नई दिल्ली. भारत के डिजिटल करेंसी एक्सचेंज वजीरएक्स पर ईडी की छापेमारी और 64 करोड़ रुपये फ्रीज किए जाने के बाद निवेशकों व जानकारों के बीच फंड की सुरक्षा लेकर सवाल उठने लगे हैं. क्या इससे निवेशकों का पैसा भी फ्रीज हो जाएगा? इस पर कंपनी ने सफाई पेश की है. वजीरएक्स के सह-संस्थापक निश्चल शेट्टी ने कहा है कि निवेशकों का पैसा और टोकन अलग वॉलेट में हैं और सुरक्षित हैं.
साथ ही कंपनी ने ये भी कहा कि प्लेटफॉर्म पर ट्रांजेक्शन पहले की तरह सामान्य रूप से चल रहे हैं. हालांकि, कुछ जानकार इसे लेकर संशय में हैं. ग्लोबर क्रिप्टो एडवाजर रिफ्लेक्सिकल के संस्थापक अजीत खुराना ने कहा है कि कस्टमर्स अभी तो रकम निकाल रहे हैं लेकिन ये कब तक चल पाएगा इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के आधार पर अभी ईडी ने सभी अकाउंट फ्रीज नहीं किए हैं लेकिन अगर बहुत सारे लोग एकसाथ पैसा निकालने लगेंगे तो परेशानी खड़ी हो जाएगी.
कंपनी ने क्या कहा
वजीरएक्स ने कहा है कि पहले भी इस बारे में उपभोक्ताओं को आश्वस्त किया गया है कि वे टोकन की कस्टडी नहीं गंवाएंगे. बकौल वजीरएक्स, “हम ट्रांजेक्शन पूरा कराने वाले प्लेटफॉर्म हैं और हमारा निवेशकों की असेट पर कोई नियंत्रण नहीं है. नियमों के अनुसार, केवल निवेशकों के पास ही उनकी क्रिप्टोकरेंसी का मालिकाना हक है.” उधर दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो प्लेटफॉर्म बायनेंस के सीईओ शानपेंग झाओ ने कहा कि वह चाहें तो वजीरएक्स का वॉलेट तकनीकी स्तर पर बंद कर सकते हैं लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि इससे यूजर्स को नुकसान होगा. झाओ ने वजीरएक्स के यूजर्स को सलाह दी है कि वे अपना फंड बायनेंस में ट्रांसफर कर दें.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कुछ दिन पर वजीरएक्स के हैदराबाद स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी. इसके बाद ईडी ने क्रिप्टो एक्सचेंज पर धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का आरोप लगाया. ईडी के अनुसार, वजीरएक्स ने इंस्टेंट लोन ऐप्स के माध्यम से काफी पैसा देश के बाहर भेजा है. आरोप के अनुसार, इन ऐप्स का संबंध चीन से है. हालांकि, वजीरएक्स ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया है. वहीं, ईडी ने वजीरएक्स की 64 करोड़ रुपये की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है.
बायनेंस और वजीरएक्स के नेतृत्व में हुई बहस
वजीरएक्स की संपत्ति फ्रीज होने के बाद बायनेंस के सीईओ शानपेंग झाओ ने कहा कि उनकी कंपनी वजीरएक्स की ओनर नहीं है. जबकि 2019 में बायनेंस ने अपनी वेबसाइट के जरिए वजीरएक्स के अधिग्रहण की घोषणा की थी. झाओ के अनुसार, ये डील कभी पूरी नहीं हुई और बायनेंस भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स को केवल वॉलेट संबंधी तकनीकी सेवा उपलब्ध कराती है. इसके बाद वजीरएक्स के सह-संस्थापक निश्चल शेट्टी ने इसे काउंटर किया और कहा कि बायनेंस ने वजीरएक्स का अधिग्रहण किया था. उनका कहना है कि वजीरएक्स का संचालन करने वाली जनमई लैब्स ने बायनेंस से आईएनआ-क्रिप्टो पेयर में ऑपरेट करने का लाइसेंस प्राप्त किया है और वजीरएक्स पर बायनेंस क्रिप्टो विड्रॉल को प्रोसेस करती है.