Vivah Panchami 2022 : भगवान राम और माता सीता के विवाह की खास बातें जानें

विवाह पंचमी के दिन त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस तिथि को विवाह पंचमी या श्रीपंचमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन कई जगहों पर भगवान राम और माता सीता का विवाहोत्सव आयोजित किया जाता है। आइए भगवान राम और माता सीता के विवाह के बारे में जानते हैं खास बातें….

Vivah Panchami 2022
विवाह पंचमी 2022

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इसलिए राजा जनक ने रखी थी शिव धनुष की शर्त
देवी सीता के पिता राजा जनक ने शर्त रखी थी कि जो कोई भी भगवान शिव के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, वही देवी सीता का वर होगा। इस शर्त के पीछे वजह यह थी कि माता सीता ने बचपन में पूजा स्थल पर जब शिव धनुष को देखा था तब उन्होंने अकेले अपने बाएं हाथ से धनुष को उठा लिया था। महाराज जनक ने जब इस अद्भुत दृश्य को देखा था, तब उन्होने प्रतिज्ञा ली थी जिस तरह देवी सीता अलौकिक हैं, उसी तरह उनका पति होना चाहिए।

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 28 नवंबर दिन सोमवार को है। विवाह पंचमी के दिन त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस तिथि को विवाह पंचमी या श्रीपंचमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन कई जगहों पर भगवान राम और माता सीता का विवाहोत्सव आयोजित किया जाता है लेकिन इस कई माता-पिता अपनी बेटी का विवाह इस तिथि को कराने से बचते हैं क्योंकि वह इस तिथि को अशुभ मानते हैं। मान्यता है कि इस दिन राम-सीता के विवाह में शामिल होना या कथा सुनने से जीवन के कई दुख दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं भगवान राम और माता सीता के विवाह के बारे में कुछ खास बातें…

रावण भी स्वयंवर में हुआ था शामिल
माता सीता के स्वयंवर को लेकर एक रोचक तथ्य भी सुनने को मिलता है लेकिन विशेषज्ञ इसको लेकर एकमत नहीं है। किवदंती के अनुसार, रावण भी माता सीता के स्वयंवर में शामिल हुआ था और वह तब तक विश्व विजेता बन चुका था। रावण को श्राप था कि वह अगर इच्छा के विरूद्ध जाकर किसी पराई स्त्री को छूने की कोशिश करेगा तो उसके सिर के 100 टुकड़े हो जाएंगे। तब वह राजा जनक की पुत्री सीता से विवाह करने पहुंचा लेकिन वह शिव धनुष पर प्रत्यंचा नहीं चढ़ा पाया, जिस वजह से वह स्वयंवर से चला गया।

विवाह के समय यह थी भगवान राम और माता सीता उम्र

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी सीता और भगवान राम का जब विवाह हुआ था, उस समय भगवान राम की उम्र 13 वर्ष और माता सीता की 6 साल बताई जाती है। लेकिन विवाह के बाद भी देवी सीता अपने पिता जनकजी के घर 12 वर्ष की आयु तक रही थीं, उसके बाद ही वह अयोध्या गई थीं। हालांकि कई विद्वानों में भगवान राम और माता सीता की उम्र को लेकर मतांतरण है।

भगवान राम और माता सीता के मिले थे 36 गुण
भगवान राम और माता सीता के विवाह की एक खास बात यह भी थी कि दोनों के कुंडली में पूरे 36 गुण मिले थी। भगवान राम और माता सीता के विवाह में खाने को लेकर भी पूरे विश्व में चर्चा थी। बताया जाता है कि उनके विवाह में इतने व्यंजन परोसे गए थे, शायद ही कोई उनका नाम जानता हो। बताया जाता है कि दावत में रसों के लेकर भी व्यंजन थे और एक-एक रस के अनगिनत प्रकार के व्यंजन बने थे।

माता सीता की बहनों के ये हैं नाम
माता सीता के साथ उनकी चार बहनों का भी विवाह हुआ था, उनके नाम उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति हैं। राजा जनक की दो पुत्रियां थीं, सीता और उर्मिला। मांडवी और श्रुतकीर्ति उनके छोटे भाई कुशध्वज की बेटियां थी। सीता का विवाह राम से, उर्मिला का विवाह लक्ष्मण, मांडवी का विवाह भरत से और श्रुतिकीर्ति का विवाह शत्रुघ्न से हुआ था।

इसलिए विवाह पंचमी के दिन नहीं कराते विवाह

विवाह पंचमी की तिथि को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। कुछ जगहों पर इस तिथि को अबूझ मुहूर्त बताया गया है तो कुछ जगहों पर इस तिथि को माता-पिता अपनी बेटी का विवाह करना से बचते हैं। बताया जाता है कि जिस तरह इस तिथि पर विवाह करने के बाद माता सीता को 14 वर्षों के लिए वनवास जाना पड़ा और फिर अयोध्या वापस आने के बाद भगवान राम ने गर्भवती सीता को राजमहल से निकाल दिया। कहीं माता सीता की तरह उनकी बेटी के साथ ऐसा ना हो, इसलिए माता-पिता बेटी का विवाह इस तिथि को करने से बचते हैं।