RRR की असली कहानी क्या है, कौन थे सीताराम-कोमाराम जिन्होंने अंग्रेजों को नाको-चने चबवा दिए थे?

फ़िल्म RRR (राइज़ रौर रिवोल्ट ) आज कल कई कारणों से चर्चा में है. एस एस राजामौली के निर्देशन में बनी यह फिल्म 400 करोड़ की कमाई का आंकड़ा पार कर चुकी है. ऐसे में लोग ये जानना चाहेंगे कि फिल्म की कहानी काल्पनिक है या फिर किसी सच्ची घटना पर आधारित है. अगर आपके भी मन में ऐसा कोई सवाल है तो बता दें कि ये फिल्म 1920 के दशक की कहानी है. कथित तौर पर फिल्म में सीताराम राजू और कोमाराम भीम जैसे रियल लाइफ के दो भारतीय नायकों का जिक्र भी मिलता है, जिन्होंने निजाम और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था. 

सीताराम राजू और कोमाराम भीम कौन?

सीताराम राजू का जन्म 1897 में विशाखापटनम में हुआ था. जबकि कोमाराम भीम ने 1900 ईस्वी में आदिलाबाद के संकेपल्ली में अपनी आंखें खोली थीं. सीताराम अंग्रेजों के अत्याचारों का दंश देखते हुए बड़े हुए. वहीं कोमाराम ने अंग्रेजों की बर्बरता झेली. दोनों छोटी उम्र से ही वो अत्याचार के खिलाफ लड़ना चाहते थे. 

बड़े होने पर कोमाराम ने कुछ आदिवासी साथियों को एकत्र किया और हैदराबाद की आजादी के लिए विद्रोह छेड़ दिया. वो गोरिल्ला युद्ध में माहिर थे. 1928 से लेकर 1940 तक उन्होंने निजाम के सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया और अपने लोगों के लिए एक युद्ध में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए.

दूसरी तरफ सीताराम राजू ने अंग्रेजों का डटकर सामना किया और 1922 से 1924 तक चले राम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया. उन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था. इससे परेशान होकर अंग्रेजों ने उनके खिलाफ दमन की नीति अपनाई और उन्हें एक पेड़ से बांधकर गोलियों के भून डाला था. 

निर्देशक राजामौली के मुताबिक RRR में रियल लाइफ के इन हीरोज़ की जिंदगी पर आधारित कुछ फिक्शनल सीन डाले गए हैं. फिल्म की कहानी भले ही काल्पनिक हैं लेकिन इसके जरिए ये दिखाने की कोशिश की गई है कि दोनों ने किस तरह से आदिवासियों के वन अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और दमनकारियों को नाको-चने चबवा दिए थे.