‘सात जन्म का वादा है, मरने कैसे देता’
राजस्थान में पाली के खैरवा गांव के रहने वाले 32 वर्षीय डॉक्टर सुरेश चौधरी ने प्रेम का एक प्रबल उदाहरण पेश किया. उन्होंने अपनी पत्नी को बचाने के लिए अपनी धन दौलत, यहां तक नौकरी भी दांव पर लगा दी. पत्नी के इलाज में लगे सवा करोड़ रुपये जमा करने के लिए डॉक्टर सुरेश ने अपनी MBBS की डिग्री तक 70 लाख में गिरवी रख दी.
कोरोना की दूसरी लहर में 13 मई को सुरेश की पत्नी अनीता की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गईं. इसके बाद तो हर मिनट बाद उनकी सेहत बिगड़ने लगी. हालत इतनी खराब हो गई थी कि वो 87 दिन तक मशीन के सहारे जिंदा रही. सुरेश के साथ से उनकी पत्नी अनिता के लंग्स में सुधार होना शुरू हुआ और वो बोलने लगीं. सुधार जारी रहा और कुछ ही दिनों में उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया.