अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाने की क्या है कहानी, टोक्यो ओलंपिक की तैयारी और भारत की मुश्किल

टोक्यो ओलंपिक का लोगो

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दुनिया भर में हर साल 23 जून का दिन इंटरनेशनल ओलंपिक डे यानी अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के तौर पर मनाया जाता है. यह एक तरह से खेल कूद की गतिविधियों को सेलिब्रेट करने का दिन है, जिसे दुनिया भर के युवा और बुर्ज़ग सेलिब्रेट करते हैं.

इंटरनेशनल ओलंपिक डे मनाने की शुरुआत 1948 से हुई है. यह 23 जून को ही हर साल क्यों मनाया जाता है, अगर ये सवाल आपके मन में उठ रहा हो तो यह जान लीजिए कि इस दिन का आधुनिक ओलंपिक खेलों से अहम रिश्ता है.

दरअसल ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए पेरिस में 16 जून से 23 जून, 1894 को इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी की पहली बैठक हुई थी. इसी बैठक के अंतिम दिन 23 जून, 1894 को ओलंपिक खेलों के आयोजन का फ़ैसला लिया गया था, जिसके तहत 1896 में एथेंस में ओलंपिक खेलों की शुरुआत हुई थी.

इस दिन खेल कूद की प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक आयोजन किए जाते रहे हैं, लेकिन कोविड संक्रमण को देखते हुए इस साल कोई आयोजन देखने को नहीं मिलेगा.

वैसे इस बार का टोक्यो ओलंपिक अब बहुत दूर नहीं रह गया है. टोक्यो ओलंपिक खेलों का आयोजन अगले महीने होना है. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने कहा है कि खेलों का आयोजन अपने तय वक़्त पर होगा.

हालांकि जापान में कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर तेज़ी से बढ़े हैं. संक्रमण की इस नई लहर के कारण देश में इमरजेंसी लगानी पड़ी है.

खेल कब और कहाँ होने हैं?

ओलंपिक खेल जापान की राजधानी टोक्यो में 23 जुलाई से 8 अगस्त के बीच होने हैं. इनके बाद पैरालंपिक खेलों का आयोजन होगा जो 24 अगस्त से 5 सितंबर के बीच होंगे.

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पिछले साल इन खेलों का आयोजन कोराना संक्रमण के वजह से लंबित किया गया था. ओलंपिक खेलों के दौरान 33 खेलों के 339 इवेंट होंगे जो 42 जगहों पर आयोजित किये जायेंगे.

वहीं पैरालंपिक खेलों में 539 इवेंट होते हैं. इसमें 22 खेल आयोजित होते हैं जिनके लिए 21 जगहें चिन्हित की गई हैं.

भारतीय ओलंपिक

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ज़्यादातर खेल ग्रेटर टोक्यो क्षेत्र में आयोजित होने हैं. जबकि फ़ुलबॉल के कुछ मैच और मैराथन दौड़ जापान के होकाइडो में आयोजित की जायेगी. इन दोनों ही जगहों पर फ़िलहाल कोरोना महामारी की वजह से इमरजेंसी लगी हुई है.

भारत का दल कितना बड़ा होगा

भारत की ओर से टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने की पात्रता अभी तक 100 एथलीट हासिल कर चुके हैं. भारतीय ओलंपिक संघ को उम्मीद है कि अभी कुछ और खिलाड़ी टोक्यो का टिकट हासिल कर लेंगे.

भारतीय एथलीटों ने अब तक 12 खेलों में हिस्सा लेने की पात्रता हासिल की है- बैडमिंटन, मुक्केबाज़ी, हॉकी, कुश्ती, नौकायन, एथलेटिक्स, तीरंदाज़ी, घुड़सवारी, तलवारबाज़ी, रोइंग, निशानेबाज़ी और टेबल टेनिस हैं. खेल मंत्रालय के नियमों के मुताबिक जितने एथलीट जाएंगे उनके एक तिहाई से ज़्यादा अधिकारी नहीं हो सकते हैं.

वैसे भारत की ओर से टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले सभी खिलाड़ियों और अधिकारियों को टोक्यो रवाना होने से पहले ही कोरोना वैक्सीन की दोनो डोज़ दी जाएगी.

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भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि जापान की सरकार ने भारतीय एथलीटों के लिए नए नियम जारी किए हैं. जापान सरकार के नए नियम के मुताबिक भारतीय एथलीटों को टोक्यो पहुंचने पर तीन दिन तक किसी दूसरी टीम के एथलीटों, प्रतिनिधियों या अन्य किसी से मिलने की अनुमति नहीं होगी.

नरेंद्र बत्रा ने कहा कि इस प्रावधान को लिए अभी स्पष्ट जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि हमारे दल के कई खिलाड़ी सीधे टोक्यो पहुंचेंगे, उनके लिए क्या प्रावधान होंगे. बत्रा ने यह भी कहा है कि तीन दिनों तक सख़्त क्वारंटीन में रहने से खिलाड़ियों की ट्रेनिंग भी प्रभावित होगी.

