2022-09-01
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विशिष्ट पुरस्कार
विशिष्ट पुरस्कारों में सूबे के पांच जवान उत्कृष्ट युद्ध सेवा मेडल, 19 युद्ध सेवा मेडल, 18 परम विशिष्ट सेवा मेडल, 33 अति विशिष्ट सेवा मेडल, 126 विशिष्ट सेवा मेडल, एक जॉर्ज क्रॉस, एक विक्टोरिया क्रॉस, दो मिलिट्री क्रॉस, तीन भारतीय विशिष्ट सेवा मेडल और 15 मिलिट्री मेडल से सम्मानित हैं। प्रदेश के 1,694 वीर जवानों ने देश रक्षा के लिए अपनी शहादत दी है। इनमें से 771 अविवाहित और 923 विवाहित वीर जवान थे। कारगिल युद्ध में वीरभूमि के 52 जवानों ने शहादत दी थी। देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा कांगड़ा जिले से थे। इन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया था। वह जिला कांगड़ा के दाड़ गांव से थे। इसके अलावा धर्मशाला के कर्नल डीएस थापा और पालमपुर के कैप्टन विक्रम बत्रा को भी मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है। जिला बिलासपुर की झंडूता तहसील के गांव बकैण के हवलदार संजय कुमार को भी परमवीर चक्र से नवाजा है। अशोक चक्र हासिल करने वाले प्रदेश के दो जांबाजों में कांगड़ा के बनूरी गांव के कैप्टन स्वर्गीय सुधीर कुमार और खलीनी, शिमला से कर्नल जसवीर सिंह रैना शामिल हैं।
महावीर चक्र
महावीर चक्र जिला कांगड़ा के जदरांगल गांव के ब्रिगेडियर स्वर्गीय रत्न नाथ शर्मा, ज्वाली तहसील के सिद्धपुर घार से ब्रिगेडियर बासुदेव सिंह मनकोटिया, सूरजपुर इंदौरा से कर्नल स्वर्गीय कमान सिंह (मरणोपरांत), फतेहपुर के रे गांव से मेजर जनरल स्वर्गीय एएस पठानिया (मरणोपरांत), जिला ऊना के गांव पलख्वाह माजरा कांटे तहसील हरोली के लेफ्टिनेंट जनरल स्वर्गीय आरएस दयाल, मंडी जिला की कोटली तहसील के धवान गांव के ऑनरेरी सूबेदार मेजर कांशी राम, गांव पलख्वाह माजरा कांटे तहसील हरोली के लेफ्टिनेंट जनरल स्वर्गीय आरएस दयाल (मरणोपरांत), अंब तहसील के भटेड़ गांव के मेजर जनरल केएल रत्न, ऊना के कर्नल स्वर्गीय इंद्र बाल सिंह बाबा (मरणोपरांत), कुल्लू जिला की मनाली तहसील के गांव रगड़ी के लेफ्टिनेंट कर्नल स्वर्गीय खुशाल चंद, कुल्लू के ही दुवाड़ा गांव के हवलदार स्वर्गीय स्टेंजिन पंचोक को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया है।
कीर्ति चक्र
कीर्ति चक्र पाने वालों में बैजनाथ के छोबू गांव के कर्नल सुभाष चंद राणा, चंबी के राइफलमैन स्वर्गीय अनिल कुमार (मरणोपरांत), गरली के खना गांव के हवलदार स्वर्गीय राकेश पॉल (मरणोपरांत), पंचरूखी के परनोह गांव के राइफलमैन स्वर्गीय परशालम दास (मरणोपरांत), पालमपुर के ब्रिगेडियर इंद्रजीत, बैजनाथ के विंग कमांडर केके शर्मा, टियारा के कांशी राम (मरणोपरांत), नूरपुर के जटोली गांव के सिपाही स्वर्गीय संजीव सिंह (मरणोपरांत), ज्वाली के कर्नल एएस गुलेरिया, नगरोटा बगवां के त्रिंड गांव के कर्नल एमएस पठानिया, अर्की के नवगांव के राजिंद्र सिंह, सोलन के कर्नल डीएन कंवरपाल, बिलासुपर के दियोट गांव के कर्नल अनिल कुमार, मनाली के कर्नल प्रेम चंद, दुगनेहड़ा