क्या कहता है विज्ञान: बाघों की शरीर पर क्यों होती हैं धारियां?

बाघ (Tigers) के शरीर पर धारियां उन्हें एक विशिष्ट पहचान देने का काम भी करती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

बाघ (Tigers) के शरीर पर धारियां उन्हें एक विशिष्ट पहचान देने का काम भी करती हैं.

जीवों को आकार, रंग और रूप देने प्रकृति ने बहुत ही ज्यादा  विविधता का परिचय दिया है. सामान्यतः जीवों का खास आकर और उनका रंग संयोजन  उनके अस्तित्व की रक्षा में उनकी सहायता करता है जहां हिरण के पैर और उसका गठीला बदन उन्हें तेज भागने में मदद करते हैं तो पांडा जैसे जानवरों (Animals) के शरीर का काले और सफेद रंग का संयोजन उन्हें शिकार होने से बचाने में मदद करता है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि बाघ के शरीर पर हो काली पट्टियां (Black Strips on Tiger) होती है उसकी क्या अहमियत है. आइए जानते हैं  कि इस बारे में क्या कहता है विज्ञान(What does Science Say)?

छिप कर हमला करने की प्रवृत्ति
जब बाघ अपने शिकार पर हमला करते हैं तो  वे कम प्रकाश में करते हैं या तो सुबह सुबह या फिर शाम को सूरज ढलने के बाद करते हैं ऐसे में वे लगभग शिकार को दिखाई नहीं देते जिसका बाघ को पूरा फायदा मिलता है. यह वे घास के मैदान में हों, जंगल में हो बाघ के गहरे नारंगी रंग पर काली पट्टी या धारियों वाला छिप कर जब अपना शिकार करता है तो छलावरण उसकी मदद करता है.

कई तरह के विशेषताएं होती है जानवरों में
सामान्यतः जानवरों में उनकी पंख, रेशेदार चमड़ी, शरीर पर धब्बे या पट्टियां उन्हे अपने साथी को आकर्षित करने में मदद करती हैं या फिर उन्हें छिपने में किसी तरह के छलावरण के लिए मदद करती है. छलावरण का ज्यादातर जानवरों को बड़े जानवरों से शिकार से बचने के लिए होता है, लेकिन बाघ के मामले में यह उन्हें खुद शिकार करने में सहायक होता है.

बचने की जरूरत नहीं
खाद्य शृंखला में शीर्ष शिकारी होने पर बाघों को किसी भी जानवर से बचने के लिए छिपने की जरूरत नहीं होती हैं. वे खुद मांसाहारी जीव हैं और सफलता पूर्वक शिकार करने के लिए छिप पर शिकार करने पर निर्भर रहते हैं. इसके अलावा उन्हें अपने पसंदीदा शिकारों की सीमित दृष्टि का भी फायदा मिलता है.

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बाघ (Tigers) के शरीर पर धारियों से उन्हें छिप कर हमला करने में मदद मिलती है. (तस्वीर: shutterstock)

दूसरे जानवरों को नुकसान
हिरण या अन्य जानवर सभी रंगों को नहीं देख पाते हैं इससे उन्हें धुंधले प्रकाश में बेहतर देखने में मदद मिलती है लेकिन इससे उन्हें एक और नुकसान भी होता है. उनकी आंख के लिए बाघ का फर चमकीला नारंगी रंग का नहीं होता है बल्कि हरे रंग का होता है जो पीछे के दृश्य से मेल खाता है जिससे वे बाघ को पहचान नहीं पाते हैं.

छलावरण ही सहारा
दरअसल बाघ जंगल में शेर की तरह समूह में शिकार नहीं करते हैं ना ही उनके पास चीते की तरह फुर्ती या रफ्तार होती है. वे अकेले शिकारी जीव हैं जो छिप कर छलावरण के भरोसे शिकार करते हैं. इनकी पट्टियां या धारियां इनकी छह उप प्रजातियों में अलग अलग होती है.  सुमात्रा के बाघों की धारियां पतली और ज्याद संख्या में होता हैं. इससे उन्हें घने जंगलों में छिपने में मदद मिलती है.

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धारियों के बाल ही नहीं त्वचा भी काली
मजेदार बात यह है की इन धारियों वाले हिस्सों में केवल उनके बाल ही काले नहीं होते हैं बल्कि उनकी त्वचा के उस हिस्से का रंग भी काला होता है. और तो और हर एक बाघ में इन धारियों का पैटर्न अलग होता है इससे वन विभाग के लोग इनकी पहचान करते हैं. इससे इनकी जनगणना में भी मदद मिलती है.

लेकिन फिर भी कुछ शेर सफेद होते हैं लेकिन वे बहुत ही कम संख्या में होते हैं कुछ बंगाल बाघ में जेनेटिक म्यूटेशन कीवजह से उनमें धारियां गायब हो जाती हैं. इन्हें कई बार पकड़ कर पर्यटन के लिए सीमित औरनियंत्रित इलाकों में रखा जाता है. हां इनके लिए शिकार करना मुश्किल हो जाता है और इनकी संतान भी सेहतमंद नहीं होती हैं. इसके अलावा पिछली कुछ सदियों से बाघ की धारियां उनके लिए मुसीबत भी होती रही हैं क्योंकि उनकी खूबसूरत चमड़ी के लिए इंसान उनका शिकार कर उन्हें खत्म करते रहे हैं.