Vidyasagar Setu: इंदिरा गांधी ने किया था शिलान्यास, सात साल तक नहीं हो पाया था कोई काम… कहानी केबल पर टिके सबसे लंबे पुल की

विद्यासागर सेतु (Vidyasagar Setu) भारत में तारों पर टिका सबसे लंबा पुल (longest cable-stayed bridge) है। इसका शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने 20 मई, 1972 को किया था। लेकिन सात साल तक इस पर काम शुरू नहीं हो पाया था।

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नई दिल्ली: इतिहास में दस अक्टूबर यानी आज का दिन इंजीनियरिंग (Engineering) के क्षेत्र में देश के विशेषज्ञों की एक बड़ी उपलब्धि से जुड़ा हुआ है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता या Calcutta (अब कोलकाता) को औद्योगिक शहर हावड़ा (Howrah) से जोड़ने के लिए बनाए गए विद्यासागर सेतु को 1992 में आज ही के दिन यातायात के लिए खोला गया था। मानवीय कौशल (Human Skill) का अनुपम उदाहरण माना गया यह पुल उस समय केबल से बना देश का सबसे बड़ा पुल था।

तारों पर टिका सबसे लंबा पुल
विद्यासागर सेतु (Vidyasagar Setu) भारत में तारों पर टिका सबसे लंबा पुल (longest cable-stayed bridge) है। इसका नाम महान शिक्षा सुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर के नाम पर रखा गया है। इसके निर्माण पर 3.88 अरब रुपये का खर्च आया था। यह एशिया के सबसे लंबे पुल में से एक है। इसकी लंबाई 823 मीटर (2700 फीट) है। यह हुगली नदी पर निर्मित दूसरा पुल है। हुगली नदी पर बने पहले पुल को हावड़ा ब्रिज (Howrah Bridge) या रवींद्र सेतु (Rabindra Setu) के नाम से भी जाना जाता है। इस ब्रिज का निर्माण 1943 में पूरा हुआ था।

विद्यासागर सेतु का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने 20 मई, 1972 को किया गया था। लेकिन सात साल तक इस पर काम शुरू नहीं हो पाया था। आखिरकार इसका निर्माण तीन जुलाई 1979 को प्रारंभ हुआ था। पुल को पूरा होने में 20 वर्षों से अधिक समय लगा और आखिरकार 10 अक्टूबर 1992 को हुगली रिवर ब्रिज कमीशन ने इसे चालू कर दिया। इस पुल से रोजाना करीब 30 हजार वाहन गुजरते हैं जबकि इसकी क्षमता 85,000 वाहनों की है।

क्या है इसकी खासियत
देश के आजाद होने के बाद आबादी और कमर्शियल एक्टिविटीज में तेजी से इजाफा हुआ। इससे हावड़ा ब्रिज पर दबाव बढ़ गया था। इस वजह से नदी के ऊपर नए पुल की जरूरत महसूस हुई। विद्यासागर सेतु तारों पर झूलता पुल है, जिसमें 121 केबल फैन अरेंजमेंट में हैं। इसका निर्माण 127.62 मीटर (418.7 फीट) ऊंचे स्टील पाइलऑन के इस्तेमाल से किया गया है। इसका डेक कंपोजिट स्टील री-इनफोर्स्‍ड कंक्रीट से दो कैरिज वे के साथ बनाया गया है। पुल की कुल चौड़ाई 35 मीटर (115 फीट) है। प्रत्येक डायरेक्शन में तीन लेन के साथ-सात 1.2 मीटर चौड़ा फुटपाथ है। मुख्‍य स्‍पैन के ऊपर डेक 457.20 मीटर लंबा है।

विद्यासागर सेतु एक टोल ब्रिज है जिसमें फ्री साइकिल लेन है। इस पुल का डिजाइन Schlaich Bergermann & Partner ने तैयार किया था जबकि इसका निर्माण सरकारी कंपनी The Braithwaite Burn and Jessop Construction Company Limited (BBJ) के कंसोर्टियम ने किया था। इस पुल का डिजाइन अन्‍य पुलों से थोड़ी भिन्‍न है, जो लिव लोड कंपोजिट कंस्ट्रक्शन के हैं। यह फर्क डेड लोड डिजाइन कंसेप्ट में है, जिसे इस पुल के लिए अपनाया गया था। डेक की डिजाइन गर्डरों के ग्रिड स्ट्रक्चर के साथ बनाई गई है। गर्डर का एक सेट आखिर में है तथा अन्य सेट बीच में है, जिसे सेंटर से सेंटर 4.2 मीटर (14 फ़ीट) के औसत स्पेस पर रखे गए गर्डरों से बांधा गया है।

विंड टनेल परीक्षण
पुल के मुख्‍य स्पैन के निर्माण के लिए एक डेक क्रेन का उपयोग किया गया था। 45 टन क्षमता की विशेष डिजाइन वाली इस क्रेन का इस्‍तेमाल ब्रिज के पाईलॉन को खड़ा करने के लिए किया गया था। इस पुल को बनाने में करीब 13,200 टन स्ट्रक्चरल स्टील का इस्तेमाल किया गया है। इस पुल के प्रोटोटाइप का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलोर में विंड टनेल परीक्षण किया गया था। करीब 13 साल की मेहनत के बाद इंजीनियरिंग का यह बेहतरीन नमूना बनकर तैयार हुआ था।