हालांकि उन्होंने बताया है, “हमलोगों ने टोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति को पत्र लिखकर नए प्रावधान पर एतराज़ जताया है, आयोजन समिति ने मामले को देख कर जवाब देने का भरोसा दिया है.”

जापान

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जापान में कोविड की स्थिति कैसी?

जापान में तुलनात्मक रूप से कोरोना संक्रमण के मामले कम रहे हैं. लेकिन अप्रैल में संक्रमण की एक और लहर आने की वजह से नये मामलों में उछाल देखा गया था, लेकिन राहत की बात है कि अब मामलों में कमी देखने को मिल रही है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि ओलंपिक खेलों के सुरक्षित आयोजन के लिए शहर में नए मामलों को 100 के अंदर होना चाहिए.

मई महीने के मध्य तक जापान में प्रतिदिन कोरोना संक्रमण के छह हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ रहे थे. हालांकि जून में मामले में काफ़ी कमी हुई है. जापान में अभी प्रतिदिन 1400 से ज़्यादा नए संक्रमण सामने आ रहे हैं.

20 जून को टोक्यो में 376 नए मामले सामने आए थे. पिछले एक सप्ताह का औसतन रोज़ाना 388 नए मामले हैं. यह स्थिति पिछले दस दिनों की है. यही वजह है कि ओलंपिक खेलों के आयोजन से पांच सप्ताह पहले टोक्यो से इमरर्जेंसी हटा ली गई है.

लेकिन अप्रैल महीने में मामलों के बढ़ने के बाद मई महीने में जापान के अस्पताल संक्रमितों से भर गए थे, जापान के अधिकांश शहरों में इमरजेंसी की स्थिति थी.

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पिछले साल से अब तक, जापान में कोरोना संक्रमण के कुल 7.78 लाख मामलों की पुष्टि हुई है और कोविड से जापान में 14 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.

जापान ने इसी साल फ़रवरी में जाकर अपने यहाँ टीकाकरण अभियान की शुरुआत की. टोक्यो और ओसाका में मास वैक्सीनेशन के लिए अभियान चलाया जा रहा है. अभी तक देश की महज 16 प्रतिशत आबादी दोनों वैक्सीन ले चुकी है.

अधिकारियों के मुताबिक जुलाई महीने के अंत तक 65 साल से अधिक उम्र को सभी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ दे दी जाएगी.

मई में जाकर जापान में बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान शुरू हो पाया

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खेलों में कोविड के क्या नियम रहेंगे?

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जापान ने विदेशी नागरिकों के लिए अपनी सीमाएं बंद की हुई हैं, इसलिए कोई भी अंतरराष्ट्रीय खेल प्रशंसक खेल देखने के लिए जापान की यात्रा नहीं कर सकेगा.

घरेलू दर्शकों को खेल देखने की अनुमति होगी. टोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति ने आयोजन स्थल पर दस हज़ार दर्शकों की मौजूदगी की अनुमति दी है, हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों की चेतावनी के बाद भी यह अनुमति दी है.

हालांकि किसी भी वैन्यू की कुल क्षमता से आधी यानी 50 प्रतिशत दर्शकों के प्रवेश की अनुमति होगी. दर्शकों को चिल्लाने या ज़ोर से आवाज़ लगाने की अनुमति नहीं होगी और उन्हें हमेशा मॉस्क पहने रहना होगा.

हालांकि यह चिंता जताई जा रही है कि ओलंपिक खेलों के आयोजन से कोरोना संक्रमण की स्थिति बिगड़ सकती है, यही वजह है कि जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने जापान के लोगों से अपील की है कि वे स्टेडियम आने की जगह ओलंपिक खेलों के मुक़ाबले टीवी पर देखें.

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वैसे खिलाड़ियों और उनके साथ आने वाले स्टाफ़ के सदस्यों की कोविड जाँच की जायेगी. यह जाँच जापान में प्रवेश करने और वहाँ से लौटते समय, दोनों बार होगी.

अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को क्वारंटीन में तो नहीं रहना होगा, मगर उन्हें स्थानीय आबादी से मिलने-जुलने की अनुमति नहीं होगी.

यह ज़रूरी नहीं कि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को कोरोना वैक्सीन लगवानी ही होगी. हालांकि, आईओसी के अधिकारियों का अनुमान है कि खेलों की शुरुआत होने तक 80 फ़ीसदी खिलाड़ी वैक्सीन लगवा चुके होंगे.

खेलों के दौरान सभी खिलाड़ियों की रोज़ाना कोविड जाँच की जायेगी.

जापान

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क्या जापान में लोग चाहते हैं कि खेल हों?

एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, तक़रीबन 80 फ़ीसदी जनता ओलंपिक खेलों के ख़िलाफ़ हैं.

राजधानी टोक्यो के अलावा जापान के जिन शहरों में ओलंपिक खेलों के कुछ इवेंट होने थे, उन्हें संक्रमण फैलने के डर से हटा लिया गया है.

मई की शुरुआत में, डॉक्टरों की एक यूनियन ने जापान सरकार से कहा था कि महामारी की इस स्थिति में क्या खेलों के आयोजन को रोका नहीं जा सकता था.

