वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के घर विजिलेंस की छापेमारी, प्राइवेट प्रैक्टिस करते पकड़े गए शिशु रोग विशेषज्ञ, विशिष्ट भ्रष्ट आचरण रोकथाम एक्ट के तहत हुआ केस दर्ज।
हिमाचल प्रदेश स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो की जिला ऊना की टीम ने मंगलवार देर रात जिला मुख्यालय के क्षेत्रीय अस्पताल में तैनात वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर बिपिन शर्मा के घर पर छापेमारी कर डाली। छापेमारी के दौरान डॉ. बिपिन अपने घर पर मरीजों का उपचार करते पकड़े गए। डॉक्टर बिपिन शर्मा द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस करने के मामलों को लेकर विजिलेंस को लगातार शिकायतें मिल रही थी। डॉ विपिन शर्मा रीजनल अस्पताल ऊना में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के पद पर तैनात हैं। जबकि वर्तमान में मेडिकल सुपरिटेंडेंट का कार्यभार भी उन्हीं के पास है। विजिलेंस की टीम ने छापेमारी के दौरान चिकित्सक के घर से नकदी और बड़ी मात्रा में दवाएं भी बरामद की हैं। मामले की जांच आगे बढ़ा दी गई है जबकि स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को भी इस बाबत सूचित किया जा रहा है।
जिला मुख्यालय के रीजनल अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ के पद पर तैनात और अस्पताल के ही वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, और मेडिकल सुपरिटेंडेंट का पदभार संभाल रहे, डॉ विपिन शर्मा के घर स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने मंगलवार रात छापेमारी कर डाली। डॉ विपिन शर्मा पर लंबे अरसे से प्राइवेट प्रैक्टिस करने के आरोप लगते आ रहे थे। इसी बीच यह मामला बिजिलेंस के पास जा पहुंचा, जिसके बाद डीएसपी विजिलेंस अनिल कुमार मेहता की अगुवाई में टीम का गठन कर चिकित्सक के घर छापेमारी कर डाली। छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चों को उपचार के लिए डॉ विपिन शर्मा के घर लेकर पहुंचे पाए गए। इसके अतिरिक्त डॉ विपिन शर्मा के घर से प्राइवेट प्रैक्टिस के बदले लोगों से वसूली जा रही धनराशि और बड़ी मात्रा में दवाएं भी बरामद की गई। वहीँ बच्चों का उपचार करवाने आए लोगों को फौरन रीजनल अस्पताल ऊना भेजा गया। जहां पर तत्काल शिशु रोग विशेषज्ञ को बुलाकर सभी बच्चों को उपचार दिलाया गया। स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो के डीएसपी अनिल कुमार मेहता ने बताया कि विजिलेंस ने आरोपी चिकित्सक के खिलाफ हिमाचल प्रदेश विशिष्ट भ्रष्ट आचरण रोकथाम अधिनियम के तहत केस दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है। विभागीय कार्यवाही के लिए पूरे घटनाक्रम की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को भी दी जा रही है।