Vishwakarma pooja date विश्वकर्मा पूजा की तारीख मुहूर्त और पूजा विधि जानिए

भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है और इस दिन उनकी पूजा की जाती है। कामगार लोग, मशीनों से जुड़ा काम करने वाले और वाहन का कारोबार करने वाले और गृहस्‍थ लोग भी पूजा करते हैं। आपको बता हैं विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजाविधि।

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देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर के दिन हर साल की जाती है। संयोग से इस साल विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर कन्या संक्रांति के दिन है। ऐसे में इस साल विश्वकर्मा पूजा के साथ सूर्यदेव की पूजा करना उत्तम फलदायी होगा क्योंकि सूर्यदेव भगवान विश्वकर्मा के दामाद हैं और भगवान विश्वकर्मा ने ही सूर्यदेव की किरणों को आकार दिया है।

विश्वकर्मा पूजा विधि मंत्र सहित

भगवान विश्वकर्मा के बारे में बताया गया है कि यह देवताओं के अस्त्र-शस्त्र, महल और आभूषण आदि बनाने का काम करते हैं। भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दिन कारखानों, ऑफिस और उद्योगों में लगी हुई मशीनों की पूजा की जाती है। सबसे पहले अक्षत अर्थात चावल, फूल, मिठाई, फल रोली, सुपारी, धूप, दीप, रक्षासूत्र, पूजा की चौकी, दही और भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर की व्यवस्था कर लें। पूजा की चौकी पर चावल के आटे से अष्टदल रंगोली बनाएं। इसके ऊपर 7 प्रकार के अनाज रखें। इसके ऊपर विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। हाथ में अक्षत लेकर कहें
ओम भगवान विश्वकर्मा देव शिल्पी इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव।

चावल की ढेरी पर मूर्ति या तस्वीर जो भी हो, रखें। फिर मन में यह विश्वास जगाकर कि भगवान विश्वकर्मा आपके सामने हैं उन्हें नमस्कार करें और फिर पूजा करें।
औजारों पर तिलक और अक्षत लगाएं फिर फूल चढ़ाएं। कलश को भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति और तस्वीर के साथ रखें। इसके बाद कलश को रोली-अक्षत लगाएं फिर दोनों को हाथ में अक्षत लेकर ओम पृथिव्यै नमः, ओम अनंतम नमः, ओम कूमयि नमः, ओम श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः का मंत्र पढ़कर सभी मशीनों, विश्वकर्मा पर और कलश पर चारों तरफ छिड़क दें, साथ ही फूल भी चढ़ा दें। भगवान विश्वकर्मा को मिठाई का प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।