अब लोगों के शॉपिंग का तरीका, यात्रा का तरीका, काम करने का तरीका सब डिजिटल होता जा रहा है. वस्तुओं के लेनदेन के तरीके में भी लगातार बदलाव हो रहा है. इसी क्रम में एक नवंबर को RBI ने अपनी डिजिटल करेंसी ‘डिजिटल रुपया’ को लॉन्च कर दिया है. जानकारी के मुताबिक ये डिजिटल रुपया (E-Rupee) होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी किया है. फिलहाल इसे ‘पायलट प्रोजेक्ट’ का नाम दिया गया है.
पहले समझिए क्या है Digital Rupee?
Digital Rupee, CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी द्वारा जारी की गई एक नई वैध मुद्रा है. आसान भाषा में कहें तो, डिजिटल करेंसी आरबीआई द्वारा डिजिटल फॉर्म में जारी करेंसी नोट्स हैं. भारत में डिजिटल करेंसी दो तरह की होगी. शुरुआत में इसका इस्तेमाल सरकारी काम में secondary market के लेन-देन निपटाने के लिए होगा. दरअसल, अधिकांश व्यापार इसी मार्केट में किया जाता है. बता दें, Secondary Market में Equity Market और Loan Market शामिल हैं. केंद्र सरकार ने बीते एक फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी.
अब जानते हैं Pilot Project क्या है?
‘पायलट प्रोजेक्ट’ के जरिए विशिष्ट उपयोग के लिए ‘डिजिटल रुपया’ लांच किया गया है. इसके जरिए सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन को निपटाया जाएगा. RBI ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना के तहत डिजिटल रुपये का ‘पायलट टेस्टिंग’ शुरू करने का फैसला किया है. RBI एक रिपोर्ट में पहले भी कह चुकी है कि ‘डिजिटल मुद्रा’ लाने का मकसद मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का सरल बनाना है. इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान व्यवस्था के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे और वो अपनी सुविधा के अनुसार विकल्प चुन पाएगा और उसका लाभ ले सकेगा.
Central Bank Digital Currency से फायदा क्या?
1. डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी.
2. अब सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी.
3. CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन हो सकता है.
4. अब चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन की समस्या न के बराबर हो सकती है.
5. नकली करेंसी की समस्या भी खत्म हो सकती है.
6. नोट की प्रिंटिंग का खर्च भी बचेगा
7. एक डिजिटल मुद्रा की आयु physics नोटों की तुलना में ज्यादा होगी.
8. इसे जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है.
9. एक सबसे बड़ी बात बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े जोखिम को कम किया जा सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी और ‘डिजिटल रुपी’ में अंतर क्या?
क्रिप्टोकरेंसी को कोई मॉनिटर नहीं करता. यह पूरी तरह से प्राइवेट है. इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता है. लेकिन, RBI की डिजिटल पर सरकार की सहमती होगी. ‘डिजिटल रुपी’ को फिजिकल में बदला जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होता.
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) क्या है?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी सरल शब्दो में कहें तो CBDC किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इसमें नोट छापने की जगह इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी किए जाते हैं. सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है, देखना होगा इसका भविष्य क्या होगा. फिलहाल भारत में यह दो तरह की होगी.
1. Retail (CBDC-R): बताया जा रहा है कि यह सभी के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी.
2. Wholesale (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए बनाया गया है.
Pilot Project में कौन-कौन से बैंक शामिल है?
डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक का नाम हैं. ये बैंक सरकारी सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे, जिसे CBDC का नाम दिया गया है. यह भारत की पहली डिजिटल करेंसी बताई जा रही है.
डिजिटलीकरण से अर्थव्यवस्था को क्या फायदा?
जानकारों की मानें तो डिजिटलीकरण एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन साबित हो सकता है. ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होगा जिससे मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड पर कंट्रोल किया जा सकता है. डिजिटल करेंसी से सरकार की अपने नेटवर्क के अंदर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो पाएगी. सरकार को भविष्य के लिए बजट और आर्थिक योजना बनाने में सहायता मिलेगी. साथ ही पैसे पर सरकार का नियंत्रण होगा. उम्मीद है भारत में लांच किए गए डिजिटल रुपया का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा और भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे.