाती हैं ये चीजें

समय आने पर फीकी हो जाती हैं ये चीजें

य ईर्षुः परवित्तेषु रूपे वीर्ये कुलान्वये ।
सुखे सौभाग्यसत्कारे तस्य व्याधिरनन्तकः ॥
महात्मा विदुर ने अपने श्लोक के माध्यम से बताया है कि जो व्यक्ति दूसरों के धन-संपदा और सौदर्य को देखकर ईर्ष्या करता है, वह कभी जीवन में खुश नहीं रह सकता है। हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि धन-संपदा और सौदर्य हमेशा कभी किसी के पास नहीं रहता है, समय आने पर वह फीका लगने लगता है। कौरव भी पांडवों के धन-संपदा और सौदर्य को देखकर हमेशा ईर्ष्या भाव में रहते थे, जिसकी वजह से महाभारत युद्ध की शुरुआत हुई।

 

 

ऐसे लोगों को मिलती है हर जगह इज्जत

ऐसे लोगों को मिलती है हर जगह इज्जत

विदुरजी ने श्लोक में आगे कहा है कि भले ही व्यक्ति उच्च कुल में न जन्मा हो लेकिन अगर वह मेहनत करता है और अपने लक्ष्य को लेकर हमेशा अग्रसर रहता है तो हर चीज प्राप्त कर लेता है। कर्ण भले ही अधिरथ के यहां पले बढ़े लेकिन वह अपनी मेहनत से बहुत बड़े धनुर्धारी और अंगदेश के राजा बने। उन्होंने हर जगह अपना सम्मान कमाया। जो इंसान विपरित परिस्थितियों में आगे बढ़ता रहता है, वही सफलता प्राप्त करता है और बहादुर माना जाता है, ऐसे व्यक्ति को हर जगह सम्मान मिलता है।

 

हमेशा करने चाहिए ऐसे कर्म

हमेशा करने चाहिए ऐसे कर्म

विदुरजी ने बताया कि हमेशा खुश रहना चाहिए और दुसरों को खुश रखना चाहिए। जो व्यक्ति खुद खुश रहता है और दूसरों को सम्मान देता है, उसे हर जगह सम्मान मिलता है। इसलिए कभी भी किसी के सम्मान को देखकर ईर्ष्या भाव नहीं रखना चाहिए क्योंकि सुख और सौभाग्य इंसान के कर्म पर निर्भर करते हैं और उन्हें वह चीज कर्म के आधार पर ही मिलती है

ऐसे लोग हमेशा रहते हैं आगे

ऐसे लोग हमेशा रहते हैं आगे

ऐसा व्यक्ति जो हमेशा कॉमन सेंस यानी बुद्धि के हिसाब से चलता है, वह हर काम में आगे रहता है और सम्मान का अधिकारी होता है। महाभारत में दुर्योधन अगर अपनी बुद्धि के हिसाब से चलते तो उनका हर जगह सम्मान होता लेकिन वह अपने मामा की बातों को सुनकर अपने कर्म करते और बिना सोचे-समझे काम करते थे, जिसका अंत भयानक निकल

इंसान को नष्ट कर देती है यह चीज

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इंसान को नष्ट कर देती है यह चीज

श्लोक के अंत में महात्मा विदुर ने कहा है कि धन, सुख, पराक्रम और सौभाग्य केवल उनको प्राप्त होता है, जिनका व्यवहार कुलीन होता है। दुर्योधन हमेशा इन चीजों की वजह से पांडवों से ईर्ष्या करते थे और ईर्ष्या दुर्योधन के लिए असाध्य रोग बन चुका था। शास्त्रों में बताया गया है कि ईर्ष्या इंसान को धीरे-धीरे नष्ट कर देती है और कहीं का नहीं छोड़ती। इसलिए कभी किसी से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए और संतोष का भाव रखना चाहिए अन्यथा रात को सो नहीं पाएंगे और कुढ़ते रहेंगे।