आखिर क्‍या है भारत-साउथ अफ्रीका T-20 मुकाबले का टिकट विवाद? क्‍यों ये मामला पहुंच GST विभाग तक, जानें

इंदौर. मध्‍य प्रदेश के इंदौर के होलकर स्टेडियम में 4 अक्टूबर को खेले गए भारत-साउथ अफ्रीका टी -20 मुकाबले के टिकटों का विवाद थमता दिखाई नहीं दे रहा है. कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने इस मामले की लिखित शिकायत अब जीएसटी कमिश्नर को की है, जिसमें एमपीसीए के सीईओ रोहित पंडित और प्रेसीडेंट अभिलाष खांडेकर पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है. इससे पहले एमपीसीए पर टिकट ब्लैक में बेचने, कागजों पर सुरक्षा गार्ड लगाने और डमी सीसीसीटीवी कैमरे लगाकर पेमेंट करने के आरोप भी लग चुके हैं,वहीं एमपीसीए इन आरोपो पर कोई संज्ञान नहीं लेने की बात कह रहा है.

इंदौर के होलकर स्टेडियम में हुए भारत साउथ अफ्रीका टी -20 मुकाबले के बाद मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन यानि एमपीसीए पर कई तरह के घोटाले के आरोप लगे है. कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने बाकायदा प्रेस कॉफ्रेंस कर एमपीसीए के सीईओ रोहित पंडित पर मैच के टिकटों की कालाबाजारी के आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि रोहित पंडित ने रातभर एमपीसीए के दफ्तर में बैठकर तीन लैपटॉप के जरिए फर्जी बुकिंग करवाई और 8 व्यक्तियों की फर्मों से पैसा पेटीएम इनसाइडर की वेबसाइट के माध्यम से ट्रांसफर कर 19,700 टिकट इन 8 व्यक्तियों को दे दिए. आईडीबीआई बैंक के आठ खातों का उपयोग इस ट्रांजेक्शन के लिए किया गया और एमपीसीए का खाता भी इसी बैंक में है. 21 सितंबर की रात साढ़े 9 से सुबह साढ़े 6 बजे तक तीन लैपटॉप के माध्यम से ऑनलाइन टिकटों की बुकिंग की गई और फिर सुबह दिखावे के लिए साइट खोली गई, जो चंद मिनट बाद ही बंद भी हो गई. बामुश्किल 500 से 1000 टिकट ही आम जनता को मिल पाए और पर्दे के पीछे से ऑनलाइन टिकटों की इस तरह सुनियोजित लूट की गई.

वहीं मैच के लिए जहां इंदौर की इवेंट कंपनी को अवैध तरीके से ठेका दिया गया. उसी तरह मैच की सुरक्षा में 800 गार्ड लगाने की बात की गई. यानि सिक्योरिटी गार्ड में भी घपला हुआ. मैच की सुरक्षा के लिए जब डेढ़ हजार पुलिस जवान तैनात थे तो 800 प्राइवेट गार्ड की जरूरत ही नहीं थी. इसलिए 100 से भी कम गार्ड लगाकर 700 से ज्यादा गार्डों का भुगतान करवा लिया गया. ये सभी गार्ड बालाजी सिक्योरिटी से लेना बताए गए. ठेका भी बिना टेंडर दिया गया और प्रति गार्ड 1800 रुपए का पेमेंट भी हो गया.

वहीं मैच के दौरान 260 सीसीटीवी कैमरे लगाना बताए गए और पेमेंट भी हुआ, जबकि हकीकत में 24 कैमरे ही चालू थे. यानि डमी कैमरे लगाकर सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया. मामला सामने आने के बाद कई दिनों तक एमपीसीए ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन जब एमपीसीए के सीईओ रोहित पंडित से इन आरोपों पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि जो भी आरोप लगे है, उसकी लिखित जानकारी ना एमपीसीए के पास आई है ना मेरे पास आई. मैं बाहर से लगाए गए किसी के आरोपों पर तवज्जो नहीं देता. मेरे पास कुछ लिखित में आएगा या कोई शिकायत आएगी तो उसका निराकरण किया जाएगा. यदि वे लिखित में आरोप सम‍िट करेंगे, तो हर एक पहलू का जबाव दिया जाएगा. कोई यदि बाहर बैठकर बात कर रहा है तो उन बातों का जबाव देने के लिए ना हमारे पास समय है,ना उन बातों में हमारी दिलचस्पी है.

वहीं कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव का कहना है कि एमपीसीए से जितने भी सवाल किए गए. उन्होंने आज तक कोई जबाव नहीं दिया. हमने पीएमओ, लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में भी शिकायत की है. मैच के टिकट की ब्लैक मार्केंटिग एक बहुत बड़ा मुद्दा है. इसलिए इसकी शिकायत सेंट्रल और स्टेट दोनों जीएसटी कमिश्नर से लिखित में की है, लेकिन अब इस मुद्दे को लेकर हमसे विभिन्न खेल संगठनों और एमपीसीए के 28 से ज्यादा सदस्यों ने संपर्क किया है. उन सबकी मांग है कि इस पूरे मामले को एक सिविल सोसाइटी के माध्यम से उठाया जाए. इसलिए अब एमपीसीए के करप्शन को लेकर एक बड़ा मूवमेंट कल से शुरू होने जा रहा है, जिसमें खिलाड़ी, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर और समाज के बुद्धजीवी वर्ग के लोग शामिल रहेंगे. ये एक नॉन पॉलिटिकल मूवमेंट होगा और इसे अन्ना हजारे के आंदोलन की तर्ज पर करप्शन अंगेस्ट एमपीसीए आंदोलन चलाया जाएगा, जिसमें एमपीसीए के पिछले 20 साल के भ्रष्ट्राचार को उजागर किया जाएगा.

बहरहाल, राकेश सिंह यादव का दावा है कि एमपीसीए ने 2022 में होने वाली प्रतियोगिता का ठेका ब्लू नेक इवेंट कंपनी को दिया है. इसके लिए एमपीसीए के अधिकारियों ने कंपनी के पक्ष में नियम में बदलाव किया, क्योंकि 2017 और 2019 के टेंडर में नियम के मुताबिक, कंपनी का टर्नओवर तीन करोड़ से ज्यादा का होना चाहिए था और अर्नेस्ट मनी 2 लाख रुपए थी, लेकिन ब्लू नेक कंपनी के अनुबंध की शर्त पूरी तरह से बदल दी गई. कंपनी के टर्नओवर नियम को खत्म कर दिया गया. साथ ही अर्नेस्ट मनी को भी घटाकर 75 हजार रुपये कर दिया गया है,जबकि अर्नेस्ट मनी हर साल बढ़ रही है,जिसकी शिकायत हर स्तर पर की गई है लेकिन यदि एक महीने के भीतर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे.