देश में पिछले 24 मार्च से लॉकडाउन चल रहा है. लोग क़रीब 50 दिन से अपने घरों में कैद हैं. इनमें प्रोफ़ेशनल्स भी हैं और स्टूडेंट्स भी. लॉकडाउन में घर में रहते-रहते और प्राइवेट जॉब की अनिश्चितता को देखते हुए बहुत सारे लोगों ने एक बार फिर से यूपीएससी की तैयारी के बारे में प्लान करना शुरू कर दिया है. वहीं, जो पहले से कर रहे हैं, उनके पास भी इन दिनों काफ़ी सेल्फ़ स्टडी करने का मौका मिला है. ऐसे में हम आपको एक आईएएस की कहानी बता रहे हैं जो इंजीनियरिंग करने के बाद तैयारी कीं और तीन बार की असफलता के बाद सफल हो गईं.
हम बात कर रहे हैं आशिमा मित्तल की. वह राजस्थान के जयपुर की रहने वाली हैं. यूपीएसस की 2018 की परीक्षा में 12वीं रैंक हासिल करने वाली आशिमा एक समय आईआईटी मुंबई की टॉपर रह चुकी हैं. उन्हें गोल्ड मेडल मिला था.
कॉलेज से निकलने के बाद उनका प्लेसमेंट हो गया और वह जॉब करने लगीं. लेकिन, वहां उनका मन नहीं लगा. उन्हें हर बार लगने लगा कि वह इसके लिए नहीं बनी हैं. वह वहां खुश नहीं रहती थीं. इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ी दी और तैयारी में लग गईं.
आत्मविश्वास बहुत ज्यादा
आशिमा का कहना है कि उनके लिए सबसे फायदेमंद उनका आत्मविश्वास था. इसी की वजह से वह आज जहां भी हैं पहुंच पाईं. साल 2015 में पहले अटेम्पट में ही इंटरव्यू में वह पहुंच गईं. लेकिन, इस बार वह 10 नंबर से चूक गईं. हालांकि, इससे उन्हें झटका लगा.
इस दौरान उन्हें नहीं नहीं आती थी. वह परेशान रहने लगीं. इस बीच वह दिल्ली में एंथ्रोपॉलजी में मास्टर्स की पढ़ाई भी शुरू कर दीं. इसके एक प्रोजेक्ट के दौरान वह दिल्ली के स्लम इलाकों में जाती रहती थीं. इसी दौरान उन्हें एक छोटे घर में एक महिला मिली. उसका छोटा सा बच्चा हिलडुल भी नहीं पा रहा था. उसे पता भी नहीं था कि उसके बच्चे की तबीयत कैसे खराब हुई. वह उसे लेकर कभी अस्पताल तक नहीं गई थी.
काबिल बनने की चाहत
आशिमा पर इस घटना का बड़ा असर पड़ा. उन्होंने उस बच्चे को डॉक्टक तक पहुंचाया और इलाज कराईं. इसके बाद वह दोबारा तैयारी करने लगीं. मैंने तय कर लिया कि लोगों की मदद के लिए उस काबिल बनना ज़रूरी है.
दूसरी बार में उन्हें प्रीम में 140 नंबर मिले. हालांकि, एंथ्रोपॉलजी में मेहनत करने के बाद भी निबंध में वह बेहतर नहीं कर पाईं. ऐसे में इंटरव्यू के बाद आए रिजल्ट में उन्हें आईआरएस में ही सिलेक्शन मिला. इसकी ट्रेनिंग करते हुए उन्होंने तीसरी बार फिर से एग्जाम दिया और 12वीं रैंक लेकर आईं.