‘हम अपने औपनिवेशिक शासक को पछाड़कर पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए, लेकिन…

नई दिल्ली. भारत ने यूनाइटेड किंगडम (यूके) को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर लिया है. भारत की अर्थव्यवस्था अब 3.5 लाख करोड़ डॉलर की हो गई है जबकि ब्रिटेन की इकोनॉमी अब 3.2 लाख करोड़ डॉलर रह गई है. इसी को लेकर देश के शीर्ष बैंकर उदय कोटक ने भारत की पीठ थपथपाई है लेकिन एक सच्चाई की ओर भी ध्यान खींचा है.

उदय कोटक ने शनिवार को ट्वीट किया, “दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत द्वारा हमारे औपनिवेशिक शासक यूके को पछाड़ना गर्व की बात है. भारत- 3.5 लाख करोड़ डॉलर बनाम यूके- 3.2 लाख करोड़ डॉलर. लेकिन जनसंख्या के लिहाज से भारत- 140 अरब बनाम यूके- 6.8 करोड़. नतीजतन, हमारी प्रति व्यक्ति जीडीपी 2,500 डॉलर है और यूके की 47,000 डॉलर. हमें बहुत लंबा सफर तय करना है. इसके लिए कमर कस लें.”

10 साल पहले कहां था भारत
भारत इस हफ्ते यूके को पछाड़कर दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. अब से दस साल पहले भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था और यूके तब भी 5वें नंबर पर ही था. भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले काफी से समय से यूके की अर्थव्यवस्था से मुकाबले में बेहद करीब चल रही थी. अप्रैल-जून में रिकॉर्ड तोड़ विस्तार के कारण देश की इकोनॉमी ने अंतत: यूके को पीछेकर छठे नंबर पर धकेल दिया. ब्लूमबर्ग ने आईएमएफ के डेटाबेस और ऐतिहासिक एक्सचेंज रेट के आधार पर डेटा तैयार किया जिसमें भारत ने यूके को पछाड़ दिया है.

अभी नहीं पहले ही आगे निकल चुका था भारत
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने एक नोट में कहा है कि भारत पिछले साल दिसंबर में ही यूके की अर्थव्यवस्था को पछाड़ चुका था. नोट में कहा गया है, “(भारत) अब 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. मजेदार बात है कि भारत ने दिसंबर 2021 में ही यूके को पछाड़कर 5वां स्थान हासिल कर लिया था. यह अभी नहीं हुआ है जैसा दावा किया जा रहा है.” एसबीआई की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2027 तक जर्मनी और 2029 तक जापान को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. गौरतलब है कि भारत अभी दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि कर रही अर्थव्यवस्था है.

दुनिया की 5 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं
भारत द्वारा यूके की जगह लेने के बाद अब दुनिया की 5 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची इस प्रकार है- अमेरिका (23 लाख करोड़ डॉलर), चीन (14.72 लाख करोड़ डॉलर), जापान (5.06 लाख करोड़ डॉलर), जर्मनी (3.85 लाख करोड़ डॉलर) और भारत (3.5 लाख करोड़ डॉलर).