विजय पाल बघेल: 10 लाख से ज़्यादा पेड़ बचाने वाला वो Green Man, जो सिर्फ़ हरे रंग के कपड़े पहनता है!

अगर आप पेड़-पौधों की सुरक्षा और उनसे लगाव की हद देखना चाहते हैं, तो आपको गाज़ियाबाद शहर के ग्रीन मैन विजय पाल बघेल से मिलना चाहिए. इस दौर में जब पेड़ों की संख्या लगातार घट रही है, यह इंसान 40 से भी अधिक साल से रोज़ाना कम से कम एक पेड़ ज़रूर लगा रहा है. इसके अलावा बघेल करीब 10 लाख पेड़ों को कटने से भी बचा चुके हैं. लोग उन्हें ‘ग्रीन मैन’ कहकर पुकारते हैं.

विजयपाल बघेल कैसे बने ‘ग्रीन मैन’?

विजयपाल गाज़ियाबाद के चंद्रगढ़ी गांव के रहने वाले हैं. आम बच्चों की तरह वह बढ़े हो रहे थे. इसी बीच एक दिन वो अपने दादा के साथ हाथरस जा रहे थे. तभी उनकी नज़र कुछ लोगों पर पड़ी. वे आरी से एक पेड़ को काट रहे थे. चूंकि, पेड़ गूलर का था, इसलिए उससे दूध जैसा कुछ टपक रहा था. 

यह देखकर विजयपाल के मन में एक सवाल कौंधा. उन्होंने अपने दादा जी से पूछा, ‘इस पेड़ से दूध जैसा पानी क्यों निकल रहा है. जवाब में विजयपाल के दादा जी ने कहा, बेटा पेड़ को काटा जा रहा. यह तकलीफ़ में हैं, इसलिए रो रहा है. यह जवाब सुनते ही विजयपाल द्रवित हो उठे. वो दौड़कर पेड़ से लिपट गए और पेड़ काटने वालों से रोते हुए अनुरोध किया कि वे उसे ना काटे.

एक बच्चे को इस तरह रोता हुए देख पेड़ काटने वालों का दिल पसीज़ गया और उन्होंने गूलर के उस पेड़ को काटना बंद कर दिया. इस घटना का विजयपाल के मन में इतना असर पड़ा कि उन्होंने तय किया कि वो अब किसी भी पेड़ को नहीं कटने देंगे. छोटी उम्र में ख़ुद से किए इस दृढ़ निश्चय को उन्होंने वक्त के साथ कमज़ोर नहीं होने दिया और ख़ुद को पूरी तरह पेड़ों के संरक्षण में सौंप दिया.

पेड़ों के लिए आंदोलन, घर-घर लगाए पेड़  

उन्हें जब भी मौका मिलता, वह लोगों को पेड़ लगाने के लिए जागरूक करते. विजयपाल ने साल 1976 में पेड़ लगाने और उन्हें बचाने की जो मुहिम शुरू की थी, उसने 1993 में एक आंदोलन का रूप ले लिया. यह वह साल था, जब विजय पाल ने पर्यावरण सचेतक समिति बनाकर एक ख़ास योजना की शुरुआत की. इस योजना का नाम ‘मेरा वृक्ष’ था. 

इसके तहत उन्होंने लोगों के घर-घर जाकर पेड़ रोपने शुरू कर दिए. लोगों ने इसका समर्थन किया, तो विजय पाल एक कदम और आगे बढ़ गए. आगे उन्होंने पेड़ों के संरक्षण के लिए एक के बाद एक कई आंदोलन चलाए. ऑपरेशन ग्रीन, ग्लोबल ग्रीन मिशन, मेरा पेड़ मेरी शान, मिशन सवा सौ करोड़, पेड़ लगाएं सेल्फी भेजे, इसके कुछ बड़े उदाहरण हैं. 

इसके अलावा वह ‘ग्लोबल ग्रीन पीस’ नाम का एक ख़ास मिशन चला रहे है, जिसके तहत के देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग वृक्षारोपण और उनके संरक्षण के लिए कार्यरत है. 

हरियाली बचाने की इस यात्रा में विजय पाल की ‘गुल्लक स्कीम’ बहुत लोकप्रिय है. इसके तहत वह लोगों को फलों के बीजों को संरक्षित करने के लिए प्रेरित करते हैं. उनके मुताबिक, हमें फलों के बीजों इधर-उधर नहीं फेंकने चाहिए. हमें उन्हें चिड़ियों का आहार बनाना चाहिए. उनके अनुसार, चिड़िया के बीट करने से कई पौधों का जन्म होता है.  

एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया

विजय पाल को अपने इस काम के लिए जगह-जगह सम्मानित किया जा चुका है. हरित ऋषि, जेपी अवार्ड, ग्रीन मैन और हिमालय भूषण, जैसे अनेक पुरस्कार उनके नाम दर्ज हैं. यही नहीं, विजय पाल पेड़-पौधों के प्रति अपने लगाव के लिए एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं.

कहा तो यहां तक जाता है कि सम्मान समारोह के दौरान जब अब्दुल कलाम विजय पाल से मिले, तो पेड़ों को लेकर उनके ज़ुनून के चलते उन्हें खुद हरे रंग में रंगने की बात कही थी. यही कारण है कि विजय पाल अब ज़्यादातर हरे रंग का ही इस्तेमाल करते हैं. उनके कपड़े तक हरे रंग के होते हैं.

विजय पाल अपनी इस राह में, पेड़ को जीवित प्राणी का वैधानिक दर्जा, राष्ट्रीय वृक्ष नीति, जीपीएस के माध्यम से यूआईडी नंबर समेत पेड़ की गणना, और राष्ट्रीय ध्वज की तरह राष्ट्रीय वृक्ष (बरगद) को सम्मान मिलने जैसी चीज़ों की इच्छा रखते हैं. समाज को उनके जैसे और लोगों की ज़रूरत है.