अर्की विधान सभा क्षेत्र में राजा वीरभद्र सिंह के जाने से विधायक पद रिक्त हो चुका है। इस पद को तो भरा जा सकता है लेकिन राजा वीरभद्र सिंह की जगह यहाँ कोई नहीं ले सकता है। उनके जाने से जहाँ एक और हिमाचल वासियों को काफी सदमा लगा है वहीँ अर्की वासी अभी तक इस सदमे से उभर नहीं पाए हैं। प्रदेश सरकार ने खाली हुए विधायक पद को लेकर तैयारियां आरम्भ कर दी है। जल्द ही यहाँ उपचुनाव हो सकते हैं। जिसको लेकर भाजपा और कांग्रेस नेताओं ने चुनावी बिसात बिछानी आरम्भ कर दी है। कांग्रेस की ओर से दो प्रबल दावेदार माने जा रहे है जिनमें से एक युवा नेता संजय अवस्थी हैं। संजय अवस्थी अर्की से पहले भी अपना भाग्य अजमा चुके है। लेकिन तब वह अर्की के लिए एक नया चेहरा थे और वह अपनी जड़ें ठीक से जमा नहीं पाए थे।
पंचायतों में उतनी पकड़ नहीं थी जितनी की भाजपा नेता की थी। परन्तु उसके बावजूद भी भाजपा नेता को उनके द्वारा कड़ी टककर दी गई थी और छोटे से अंतर् से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस हार से संजय अवस्थी ने सीख ली और स्थानीय लोगों का दिल जीतने का प्रयास किया जिसमे वह लगातार कामयाब होते गए। आज वह इस अर्की विधानसभा क्षेत्र में जाना माना चेहरा है। वह अपने आप को कांग्रेस नेता के तौर पर स्थापित करने में कामयाब हो चुके हैं। अर्की वासियों के दिलों को जीतने के लिए वह उनके सुख दुःख में हमेशा खड़े नज़र आए उनकी समस्याओं का न केवल हल किया गया बल्कि उन्होंने उन समस्याओं को जड़ से समाप्त करने का प्रयास किया। यही वजह है कि उनके साथ अब एक बड़ी टीम यहाँ से खड़ी नज़र आती है। जिसमे युवा नेताओं के साथ साथ वरिष्ठ नेता भी उनके साथ हैं।
आप को बताते है कौन हैं संजय अवस्थी।
संजय अवस्थी अर्की के गाँव कंदर के स्थाई निवासी है। वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव के पद पर तैनात है। वह कांग्रेस में पिछले 36 वर्षों से सक्रिय है। 2008 में धर्मपाल ठाकुर के निधन के बाद कांग्रेस में जान फूंकने के लिए संजय अवस्थी ने यहाँ से मोर्चा संभाला। संजय अवस्थी अर्की ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। यूथ कांग्रेस में भी वह महासचिव के पद पर रह कर संगठन को मजबूत किया। अनुशासन कमेटी जिसमे केवल प्रदेश के पांच नेता सदस्य है उनमें से एक संजय अवस्थी भी हैं। अवस्थी को अन्य राज्यों में भी चुनावों के दौरान प्रभारी बनाया गया ,जिसमे बिहार छत्तीसगढ़ और हरियाणा भी शामिल है।
संजय अवस्थी राजनेता के साथ साथ क्रिकेट प्लेयर भी है। जो रणजी में न केवल खेले है बल्कि रणजी में खिलाड़ियों का चयन का जिम्मा भी उन्हें दिया गया था। वह राजीव गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू को अपना आदर्श मानते है। वह गुटबाजी में विश्वास नहीं करते है इस लिए देश हो या प्रदेश सभी दिग्गज नेताओं की गुड बुक्स में गिने जाते है। प्रदेश के साथ साथ वह कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं के साथ में भी सम्पर्क बनाए हुए है गांधी परिवार से भी उनकी काफी नज़दीकियां है । यही वजह है कि वह मानते है कि कांग्रेस उन पर फिर से दाव खेल सकती हैं। अब देखना होगा कि उनके नेता उन पर कितना विश्वास करते हैं और क्या वह अर्की उपचुनाव की चुनावी जंग में भाजपा को टक्कर देने के लिए उन्हें रणक्षेत्र में उतारते है या नहीं।