Vijaya Ekadashi 2023 Vrat Katha:16 फरवरी गुरुवार को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से आपको सभी शुभ कार्यों में विजय प्राप्त होती है और आपके कार्यों में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं। मान्यता है कि स्वयं भगवान राम ने इस व्रत को किया था। जानते हैं इस व्रत की कथा।
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Vijaya Ekadashi 2023: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है और यह इस बार 16 फरवरी को है। पद्मपुराण में भगवान श्रीकृष्ण ने ज्येष्ठ पांडु पुत्र युधिष्ठिर को बताया है कि इस एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। अपने नाम के अनुसार यह बहुत ही कल्याणकारी और विजय दिलाने वाली एकादशी है। इस एकादशी की महत्ता को संसार तक पहुंचाने के लिए स्वयं भगवान राम ने भी इस एकादशी का व्रत पूजन किया था। इसके बाद से विजय और मोक्ष के लिए संसारी लोग इस एकादशी का व्रत करने लगे।
विजया एकादशी की व्रत कथा
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि, लंका विजय के लिए जब भगवान राम सागर तट पर वानर सेना के साथ पहुंचे तब उनके सामने सबसे बड़ी चिंता यह थी कि वह सेना सहित सागर पार कैसे करें। ऐसे में लक्ष्मणजी ने भगवान राम को संबोधित करते हुए कहा कि हे प्रभु आप सबको जानते हुए भी जो यह मानवीय लीला कर रहे हैं उस कारण से आप इस छोटी समस्या को लेकर चिंतित हैं। आपकी चिंता को दूर करने के लिए आपसे निवेदन करता हूं कि आप यहां पास में ही निवास करने वाले ऋषि बकदाल्भ्य से मिलें। ऋषि यहां से आगे का मार्ग सुझा सकते हैं।
लक्ष्मणजी के अनुनय पूर्ण वचनों को सुनकर भगवान राम बकदाल्भ्य ऋषि के पास गए। ऋषि को अपनी सारी परेशानी बताई और कोई मार्ग सुझाने के लिए कहा। ऋषि ने बताया कि आप सेना सहित फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सेना सहित भगवान नारायण की पूजा करें। यह विजया नाम की एकादशी ही आपको आगे ले जाने का मार्ग बनाएगी।
एक कलश पर पल्लव रखकर भगवान नारायण की प्रतिमा स्थापित करके इनकी पूजा करें। रात्रि में जागरण करते हुए भगवान का नाम स्मरण और कीर्तन भजन करें। अगले दिन सुबह भगवान की पूजा करके ब्राह्मण को दान दक्षिणा दें। इस व्रत से प्रतिष्ठा, विजया, संकट से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो इस एकादशी व्रत की कथा को सुनता और पढता है उसे वाजपेयी नामक उत्तम यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है।