Kashi Vishwanath Dham Mumukshu Bhawan Open: काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में अब बुजुर्ग अपने अंतिम दिन बिता सकते हैं। काशी विश्वनाथ धाम के मुमुक्षु भवन के दरवाजे लोगों के लिए खोल दिए गए हैं। बाबा के दरबार में मोक्ष की चाहत रखने वालों के लिए अब जगह मिलने लगी है।
वाराणसी: ‘कश्यम मरनं मुक्तिः’। चंद्रशेखर शर्मा का हमेशा इस कहावत में दृढ़ विश्वास था- ‘काशी में मृत्यु मोक्ष की ओर ले जाती है’। उदयपुर के रहने वाले पूर्व शिक्षक 73 वर्षीय चंद्रशेखर शर्मा न केवल काशी पहुंचे हैं, बल्कि भगवान शिव के आसन काशी विश्वनाथ धाम के परिसर के अंदर भी जगह पा ली है। उसके सामने एक ही लक्ष्य है- मृत्यु। वे कहते हैं, मोक्ष की प्राप्ति के लिए बाबा के दरबार में आए हैं। काशी विश्वनाथ धाम परिसर में स्थित धर्मशाला मुमुक्षु भवन लोगों के स्वागत के लिए तैयार है। हाल में ही इसके दरवाजे मोक्ष की चाहत रखने वालों के लिए खोले गए हैं। चंद्रशेखर शर्मा उन छह लोगों में शामिल हैं, जो अपने जीवन के आखिरी पल यहां बिताने आए हैं।
चंद्रशेखर शर्मा को विश्वास है कि उन्हें काशी में मोक्ष प्राप्त होगा। राजस्थान के चुरू के 89 वर्षीय पूर्व खनन इंजीनियर बद्री प्रसाद अग्रवाल कहते हैं कि मैं बाबा (भगवान शिव) से गहराई से जुड़ा हुआ हूं। मुझे अंदेशा था कि बाबा मुझे काशी से अपने साथ ले जाएंगे। मैं बाबा विश्वनाथ की प्रतीक्षा कर रहा हूं। हालांकि, बाबा की नगरी वाराणसी में पहले से ही दो धर्मशालाएं हैं- पहली गोदौलिया में और दूसरी अस्सी घाट के पास। भगवान शिव की भूमि में अपना शेष जीवन जीने के इच्छुक लोगों के लिए मुमुक्षु भवन विशेष है। यह न केवल काशी विश्वनाथ धाम परिसर में स्थित है, बल्कि काशी विश्वनाथ मंदिर और शहर के प्रमुख श्मशान घाट मणिकर्णिका घाट से भी समान दूरी पर है। यह ‘अविमुक्त क्षेत्र’ या काशी का सबसे पवित्र स्थल है।
40 लोगों के ठहरने की है व्यवस्था
मुमुक्षु धर्मशाला में 40 बेड की डोरमेट्री का निर्माण किया गया है। वहां 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को एंट्री मिल सकती है। ये लोग अपनी मृत्यु तक यहां रह सकते हैं। पूरी व्यवस्था पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर दी जाती है। आवेदन करने वालों में मृत्युशय्या पर पड़े लोगों को वरीयता दी जाती है। गंभीर रूप से बीमार लोगों को बाबा के दर पर प्राण त्यागने का अवसर दिया जाता है। इस प्रकार के लोग अगर आते हैं। मुमुझु भवन में कोई सीट खाली नहीं रहती है तो स्वस्थ वालों को अस्थायी रूप से स्थानीय वृद्धाश्रम में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
श्री काशी विश्वनाथ विशेष क्षेत्र विकास बोर्ड (SKVSADB) के मंडलायुक्त और अध्यक्ष दीपक अग्रवाल कहते हैं कि काशी विश्वनाथ धाम के भीतर एक धर्मशाला शुरू करने का विचार तब पैदा हुआ था, जब यह पता चला कि कॉरिडोर परियोजना के लिए खरीदी गई इमारतों में से एक वृद्ध संत सेवा आश्रम था। यह काशी में मरने की इच्छा रखने वाले बुजुर्ग दांडी स्वामियों के लिए विशेष रूप से संचालित धर्मशाला है।