जापान के एक नामी उद्योगपति ने भी सरकार के ओलंपिक खेल आयोजित कराने के निर्णय की आलोचना की है.

एक ट्वीट में सॉफ़्टबैंक के सीईओ मासायोशी सोन ने कहा कि “ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ओलंपिक खेल ना हों, इन्हें टाल दिया जाये, तो सरकार की क्या मजबूरी है?” उनका यह ट्वीट जापान में काफ़ी वायरल हुआ.

इसके अलावा मई के अंतिम सप्ताह में जापान के एक बड़े अख़बार ने भी खेल रद्द करने की माँग की.

खिलाड़ियों के प्रतिनिधियों ने क्या कहा?

कई नामी विशेषज्ञ और कई संस्थाएं ओलंपिक खेलों के आयोजन पर चिंता ज़ाहिर कर चुकी हैं.

द वर्ल्ड प्लेयर्स एसोसिएशन जो 60 देशों के क़रीब 85 हज़ार खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है, उसने कहा है कि आईओसी को खेलों के दौरान खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ और कड़े क़दम उठाने चाहिए, वरना इस खेल आयोजन के नतीजे बहुत ख़राब हो सकते हैं.

जापान में खिलाड़ियों की किसी संस्था या किसी खिलाड़ी ने निजी स्तर पर इस आयोजन के ख़िलाफ़ कोई बड़ा बयान तो नहीं दिया, लेकिन जापान की टेनिस चैंपियन नाओमी ओसाका ने कहा है कि इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए.

कुछ नामी लेखकों ने भी यह दलील दी है कि “कोई खेल आयोजन कोरोना का सुपर-स्प्रेडर इवेंट नहीं बनना चाहिए, लोगों की सुरक्षा सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है, किसी भी तरह के आर्थिक मुनाफ़े से कहीं ज़्यादा.”

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अन्य देशों ने ओलंपिक में हिस्सा लेने को लेकर क्या कहा?

किसी भी बड़े देश ने ओलंपिक खेलों के आयोजन के ख़िलाफ़ कोई बयान नहीं दिया है.

अमेरिका ने जापान में कोरोना के मामले बढ़ने के बाद, अपने नागरिकों के लिए एक वॉर्निंग जारी की है. लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें विश्वास है कि उनके ख़िलाड़ी इन खेलों में हिस्सा लेंगे.

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ब्रिटेन ने भी इसी तरह अपने खिलाड़ियों को जापान भेजने की बात कही है.

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि वो भी इन खेलों के आयोजन में जापान का पूरा सहयोग करेंगे. अगले साल (2022) फ़रवरी में वैसे भी चीन में विंटर ओलंपिक खेलों का आयोजन होना है.

क्या ओलंपिक रद्द हो सकता है?

हाँ, ओलंपिक खेलों को रद्द किया जा सकता है. लेकिन बहुत ख़राब परिस्थितियों, जैसे युद्ध या गृह-युद्ध की वजह से ही ऐसा निर्णय लिया जा सकता है.

जो भी देश ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए आगे आता है, उसके और आईओसी के बीच हुए क़रार में यह स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि ओलंपिक खेलों को रद्द करने का निर्णय सिर्फ़ आईओसी ले सकता है.

आईओसी को 70 फ़ीसदी आमदनी खेलों के प्रसारण के राइट्स बेचकर होती है और क़रीब 18 प्रतिशत आमदनी स्पॉन्सरशिप यानी प्रायोजकों से. अगर टोक्यो ओलंपिक खेल नहीं होते, तो इससे आईओसी को बड़ा आर्थिक झटका लगता.

आईओसी लगातार यह कहता रहा है कि इमरजेंसी के दौरान भी खेल सावधानी के साथ बड़ी आसानी से आयोजित कराये जा सकते हैं. लेकिन संस्था के इस दावे पर बहस लगातार जारी है.

जापान में एक बड़ा तबका खेलों के आयोजन के ख़िलाफ़ है

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जानकारों के अनुसार, अगर जापान आईओसी के साथ अपने अनुबंध को तोड़ता है और आईओसी के निर्णय के ख़िलाफ़ जाता है तो उसके जोख़िम और नुकसान, दोनों ही जापान को उठाने होंगे.

टोक्यो ओलंपिक खेलों का बजट क़रीब 12.6 बिलियन डॉलर है. हालांकि, कुछ रिपोर्टों में यह कहा गया है कि ओलंपिक खेल कराने की असल क़ीमत इससे लगभग दोगुनी हो सकती है.

बताया जाता है कि ओलंपिक में शामिल सभी पक्षों का इंश्योरेंस होता है, लेकिन अगर ये खेल नहीं हुए तो नुकसान इंश्योरेंस की क़ीमत से कहीं ज़्यादा का होगा.

खेल एक बार स्थगित होने और इस अंतरराष्ट्रीय इवेंट में दर्शकों के ना होने से इस आयोजन से होने वाली संभावित आमदनी पहले ही कम हो चुकी है.