Vivo India : क्या देश के फाइनेंशियल सिस्टम को बिगाड़ रही वीवो? भारत की अखंडता को पहुंचाया खतरा! ईडी ने लगाए संगीन आरोप

Vivo India : ईडी ने वीवो के जम्मू-कश्मीर डिस्ट्रीब्यूटर ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (GPICPL) पर भी आरोप लगाए हैं। इस कंपनी ने कथित तौर पर खुद को वीवो इंडिया की सहायक कंपनी के रूप में गलत तरीके से पेश किया था। इस कंपनी पर पहले से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर जांच चल रही है।

 
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देश की वित्तीय प्रणाली को अस्थिर कर रही थी वीवो!
नई दिल्ली : चीनी कंपनी वीवो देश की वित्तीय प्रणाली को अस्थिर करने का प्रयास कर रही थी। ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट को एक हलफनामे में यह बात कही है। चीनी मोबाइल कंपनियों (Chinese Mobile Companies) पर लंबे समय से आयकर विभाग और ईडी (ED) द्वारा नकेल कसी जा रही है। ईडी द्वारा वीवो (Vivo) और शाओमी (xiaomi) जैसी चीनी कंपनियों पर कई बार कार्रवाई भी की गई। इन कंपनियों पर टैक्स चोरी के आरोप लगते रहे हैं। अब ईडी ने वीवो के बारे में काफी बड़े खुलासे किये हैं। ईडी ने कहा है कि मोबाइल फोन कंपनी वीवो के बैंक खातों से साफ पता चलता है कि कंपनी मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है। ईडी ने कहा कि यह देश की वित्तीय प्रणाली को अस्थिर करने का एक प्रयास है। साथ ही यह देश की अखंडता और संप्रभुता को खतरे में डालने के लिए किया गया। पिछले हफ्ते दायर एक हलफनामे में ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) को कई जानकारियां दी हैं।

वीवो से जुड़ी 22 कंपनियों की जांच जारी

ईडी ने कोर्ट को बताया कि चीनी कंपनी की भारतीय इकाई से जुड़ी 22 कंपनियों की जांच की जा रही है। इन कंपनियों पर चीन में पैसा भेजने को लेकर जांच हो रही है। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि इन 22 कंपनियों पर विदेशी नागरिकों या हांगकांग में स्थित विदेशी संस्थाओं का स्वामित्व हैं। हलफनामे में कहा गया, “यह देखा गया है कि कंपनियों द्वारा अधिकतर पैसा चीन में भेज दिया गया। यह संदिग्ध है और इसकी जांच चल रही है।” वीवो ने पहले कहा था कि वह सभी स्थानीय कानूनों का पालन करती है।

GPICPL को जाली दस्तावेजों के आधार पर चलाने का आरोप

ईडी ने वीवो के जम्मू-कश्मीर डिस्ट्रीब्यूटर ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (GPICPL) पर भी आरोप लगाए हैं। इस कंपनी ने कथित तौर पर खुद को वीवो इंडिया की सहायक कंपनी के रूप में गलत तरीके से पेश किया था। इस कंपनी पर पहले से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर जांच चल रही है। ईडी ने इस पर आरोप लगाया कि कंपनी को जाली दस्तावेजों के आधार पर चलाया जा रहा था।


दिल्ली के सीए पर उठे सवाल

एजेंसी ने कहा कि GPICPL के निगमन में मदद करने वाले एक नई दिल्ली बेस्ड सीए ने अगस्त 2014 में वीवो के लिए भी ऐसा ही किया था। इसके अलावा GPICPL द्वारा इस्तेमाल किया गया ईमेल peter.ou@vivoglobal.com कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की फाइलिंग में था। यह वीवो और GPICPL के बीच एक कनेक्शन दिखा रहा था। ईडी के हलफनामे में यह बात कही गई है। ईडी के अनुसार, “ये बातें वीवो और जाली दस्तावेजों के आधार पर बनाई गई कंपनी जीपीआईसीपीएल के बीच गहरे संबंधों की तरफ इशारा करती हैं।”

देश छोड़ चले गए डायरेक्टर

एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि GPICPL के दो डायरेक्टर Zhengshen Ou और Zhang Jie दिल्ली पुलिस द्वारा कंपनी पर एफआईआर दर्ज होने के 10 दिन बाद भारत छोड़कर चले गए।

वित्तीय आतंकवाद जैसा है मनी लॉन्ड्रिंग

एजेंसी ने कहा कि कंपनी देश की वित्तीय प्रणाली को अस्थिर करने की कोशिश कर रही थी। इस आरोप को पुष्ट करने के लिए एजेंसी ने उड़ीसा हाई कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया। साल 2020 के इस फैसले में मनी लॉन्ड्रिंग को वित्तीय आतंकवाद के रूप में दर्शाया गया था।