तीन मंजिला इमारत में धर्मशाला की शुरुआत
दीपक अग्रवाल कहते हैं कि काशी विश्वनाथ धाम परिसर के भीतर 20 यूटिलिटी बिल्डिंग का निर्माण किया गया है। इसमें से एक तीन मंजिला इमारत में धर्मशाला का संचालन किया जा रहा है। यह भवन एसी से लैस है। इसका नाम वैद्यनाथ भवन रखा गया है। 13 दिसंबर 2021 को काशी विश्वनाथ धाम परियोजना के प्रारंभिक चरण के पूरा होने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका औपचारिक उद्घाटन किया था। उद्घाटन के बाद एसकेवीएसएडीबी ने निविदा प्रक्रिया शुरू की। इसमें धर्मशाला चलाने का अनुबंध उदयपुर स्थित एनजीओ तारा संस्थान को दिया गया। यह संगठन उदयपुर, प्रयागराज और अन्य शहरों में नेत्र अस्पताल और वृद्धाश्रम चलाता है।
धर्मशाला के प्रबंधक कौमुदी कांत आमेटा कहते हैं कि हमने अपने संगठन द्वारा चलाए जा रहे वृद्धाश्रमों के निवासियों से पंजीकरण करने के लिए कहा। लोगों ने सवाल किया कि क्या वे केवीडी धर्मशाला में रहने के इच्छुक हैं। उनमें से छह ने दिलचस्पी दिखाई और उन्हें उदयपुर से लाया गया है।
लखनऊ की कविता भी पहुंची हैं मुमुक्षु भवन
लखनऊ की 68 वर्षीय पूर्व निजी स्कूल की शिक्षिका कविता श्रीवास्तव कहती हैं कि मैंने अपने अंतिम दिनों को भगवान विश्वनाथ के प्रांगण में बिताने के लिए तारा संस्थान के इस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया। हम सभी यहां भगवान विश्वनाथ के चरणों में अपने अंतिम दिन बिताकर मोक्ष की कामना के साथ आए हैं। वहीं, काशी के अस्सी घाट में भी मोक्ष गृह स्थित है। इसमें 40 लोग रह सकते हैं। इसका निर्माण 1920 में कराया गया था। इसमें ‘काशीलाभ’ (काशी में मृत्यु) के लिए बर्थ चाहने वालों की लंबी प्रतीक्षा सूची है। गोदौलिया धर्मशाला, जिसे ‘काशी लाभ मुक्ति भवन’ कहा जाता है, मिशिरपोखरा इलाके में स्थित है। यह 1958 से चल रहा है। इन धर्मशालाओं में केवल उन लोगों को रखा जाता है, जो अपनी मृत्युशय्या पर हैं।
रहने वालों के लिए हर सुविधा का इंतजाम
अमिता कहती हैं कि दो डॉक्टरों, छह नर्सों, हाउसकीपिंग और किचन स्टाफ की टीम के लगातार यहां रहने वाले लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहती है। धर्मशाला में रहने वालों की उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों की ओर से निर्धारित आहार चार्ट के अनुसार भोजन उपलब्ध कराया जाता है। ये सभी सुविधाएं दान पर चलने वाली संस्था की ओर से मुफ्त प्रदान की जाती है। धर्मशाला में रहने वाले लोग धार्मिक गतिविधियां और योग करते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन भी होते हैं।
चंद्रशेखर शर्मा कहते हैं कि मैं बचपन से काशी आ रहा था। लोगों की मंदिर जाने में आने वाली समस्याओं के बारे में जानता था। जब मैं धर्मशाला में रहने आया तो मैं यह देखकर चकित रह गया कि कैसे पीएम मोदी ने इस क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है।