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कुत्ता एक ऐसा जानवर है जिसका इंसान से बहुत ही गहरा रिश्ता है. पालतू जानवरों में कुत्ता सबसे ज्यादा पाला जाता है. इसके पीछे सबसे बढ़ी वजह है कुत्ता की अपनी वफादारी. वो कभी अपने मालिक की जान बचाने के लिए खुद मौत के मुंह में कूद जाता है. तो कभी अपनी समझदारी से बड़ी से बड़ी समस्याएं हल कर देता है. कुत्ते इतने समझदार कैसे होते हैं इसके लिए एक रिसर्च की गई जिसमें कई अहम खुलासे हुए हैं.
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बुडापेस्ट की ‘ईटवोस लोरंड विश्विद्यालय’ के ‘फैमिली डॉग प्रोजेक्ट’ के तहत की गई एक नई रिसर्च में कुत्ते की समझदारी से मुताल्लिक एक नई बात सामने आई है. जिसके मुताबिक कुत्ते अपने दिमाग में हर जानने वाली चीज की एक इमेज रखते हैं. जैसे ही उस चीज का नाम आता है. उनके दिमाग में छपे उस सामान की इमेज उनके सामने आ जाते हैं. यही वजह है कि वह समान को ढूंढने में काफी सक्षम होते हैं.
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एनीमल कॉग्निशन में पब्लिश स्टडी के मुख्य रिसर्चर शैनी ड्रोर ने रिसर्च में पाया कि कुत्ते खिलौने की खोज करने के लिए अपनी आंख और नाक का प्रयोग करते हैं. उन्हें पता होता है कि उस खिलौने से कैसी गंध आती है. वो कैसा दिखता है. रिसर्चर के अनुसार उसी हिसाब से उनकी इन्द्रियां भी काम करती हैं.
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रिसर्च में ट्रेनिंग के बाद कुत्तों को पहले एक खिलौना दिया गया. फिर उस खिलौने को अन्य खिलौने के साथ मिलाकर छिपा दिया गया. इसके बाद कुत्ते को उस खिलौने को खोजने के लिए उसे छोड़ा गया. ये रिसर्च ट्रायल रोशनी व अंधेरे दोनों में किये गए. कुत्ते को रोशनी से ज्यादा अंधेरे में खिलौने ढूंढने में परेशानियों का सामना करना पड़ा.
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वहीं, स्टडी के को-राइटर डॉ क्लाउडिया फुगाजा के मुताबिक कुत्ते ने जिन इन्द्रियों के इस्तेमाल से खिलौने को खोजा उससे कुत्ते क्या सोचते हैं और कैसे इस काम को अंजाम देते हैं यह समझने में काफी मदद मिली. कुत्ते किसी सामान का नाम सुनते ही उसकी इमेज अपने दिमाग में बना लेते हैं. इससे उनकी इन्द्रियां अंधेरे में भी उस सामन को खोजने में मदद करती है. यह ट्रायल वर्ड लर्नर कुत्ते पर की गई.
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बता दें कि ट्रेंड किए जाने वाले कुत्तों को वर्ड लर्नर डॉग्स भी कहते हैं. जो ट्रेनिंग के बाद काफी समझदार हो जाते हैं. वहीं घरेलू माहौल में पलने वाले कुत्तों की समझ उनकी जैसी नहीं होती.