हमीरपपुर के नायब सूबेदार स्वर्गीय जगरूप सिंह (मरणोपरांत), नाहन के सिकारदी गांव के हवलदार स्वर्गीय मदन स्वरूप (मरणोपरांत), शिमला के ब्रिगेडियर स्वर्गीय रवि दत्त मेहता, बंजार के लोटला गांव के नायब सूबेदार स्वर्गीय राजेश कुमार (मरणोपरांत), शाहपुर के सेहवान गांव के हवलदार स्वर्गीय सजीवन कुमार, मरांडा के कैप्टन स्वर्गीय विशाल भंदराल, धीरा के नायक स्वर्गीय रणजीत सिंह, नगरोटा बगवां के रविंद्रनाथ और नैना देवी के उट्टप गांव के विजय कुमार को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया है।
उत्कृष्ट युद्ध सेवा मेडल
विशिष्ट अवार्ड में उत्कृष्ट युद्ध सेवा मेडल लेफ्टिनेंट जनरल एचएस लिड्डर, लेफ्टिनेंट जनरल राजिंद्र सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल एसके पटियाल, लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार और लेफ्टिनेंट जनरल पीसी कटोच को मिला है। इकलौता विक्टोरिया क्रॉस जिला हमीरपुर के परोल गांव के नायक स्वर्गीय लाला राम को मिला है। जॉर्ज क्रॉस घुमारवीं के भपराल गांव के नायक स्वर्गीय किरपा राम को मिला है। हमीरपुर के झोखर गांव के आनरेरी लेफ्टिनेंट स्वर्गीय अमर सिंह और बिलासपुर के सिगरिठी गांव के सूबेदार स्वर्गीय श्यामा राम की पत्नी द्रोपदी देवी को मिलिट्री क्रॉस को मिला है। 19 युद्ध सेवा मेडल, 18 परम विशिष्ट सेवा मेडल, 33 अति विशिष्ट सेवा मेडल, 126 विशिष्ट सेवा मेडल, तीन आईडीएसएम और 15 मिलिट्री मेडल भी प्रदेश के नाम हैं।
हिमाचल के योद्धाओं को मिले सम्मान
परमवीर चक्र 4
अशोक चक्र 2
महावीर चक्र 11
कीर्ति चक्र 23
वीर चक्र 57
शौर्य चक्र 96
सेना मेडल 558
मेंशन इन डिस्पेच 177
जिला शिमला में 4,059 पूर्व सैनिक, 19 युद्ध विधवाएं, 566 सैनिक विधवाएं हैं। जिला कुल्लू में 1,199 पूर्व सैनिक, 10 युद्ध विधवाएं, 397 सैनिक विधवाएं हैं। लाहौल एवं स्पीति में 314 पूर्व सैनिक, दो युद्ध विधवाएं, 59 सैनिक विधवाएं हैं। सिरमौर में 3471 पूर्व सैनिक, 42 युद्ध विधवाएं और 536 सैनिक विधवाएं हैं। चंबा में 3,672 पूर्व सैनिक, 31 युद्ध विधवाएं 948 सैनिक विधवाएं हैं। सोलन में 4,408 पूर्व सैनिक, 29 युद्ध विधवाएं, 640 सैनिक विधवाएं हैं। जिला किन्नौर में 486 पूर्व सैनिक, तीन युद्ध विधवाएं और 64 सैनिक विधवाएं हैं।
प्रदेश में हर वर्ष सेवानिवृत्त होकर आते हैं 2800 सैनिक
हमीरपुर। प्रदेश में तीन हजार सैनिक हर साल सेना से सेवानिवृत्त होकर आते हैं। वर्ष 2015 में प्रदेश में 1,42,730 पूर्व सैनिक, युद्ध विधवाएं और सैनिक विधवाएं थीं। वर्ष 2022 में इनकी संख्या में 20618 का इजाफा हुआ और यह आंकड़ा 1,63,348 पहुंच गया। इन सात सालों में औसतन तीन हजार सैनिक हर साल सेवानिवृत्त होकर घर लौटे हैं।
