कर्नाटक के श्रीरंगपटना में टीपू सुल्तान की बनाई जामिया मस्जिद की घेराबंदी करके ‘मंदिर को मुक्त कराने’ का पहला बड़ा प्रयास नाकाम हो गया है. हिंदूवादी संगठन मानते हैं कि टीपू सुल्तान की बनाई ये मस्जिद एक मंदिर के अवशेषों पर खड़ी है. ज़िला प्रशासन ने हिंदूवादी संगठनों के आह्वान के मद्देनज़र सुरक्षा के कड़े इंतेज़ाम किए थे. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को मस्जिद के पास तक नहीं पहुंचने दिया.
जामिया मस्जिद से जुड़े मौजूदा ऐतिहासिक प्रमाणों से पता चलता है कि इस मस्जिद की कहानी वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद या मंगलुरू की मलाली मस्जिद ( जहां मंदिर जैसा ढांचा दिखाई देता है ) उनसे बहुत अलग है.
चार जून को नरेंद्र मोदी विचार मंच (एनएमवीएम), विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल के कुछ सौ कार्यकर्ताओं को मस्जिद से क़रीब दो किलोमीटर दूर बेंगलुरु-मैसुरु हाईवे पर प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई. इस दौरान मस्जिद की सुरक्षा में पांच सौ जवान तैनात रहे.
भगवा शॉल ओढ़े और जय हनुमान, जय श्री राम का नारा लगा रहे प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए मंड्या ज़िले के सहायक कमिश्नर ने शांति बनाए रखने की अपील की. बाद में भारत पुरातत्व सर्वे (एएसआई) के अधिकारी ने भी उन्हें संबोधित किया.
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए एएसआई के अधिकारी ने कहा, “आपके ज्ञापन (मंदिर के अस्तित्व की जांच करने के लिए) को हमने दिल्ली निदेशालय भेज दिया है. मैं एक कन्नड़ हूं और मैंने स्वयं उसे अंग्रेज़ी में अनुवाद कर भेजा है.”