विवाह पंचमी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को कहते है। इस दिन त्रेता युग में भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। कहने को यह विवाह पंचमी है, लेकिन इस दिन विवाह करना अशुभ मानते हैं। जानिए महत्व और पूजा विधि के साथ इस दिन क्यों नहीं किया जाता विवाह।
विवाह पंचमी का शुभ मुहूर्त और तिथि
पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की तिथि 27 नवंबर को शाम को 4 बजकर 25 मिनट से आरंभ हो जाएगी और यह 28 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में पूजा करने की मान्यताओं के अनुसार विवाह पंचमी 28 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन आप अपने घर में माता सीता और रामजी का विवाह करवा सकते हैं।
विवाह पंचमी पर इसलिए नहीं की जाती शादियां
धार्मिक मान्यताओं में विवाह पंचमी को शादी ब्याह जैसे कार्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता है। माता-पिता इस दिन अपनी बेटी का कन्यादान करना अशुभ मानते हैं। भगवान राम से विवाह होने के बाद माता सीता को अपने जीवन में कई कष्ट उठाने पड़े थे। श्रीराम को मिले वनवास के कारण सीता माता को भी उनके साथ जंगलों में अपना समय बिताना पड़ा था। इसलिए विवाह पंचमी के दिन शादियां नहीं होती। खासकर लड़की के माता-पिता अपनी पुत्री का विवाह नहीं करते हैं।
विवाह पंचमी की पूजाविधि
प्रात:काल शीघ्र उठकर सूर्य को जल देकर अपने दिन की शुरुआत करें। पूजाघर में लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं। माता सीता और राम की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र पहनाएं। उसके बाद बालकांड में दिए गए विवाह प्रसंग का पाठ करें और मंत्र ऊं जानकीवल्लभाय नमः” का जप करें। उसके बाद कलावे से माता सीता और भगवान राम का गठबंधन करें और फिर आरती करके भोग लगाएं।