हिमाचल के हर तीसरे घर से युवा सेनाओं में तैनात हैं। हमीरपुर जिले के कई परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी सेना में भर्ती होने का क्रम चल रहा है। यहां सैकड़ों ऐसे परिवार हैं, जिनके तीन से चार सदस्य सेना में हैं।
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हिमाचल के युवाओं में भारतीय सेना में जाने का जज्बा कूट-कूट कर भरा है। छोटे से इस पहाड़ी राज्य से हर साल औसतन 2800 युवा देश सेवा के लिए सेना की वर्दी पहनते हैं। हिमाचल के हर तीसरे घर से युवा सेनाओं में तैनात हैं। हमीरपुर जिले के कई परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी सेना में भर्ती होने का क्रम चल रहा है। यहां सैकड़ों ऐसे परिवार हैं, जिनके तीन से चार सदस्य सेना में हैं। कांगड़ा के शूरवीर मेजर सोमनाथ शर्मा देश के पहले परमवीर चक्र विजेता हैं। सेना में देशभर के अग्रणी राज्यों में हिमाचल की भी गिनती होती है। जिला हमीरपुर, मंडी, पालमपुर और शिमला समेत प्रदेश में चार अलग-अलग सेना भर्ती कार्यालय हैं। प्रत्येक सेना भर्ती कार्यालय के तहत हर साल औसतन 700 से 750 युवा सेना में भर्ती होते हैं। युवा सेना में सामान्य ड्यूटी, क्लर्क, ट्रेड्समैन पदों पर सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा ऑफिसर रैंक के लिए अलग से कमीशन पास कर भी प्रदेश के युवा सेना में सेवाएं दे रहे हैं
अग्निपथ भर्ती के लिए भी दिल खोल के आए आवेदन
ऊना, हमीरपुर और बिलासपुर के युवाओं के लिए अग्निपथ योजना के तहत सेना भर्ती की तैयारी जोर पकड़ चुकी है। पालमपुर, शिमला और मंडी एआरओ कार्यालयों के तहत भी अलग-अलग तिथियों पर भर्ती रैलियां आयोजित करने की कदमताल शुरू हो चुकी है। अग्निपथ योजना के तहत प्रदेश के युवा सेना में भर्ती होने के लिए दिल खोलकर आवेदन कर रहे हैं। सेना भर्ती कार्यालयों के तहत अग्निवीर बनने के लिए करीब डेढ़ लाख युवाओं का पंजीकरण होने का अनुमान है। आर्मी भर्ती कार्यालय हमीरपुर के निदेशक कर्नल संजीव कुमार त्यागी के अनुसार युवाओं में भर्ती के लिए खासा उत्साह है। अग्निपथ योजना के तहत भी युवाओं में पहले की ही तरह सेना की वर्दी पहनने का जोश है।
डोगरा रेजिमेंट में हिमाचल का 75 फीसदी हिस्सा
वर्तमान में सेना की डोगरा रेजिमेंट में ही हिमाचली युवाओं की सबसे अधिक संख्या है। डोगरा रेजिमेंट की स्थापना 1922 में ब्रिटिश शासन के दौरान ही हुई। देश की स्वतंत्रता के बाद भी यह रेजिमेंट न केवल बरकरार रही, बल्कि सामरिक सफलता के अनेक प्रतिमान गढ़े। रेजिमेंट में सूबे के 75 फीसदी सैनिक हैं। इसके अलावा 25 फीसदी जम्मू और कश्मीर, गुरदासपुर और होशियारपुर के सैनिक हैं। युद्ध के समय सैनिकों में जोश पैदा करने के लिए जय ज्वाला मां का नारा लगाया जाता है जिसे वार क्राई कहते हैं। वर्ष 1982 से पूर्व हिमाचल से आर्मी भर्ती कोटा 2.23 फीसदी था। इसे बाद में घटाकर .06 फीसदी कर दिया गया। देश में वर्तमान में सेना की 40 रेजिमेंट्स, 350 इनफेंटरी यूनिट और 22 बटालियन हैं। हर बटालियन में 8,000 जवान सेवारत हैं।
इसलिए जरूरी है अपनी रेजिमेंट
हिमाचल से सेना के बड़े अधिकारियों का कहना है कि अगर प्रदेश में अपनी आर्मी रेजिमेंट होगी तो नई भर्तियां होंगी। पूर्व सैनिकों को सेना से जुड़े रिकॉर्ड के लिए दो दिन का रेल में सफर कर फैजाबाद स्थित डोगरा रेजिमेंट भर्ती सेंटर पहुंचना पड़ता है। इससे भी छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा पूर्व सैनिक कोटे से भर्ती होने वाले आश्रितों को भी इसका लाभ मिलेगा। देश के अन्य राज्यों की तर्ज पर औद्योगिक इकाइयां न होने से सेना ही युवाओं के लिए एकमात्र रोजगार का साधन है। आर्मी रेजिमेंट के खुलने से संबंधित क्षेत्र के लोगों को होटल, ढाबे, दुकानों, टैक्सी ऑपरेटरों समेत विभिन्न प्रकार के कारोबार के अवसर प्राप्त होंगे।
प्रदेश में 52 सीएसडी कैंटीनें, डिपो नहीं
हिमाचल प्रदेश पूर्व सैनिक निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक एवं चेयरमैन रहे शौर्य चक्र विजेता कर्नल बीसी लगवाल ने कहा कि हिमाचल रेजिमेंट के मामले को रक्षा मंत्रालय के समक्ष कई बार उठाया है। यह कोई राजनीतिक नहीं, प्रदेश के हित से जुड़ा मामला है। इसलिए अन्य राज्यों की तर्ज पर हिमाचल रेजिमेंट का गठन होना चाहिए।
हिमाचल के नाम सैकड़ों बहादुरी पुरस्कार
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प्रदेश में हैं 1.63 लाख पूर्व सैनिक, 367 युद्ध विधवाएं
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युवाओं में सेना में जाने का जोश। – फोटो : संवाद
हिमाचल रेजिमेंट का सपना अभी नहीं हो पाया है साकार
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वीरता पुरस्कारों में शिखर पर हिमाचल
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ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर – फोटो : अमर उजाला