पीपल-बरगद या किसी भी पेड़ के नीचे, पार्क्स की बाउंड्री पर बनी दीवारों पर, मंदिर के प्रांगण में और कभी-कभी तो सड़क के किनारे ही देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, टूटी-फूटी या पुरानी फ़ोटो फ़्रेम्स दिख जाती हैं. लोग भगवान को घर पर लाते हैं पूजा-अर्चना करते हैं लेकिन जब वो ‘पुराने’ हो जाते हैं, खंडित हो जाते हैं या उनमें ज़ंग लग जाता है तो उन्हें घर से बाहर का रास्ता दिखा देते हैं.
खंडित मूर्तियों, फ़ोटो फ़्रेम्स को घर पर नहीं रख सकते, बाहर नहीं फेंक सकते तो आखिर करें क्या? जो लोग पार्क, पेड़ों के नीचे, मंदिर में या सड़क किनारे नहीं फेंकते वे खंडित मूर्तियों, फ़ोटो फ़्रेम्स को नदी या तालाब में बहा देते हैं और इस तरह जल प्रदूषण बढ़ता है. इस समस्या से निपटने का बीड़ा वीरेश हिरेमथ (Veeresh Hiremath) ने उठाया है.
भगवान को इंसानों से बचाने निकला है एक शख़्स
बेलगावी, कर्नाटक के 47 वीरेश हिरेमथ ने भगवान को इंसान से बचाने का बीड़ा उठाया है. वे खंडित मूर्तियों, फ़ोटो फ़्रेम्स को इकट्ठा करते हैं और वैज्ञानिक पद्धति से उन्हें डिस्पोज़ करते हैं. इसके साथ ही वे लोगों को भगवान की खंडित मूर्तियों को सड़क किनारे न फ़ेंकने की हिदायतें भी दे रहे हैं.
नौकरी की शिफ़्ट पूरी करने के बाद मिशन पर निकलते हैं
The New Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, वीरेश विजया ऑर्थो ऐंड ट्रॉमा सेंटर हॉस्पिटल में पीआरओ की नौकरी करते हैं. शिफ़्ट खत्म करने के बाद वे अपने मिशन पर निकल पड़ते हैं. वे घंटों सड़कों, गलियों, मोहल्लों में घूम-घूम कर भगवान की खंडित मूर्तियां, फ़ोटो फ़्रेम्स इकट्ठा करते हैं. अब तक वे 5 ट्रक खंडित मूर्तियां, फ़ोटो फ़्रेम्स इकट्ठा कर उन्हें सही तरीके से डिस्पोज़ कर चुके हैं.
लॉकडाउन में शुरू किया मिशन
बचपन में वीरेश को भगवान की तस्वीरें, निमंत्रण पत्र आदि इकट्ठा करना पसंद था, बड़े होकर ये उनका मिशन बन गया है. इस मिशन की शुरुआत 2020 के लॉकडाउन में हुई. अपने दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने ‘सर्व लोकसेवा फ़ाउंडेशन’ की स्थापना की और अपने आस-पास के गांवों में घूम-घूमकर काम शुरू किया.
इस तरह काम करती है वीरेश की टीम
वीरेश चार फ़ोटो फ़्रेम मेकर्स की मदद लेते हैं. ग्लास, कार्डबोर्ड, लकड़ी के फ़्रेम, कीलें और भगवान की तस्वीरों को अलग किया जाता है. लकड़ी और बोर्ड रसोइयों को दे दी जाती है, ग्लास को रिसाइकल किया जाता है. स्वामी और पुरोहित पूजा-अर्चना करते हैं जिसके बाद तस्वीरों को जला दिया जाता है.
लोगों को कहीं भी खंडित मूर्तियां और फ़ोटो फ़्रेम्स दिखती हैं तो वे वीरेश को फ़ोन करते हैं. वीरेश बेलगावी में ‘देव भूमि’ की स्थापना करना चाहते हैं जहां आकर लोग फ़ोटो फ़्रेम्स जमा कर सकें.