Vyapam Scam Tales: पर्दे के पीछे से नेताओं और अफसरों ने खेला था ‘खेल’, सीएम हाउस तक पहुंची थी आंच

Vyapam Scam Story: नौ साल पहले उजागर हुए व्यापमं स्कैम मामले में ज्यादातर आरोपी जमानत पर बाहर हैं। मामले की जांच सीबीआई कर रही है। इसके बावजूद जांच किसी नतीजे तक नहीं पहुंची है। जांच के दौरान नेताओं और अफसरों के गठजोड़ की बात सामने आई थी।

vyapam scam
vyapam scam: व्यापमं स्कैमभोपाल: मध्यप्रदेश में व्यापमं घोटाले (madhya pradesh vyapam scam news) के पर्दे के पीछे राजनेताओं और सरकारी मशीनरी के गठजोड़ भी एक बड़ी वजह रही है। यही कारण है कि इस घोटाले की जांच कई स्तर पर हुई मगर प्रभावशाली लोगों की गर्दन उसकी पकड़ में नहीं आ पाई। राज्य में व्यापमं का नाम भले ही बदल दिया गया हो और नए नाम देने की कवायद चल रही हो। बीते एक दशक पहले खुले घोटाले की चर्चाएं, अब भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। रह-रह कर इस घोटाले को लेकर सियासत भी तेज होती रहती है।

व्यापमं का मतलब है राज्य के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती की परीक्षा को आयोजित करने वाला संस्थान। व्यापमं एक दर्जन से ज्यादा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए परीक्षा आयोजित करती है। ये ऐसी परीक्षाएं हैं, जो तय करती हैं कि प्रदेश में कौन-कौन डॉक्टर बनेंगे, शिक्षक बनेंगे, वकील बनेंगे, पुलिस, नर्स और लिपिकीय कार्य में किन लोगों को मौका मिलेगा। राज्य के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में प्रवेश की प्रक्रिया तो वर्षों से चल रही है, मगर इसका बड़ा खुलासा वर्ष 2013 में हुआ, जब इंदौर में एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ।

उस गिरोह का सरगना था जगदीश सागर। इसके सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से करीबी रिश्तों की भी बात सामने आई। असली परीक्षार्थी के स्थान पर फर्जी को परीक्षा देने बिठाया जाता था, लाखों रुपये फर्जी परीक्षार्थी के अलावा गिरोह के सरगना, व्यापमं के अधिकारी और राजनेता को मिलते थे। यह खेल सालों चला। पहले एसटीएफ फिर एसआईटी और उसके बाद देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई के हाथ में इस घोटाले की जांच की कमान आई।

ये बड़े नाम आएं सामने

परिणाम स्वरूप सियासी गलियारों से लेकर नौकरशाहों और परीक्षा संचालित करने वालों को भी सींखचों के पीछे जाना पड़ा। सियासत के गलियारे में सबसे बड़ा नाम पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का सामने आया, तो वही सत्ता के गलियारों में मजबूत पकड़ के रखने वाले सुधीर शर्मा पर भी आंच आई। इतना ही नहीं, पूर्व राज्यपाल के बेटे शैलेश यादव और ओएसडी रहे धनंजय यादव का भी नाम सुर्खियों में रहा। व्यापमं के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी ,कंप्यूटर एनालिस्ट नितिंद्र मोहिंद्रा को भी घेरे में लिया गया। इसके अलावा आईपीएस स्तर के अधिकारी भी इस घोटाले की लपेट में आए।

इतना ही नहीं है इस मामले कि आंच मुख्यमंत्री के आवास तक आई। सियासी तौर पर तरह-तरह के आरोप भी लगे। कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अब्बास हफीज का कहना है कि बीजेपी का चरित्र ही संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का रहा है, यही कारण है जो व्यापमं घोटाला खुला था तो कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग की थी। मगर यह जांच सीबीआई को नहीं सौंपी गई, जब केंद्र में भी बीजेपी गठबंधन की सरकार आई तो जांच सीबीआई को सौंप दी गई और क्या हुआ यह किसी से छुपा नहीं है।

सिर्फ छोटी मछलियों को पकड़ने में जांच एजेंसियों की रुचि रही है बड़ी मछलियों को हमेशा बख्शा गया है। व्यापमं घोटाला खुला मगर किस मंत्री पर कार्रवाई हुई यह सबके सामने है।