School in Yemen: यमन की आने वाली पीढ़ी युद्ध में बर्बाद हो चुकी है। ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यहां के स्कूल तबाह हो चुके हैं। जो स्कूल बचे हैं वहां पर पढ़ाने के लिए कोई नहीं है। कई इलाकों में शिक्षकों को 2016 से ही सैलरी नहीं मिली है।
देश में चले संघर्ष के कारण अब यहां शिक्षा का महत्व बहुत कम हो चुका है। एक दशक से पढ़ा रहे अम्मार सालेह का कहना है कि युद्ध का प्रभाव शिक्षक और छात्रों दोनों पर ही पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि नया शिक्षा सत्र शांतिपूर्ण माहौल में आगे बढ़ेगा, जहां छात्र बिना किसी डर के अपनी कक्षा में जा कर पढ़ सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे आज भी वह दिन याद आते हैं जब मैं हवाई हमले, बम विस्फोट और ईंधन संकट से डरे बिना पढ़ाता था।’
1.7 लाख शिक्षकों को नहीं मिली सैलरी
अल-जजीरा के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट कहती है कि यमन में 2,900 स्कूल तबाह हो चुके हैं। जो बचे हैं उनका शिक्षा से अलग इस्तेमाल हो रहा है। लगभग 15 लाख बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है। 6 से 17 साल के 24 लाख बच्चे स्कूल से बाहर हैं, जो अपना और परिवार का पेट भरने के लिए मजदूरी कर रहे हैं। हूती नियंत्रित प्रांतों में 170,000 शिक्षकों को 2016 से ही वेतन नहीं मिला है। इस कारण उन्होंने अपना पद छोड़कर दूसरे काम शुरू कर दिए। जो शिक्षक सेवा में बचे हुए हैं वह निराश हो चुके हैं।
शिक्षक मांग रहे सैलरी
साना के एक पब्लिक स्कूल के टीचर अमल ने कहा, ‘इस शिक्षा सत्र की शुरुआत के साथ ही हमने हूती अधिकारियों और यमन की सरकार से हमें अब तक की सैलरी देने को कहा है। ये उनकी लड़ाई है, जिसके कारण हम मुसीबत में फंस गए हैं।’ अमल गणित की शिक्षा देते हैं। उनका कहना है कि शिक्षा ही एक ऐसा काम है जो वह करना जानते हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘हम अपने छात्रों की जिज्ञासा जानकारी से पूरी करते हैं, लेकिन हमें अपने बच्चों का पेट भरने के लिए पैसे की जरूरत है। अगर हम बिना सैलरी के पढ़ाते रहे तो ऐसा लगेगा जैसे हमारा योगदान समाज के लिए जरूरी नहीं।’