इतने ही सैनिक देश की सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त होकर घर आ चुके हैं। देशभर के विभिन्न राज्यों के नाम पर सेना में रेजिमेंट हैं। लेकिन हिमाचल आज भी रेजिमेंट की बाट जोह रहा है।पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से कुमाऊं और गढ़वाल नाम से दो आर्मी रेजिमेंट हैं। इसी तरह हरियाणा में जाट और राजपूताना नाम से सेना की दो रेजिमेंट्स हैं। लेकिन सबसे अधिक बहादुरी पुरस्कार जीतने वाले सैनिकों के राज्य में एक भी नहीं। आर्मी रेजिमेंट न मिलने से हिमाचल की अनदेखी हो रही है। सूबे के युवकों को डोगरा रेजिमेंट में भर्ती होने के लिए मीलों दूर फैजाबाद भर्ती केंद्र जाना पड़ता है। सेवानिवृत्त आर्मी जवानों को भी रिकॉर्ड के लिए फैजाबाद के चक्कर काटने पड़ते हैं। पूर्व सैनिक कॉरपोरेशन ने इस मामले को कई बार रक्षा मंत्रालय के समक्ष उठाया है लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हो पाई है। हमीरपुर के सांसद एवं केंद्र सरकार में मंत्री अनुराग ठाकुर से भी इस मामले की केंद्र सरकार में पैरवी करने की मांग लोग कर चुके हैं। साथ में भर्ती कोटा बढ़ाने और सीएसडी डिपो की मांग भी की है।
हिमाचल के वीरों की शौर्य गाथाएं इतनी ज्यादा हैं कि उनके लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देश का इतिहास गवाह है कि भारतीय सेना का हर दसवां मेडल हिमाचली रणबांकुरे के नाम होता है। जनसंख्या के आधार पर सर्वाधिक वीरता सम्मान हिमाचल के वीर सैनिकों ने प्राप्त किए हैं। देश के नागरिकों और समाज को भी देशसेवा में भागीदारी निभानी चाहिए। हम सभी का दायित्व है कि हम अपने देश व देशवासियों के विकास में सहयोग करें। जरूरी नहीं कि हम सेना में भर्ती होकर ही देश सेवा कर सकते हैं। बल्कि अपना काम इमानदारी पूर्वक करके, देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर कर, सामाजिक बुराइयों को दूर कर हर आम आदमी देश सेवा में भाग ले सकता है। युवाओं को नशे से दूर रहना चाहिए। शहीद सैनिकों के सम्मान में गांव के स्कूल ही नहीं सड़कें भी बननी चाहिए। सैनिकों के वीरता के किस्से हर घर, हर गांव और हर स्कूल में बताए जाने चाहिए, जिससे युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन मिले।-ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर(युद्ध सेवा मेडल एवं वीरता पुरस्कार विजेता), कारगिल युद्ध में 18 ग्रेनेडियर के कमान अधिकारी।
सेना का अनुशासन जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता
पराक्रम के 73 साल पूरे कर चुकी भारतीय सेना का इतिहास बहुत गौरवशाली है। आजादी से अब तक देश निर्माण में सेना महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारतीय सैनिकों के शौर्य, साहस, पराक्रम और बलिदान की गाथाएं सदियों से गाई जाती रही हैं। शौर्य व साहस के अतिरिक्त भारतीय सेना अनुशासन, सैन्य धर्म और चरित्रगत आचरण के लिए भी जानी जाती है। सेना का अनुशासन सबको अपने जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है। आपदा राहत में भी भारतीय सेना का जवाब नहीं। आपदा में फंसे लोगों में भी सैनिकों को देखकर आत्मविश्वास आ जाता है। आमजन का यह भावनात्मक विश्वास दुर्लभ होता है। यह सबको नसीब नहीं होता, लेकिन हमारे सैनिकों ने कर्तव्य पालन से अपने को इसका हकदार बनाया है।
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