यूक्रेन से क्या अनाज चुराकर बेच रहा है रूस

यूक्रेन से अनाज की चोरी का आरोप

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रूस और यूक्रेन के बीच लगभग तीन महीनों से युद्ध जारी है. अब रूस पर ये आरोप लग रहा है कि वो यूक्रेन का अनाज विदेशों में बेच रहा है.

कब्ज़े वाले दक्षिणी यूक्रेन में रूस के नियुक्त अधिकारियों का कहना है कि रूस यूक्रेन से अनाज को विदेशों में भेज रहा है.

इससे पहले यूक्रेन के अधिकारियों ने रूस पर यूक्रेन का छह लाख टन अनाज चुराने और उसे निर्यात करने का आरोप लगाया था. हालांकि, बीबीसी इस दावे की पुष्टि नहीं करता है.

वहीं, रूस का कहना है कि वो अनाज चोरी नहीं कर रहा है.

वैश्विक स्तर पर यूक्रेन के अनाज की ज़रूरत बढ़ गई है. यहां से लाखों टन अनाज अफ़्रीका और मध्य-पूर्व में निर्यात किया जाता है. लेकिन, फ़िलहाल इसे दूसरे देशों में नहीं भेजा जा सकता क्योंकि रूसी नौसेना ने यूक्रेन के काले सागर के बंदरगाहों पर रोक लगाई हुई है.

रूस का कहना है कि यूक्रेन को अनाज निर्यात करने के लिए गलियारों के संचालन के लिए काला सागर तट से पानी निकालना चाहिए.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ अमेरिका का आरोप है कि रूस यूक्रेन से चोरी गेहूं को अफ़्रीका में सूखा प्रभावित देशों में बेच रहा है.

मई के मध्य में अमेरिका ने 14 देशों में अलर्ट भेजा था, अधिकतर अफ़्रीका में, कि यूक्रेन के पास रूस के कार्गो जहाज अनाज के साथ बंदरगाहों से निकल रहे हैं.

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रूस-यूक्रेन युद्ध

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रूस ने क्या कहा

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यूक्रेन के ज़पोरज़िया इलाक़े के रूसी प्रभारी येवगेनी बैलिटस्की ने कहा कि अनाज लेकर ट्रेन यहाँ से क्राइमिया के लिए निकली है, वहाँ से मध्य-पूर्व जाएगी.

उन्होंने रूस के सरकारी टीवी को बताया कि तुर्की के साथ मुख्य तौर पर अनुबंध किए जा रहे हैं.

क्राइमिया में रूसी कब्ज़े वाले प्राधिकरण के एक प्रवक्ता ओलेग क्रिचकोव ने कहा कि अनाज की 11 गाड़ियांज़पोरज़िया के शहर मेलितोपोल से क्राइमिया पहुँची थीं.

उन्होंने रूसी समाचार एजेंसी आरआईए से कहा कि कब्ज़े वाले खारसन क्षेत्र से अनाज भेजा जा रहा है.

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने बुधवार को तुर्की में अपने समकक्ष मेवलुत चोउसोल से अनाज की समस्या पर बात की लेकिन, कोई समाधान नहीं निकला.

लावरोफ ने इस बात से इनकार किया कि रूस यूक्रेन के गेहूं के निर्यात में रुकावट पैदा कर रहा है. उनका कहना है कि इसके लिए यूक्रेन ज़िम्मेदार है क्योंकि उसे ओडेसा और अन्य बंदरगाहों से पानी निकालने की ज़रूरत है.

लेकिन, यूक्रेन के विदेश मंत्री ने कहा कि यूक्रेन बंदरगाह से पानी नहीं निकाल सकता क्योंकि रूस उस रास्ते का इस्तेमाल दक्षिणी यूक्रेन पर हमले के लिए करेगा.

रूस खाद्यान्न संकट के लिए पश्चिमी प्रतिबंधों को भी ज़िम्मेदार ठहराता है. वहीं, पश्चिमी देशों का कहना है कि रूस खाद्य आपूर्ति को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है.

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दिसंबर में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की सीमा पर अपने सैनिकों से मिलते हुए

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यूक्रेन ने क्या कहा

पिछले हफ़्ते तुर्की में यूक्रेन के राजदूत वैसिल बोडनार ने कहा कि रूस क्राइमिया से चुराया हुआ गेहूं दूसरे देशों को भेज रहा है और तुर्की उनमें से एक देश है.

उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, ”हमने तुर्की से मदद की अपील की है और हम अनाज चुराए जाने को लेकर आपराधिक केस भी दर्ज कर रहे हैं.”

यूक्रेन के अनाज संघ के प्रमुख मेकोला गोर्बाचोव ने चेतावनी दी कि अगर यूक्रेन के बंदरगाहों से निर्यात शुरू नहीं हुआ तो जुलाई आख़िर में कटने वाली फ़सल बुरी तरह प्रभावित होगी.

उन्होंने कहा कि यूक्रेन का अनाज निर्यात अगले साल अधिकतम दो करोड़ टन तक रहेगा जबकि पिछले साल ये 4.47 करोड़ टन रहा था.

अनाज क्यों बना अंतरराष्ट्रीय मुद्दा

रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद वैश्विक स्तर पर अनाज, खाना पकाने के तेल, ईंधन और उर्वरक के दाम बढ़ गए हैं. इसकी वजह रूस पर लगे पश्चिमी देशों के प्रतिबंध भी हैं.

रूस और यूक्रेन दोनों मिलकर वैश्विक स्तर पर एक तिहाई अनाज की आपूर्ति करते हैं. इसमें 10 प्रतिशत हिस्सा यूक्रेन का है.

साल 2019 में यूक्रेन से 16 प्रतिशत मक्के और 42 प्रतिशत सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति होती थी.

यूक्रेन से निर्यात रुकने और कुछ देशों के अनाज इकट्ठा करने से खाद्यान्न की कमी का सामना कर रहे देशों को अनाज की भारी कमी झेलनी पड़ रही है.