क्या कहता है विज्ञान: क्या हिमयुग को सहन कर सकता है इंसान?

हिम युग (Ice Age) में पूरी सतह बर्फ से ढक जाती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

हिम युग (Ice Age) में पूरी सतह बर्फ से ढक जाती है.

इस समय पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के दुष्प्रभावों का सामना कर रही है. और दुनिया के भर के पर्यावरणविद इस तरह के कदम उठाने पर जोर दे रहे हैं जिससे दुनिया के बढ़ते तापमान को रोका जा सके और गर्म होती पृथ्वी की इंसानों के लिए आवासीयता को कायम रखा जा सके. पृथ्वी के पर्यावरण के इतिहास (History of Earth) में तापमान संबंधी कई तरह के उतार चढ़ाव वाले दौर आते रहे हैं. इनमें से एक का जिक्र लोगों को भी आकर्षित करता है. वह है हिमयुग (Ice Age). एक प्रश्न कई लोगों के मन में यह रहता है कि क्या इंसान हिमयुग को सहन कर सकता है? आइए जानते है कि इस विषय पर क्या कहता है विज्ञान?

क्या होता है हिमयुग
सबसे पहले तो यह समझा जाए कि हिम युग वास्तव में होता क्या है. जब पृथ्वी का तापमान बहुत ठंडा (यानी बर्फबारी वाले तापमान या उससे ज्यादा ठंडा) हो जाए और ऐसा लाखों करोड़ों साल कर बना रहे तो वह दौर हिमयुग कहा जाएगा. इसकी वजह से पृथ्वी के अधिकांश भूभाग पर अधिकांश समय सतह पर बर्फीली चादर जमी रहती है.

अभी चल रहा है हिमयुग!
पृथ्वी पर अब तक बड़े हिम युग के पांच दौर आ चुके हैं. सबसे पहला 2 अरब साल पहले आया था जो कम से कम 30 करोड़ साल तक चला था. सबसे हाल का हिम युग 26 लाख साल पहले आया था और तकनीकी रूप से कहा जाए तो हम आज भी उसी हिम युग में जी रहे हैं. यह बहुत अजीब बात लगती है, लेकिन अगर वास्तव में पृथ्वी हिम युग से गुजर रही है तो उसका पूरा हिस्सा आज बर्फ से क्यों नहीं ढका है.

दो अलग अलग दौर
ऐसा इसलिए है क्योंकि आज का समय है वह इंटरग्लेसियल है. हिमयुग में तापमान ठंडे और गर्म स्तरों के बीच में ऊपर नीचे होता रहता है. गर्म दौर में बर्फ की चादरें और ग्लेसियर पिघलती हैं इन्हीं दौरों को इंटरग्लेसियल कहा जाता है.  वहीं जब बर्फ की चादर ठंडे दौर में फैलती है उस दौर क ग्लेसियल्स कहते हैं. फिलहल हमें हिमयुग के सबसे गर्म इंटरग्लेसियल दौर से गुजर रहे हैं जो करीब 11 हजार साल पहले शुरू हो गया था.

कितना ठंडा था ग्लेसियल काल
सामान्यतः जब भी लोग हिमयुग की बात करते हैं तो वे पिछले ग्लेसियल दौर की बात कर रहे होते हैं जो 1.15 लाख साल पहले शुरू हुआ था और 11 हजार साल पहले खत्म हुआ था जिसके बाद वर्तमान इंटरग्लेसियल काल शुरू हो गया था.लेकिन उस दौर में पृथ्वी ज्यादा ठंडी थी. तब वैश्विक  औसत तापमान 8 डिग्री सेल्सियस हुआ करता था जो आज के औसत वार्षिक तापमान से 6 डिग्री कम है.

कैसी थी तब की जलवायु
यूं तो पिछले ग्लेसियल काल और आज के औसत तापमान का अंतर बहुत कम लगता है, लेकिन वास्तव में इसकी वजह से उत्तर अमेरिका और यूरेशिया के अधिकांश हिस्सा बर्फ की चादरों से ढक गया था, ज्यादातर पृथ्वी सूखी हुई थी, समुद्र जलस्तर काफी नीचे था क्यों बहुत सारा पानी बर्फ की चादर में फंस गया था. स्टेपीज या सूखे घास के मैदानों की संख्या ज्यादा थी.

इंसान को लेकर अलग तरह की धारणाएं
हिमयुग में अलग तरह के जीवों की भरमार थी जिनमें से काफी आज विलुप्त हो चुके हैं. तब भूरे भालू, भेड़िए, आदि के अलावा विलुप्त हो चुके मैमथ, आरी वाले दातों जैसी बिल्लियां, जैसे कई तरह के जानवर मौजूद थे. लेकिन इंसान हिमयुग में थे या नहीं इसके बारे में  भी लोगों में बहुत अलग अलग तरह की धारणाएं हैं.

हिमयुग से पहले ही दुनिया में आ गए थे इंसान
सच यह है कि हिमयुग में भी इंसान मौजूद थे. हमारी होमोसेपियन्स प्रजाति तो 3 लाख साल पहले ही अस्तित्व में आ गए थे. जबकि कई लोगों को लगता है कि इंसान हिम युग की ठंड सहन ही नहीं कर सकेगा और उसके लिए अस्तित्व बचाना तक मुश्किल हो जाएगा. जबकि हम युग में इंसानों की जनसंख्या का कुछ हिस्सा ठंडे प्रदेशों में रहा करता था. उनके साथ निएंडरथॉल, होमोमिन्स और अन्य मानव संबंधी प्रजातियां भी मौजूद थीं.

लेकिन बाद में केवल इंसान ही हिमयुग के पार खुद को जीवित बचाने मे सफल रहे. इसकी एक वजह यह बताई जाती है कि इंसान ने हिमयुग से बचने के प्रयास किए ना कि उससे लड़ने के. वहीं कुछ को लगता है कि इंसानों में खुद को मौसम के अनुकूल ढालने की बेहतर क्षमता थी, बेहतर उपकरण और संचार क्षमताएं थीं. यह भी माना जाता है कि इंसान लंबे समय तक उत्तरी अमेरिका में नहीं गए जबतक कि वहां की बर्फ की चादरें पिघल नहीं गईं. लेकिन प्रमाण बताते हैं कि इंसान 23 हजार साल पहले हिम युग के ग्लेसियल काल के शीर्ष पर भी इन इलाकों में मौजूद था. साफ है कि इंसान हिमयुग में रह सकता है और अभी उसके इंटरग्लेसियल काल में तो रह ही रहा है.