राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने वर्ण और जाति व्यवस्था पर एक बयान दिया था. RSS सुप्रिमो ने महाराष्ट्र में कहा था, ‘भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सब एक हैं. उनमें कोई जाति, वर्ण नहीं हैं लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, जो गलत था.’ भागवत के बयान के बाद ब्राह्मण समाज के लोगों और कुछ संतों ने नाराज़गी जताई है.
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ब्राह्मण समाज के लोगों ने किया विरोध
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, उज्जैन ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने सोमवार को पशुपतिनाथ मंदिर में बैठक की. विचार-विमर्श के बाद भागवत के बयान का विरोध किया गया, जमकर नारेबाज़ी भी हुई.
उत्तर प्रदेश में भी भागवत के बयान का पुरज़ोर विरोध हो रहा है. ABP Live की रिपोर्ट के अनुसार, कानपुर में दीप सिनेमा चौराहे के पास ‘मैं हूं ब्राह्मण महासभा’ के लोगो ने जमीन पर बैठकर हनुमान चालीसा पढ़ी. विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि भागवत का बयान ‘ब्राह्मण विरोधी’ है.
‘मैं ब्राह्मण हूं महासभा’ ने मोहन भागवत से बयान वापस लेने को कहा गया. ये भी चेतावनी दी गई कि बयान वापस नहीं लिया गया तो भागवत को कलयुग का विभीषण कहा जाएगा.
सोशल मीडिया पर भी देशभर से लोग पोस्ट, ट्वीट कर रहे हैं और मोहन भागवत के बयान की निंदा कर रहे हैं.
संतों ने भी किया विरोध
RSS प्रमुख भागवत के बयान से न सिर्फ़ ब्राह्मण समाज के लोग भड़क गए हैं बल्कि अयोध्या के संतों ने भी आपत्ति जताई है. News18 हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार, संतों ने कहा कि श्रेणी भगवान ने स्वयं बनाई है. गुणों के आधार पर और कर्म के आधार पर श्रेणी तय की गई है.
यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि संतों को भागवत के बयान पर कोई राय नहीं देनी चाहिए. नरसिंहानंद का कहना है कि भागवत जाति के आधार पर हिन्दुओं को लड़वाने में लगे हुए हैं.
मोहन भागवत ने दी थी सफ़ाई
रविदास जयंती के मौके पर मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने जाति व्यवस्था और उसमें ब्राह्मण वर्ग की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए.
नवभारत टाइम्स के मुताबिक भागवत ने कहा कि भगवान एक हैं और उसने सब को एक समान ही पैदा किया है. श्रेणियां पंडितों ने बनाई है. ब्राह्मण वर्ग ने जाति व्यवस्था और वर्ण व्यवस्था का भेद-भाव किया है.
गौरतलब है कि आरएसएस प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने पूरे मामले पर सफ़ाई दी है. आंबेकर ने कहा कि मोहन भागवत ने पंडित शब्द का प्रयोग विद्वान और ज्ञानियों के लिए किया है, किसी जाति या धर्म के लिए नहीं. उनका ये भी कहना था कि भागवत का बयान मराठी में था, उसे उचित अर्थों में लिया जाना चाहिए.
भाजपा के नेता भी भागवत की ओर से सफ़ाई दे रहे हैं. कन्नौज से भाजपा के सांसद, सुब्रत पाठक ने कहा कि संघ प्रमुख के बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है.