मुंगेर/दरभंगा. नहाय-खाय के साथ सूर्योपोसना का चार दिवसीय महापर्व छठ शुरू हो चुका है. आज सूर्यास्त के बाद खरना मनाया जाएगा. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद से छठ व्रतियों का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. यह 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होगा. इसके साथ ही छठ महापर्व का भी समापन हो जाएगा. छठ को लेकर होने वाले खरना का अनुष्ठान और उसके समय को लेकर हमने बिहार के मिथिला और बनारसी महावीर पंचांग के जानकार ज्योतिषाचार्यों से बात की.
पंडितों ने कहा कि छठ लोकपर्व है. इस कारण से इसके विधि-विधान भी लोक व्यवहार से तय होते आए हैं. हालांकि स्थान विशेष को लेकर लोक व्यवहार और आयोजन के समय में मामूली सा अंतर आता रहता है. लेकिन महापर्व की जो मूल भावना और विधि-विधान है, उसमें एक समानता ही रहती है. यही कारण है कि नहाय-खाय से लेकर खरना और दोनों दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के आयोजन में कोई परिवर्तन नहीं होता है.
मुंगेर/दरभंगा. नहाय-खाय के साथ सूर्योपोसना का चार दिवसीय महापर्व छठ शुरू हो चुका है. आज सूर्यास्त के बाद खरना मनाया जाएगा. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद से छठ व्रतियों का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. यह 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होगा. इसके साथ ही छठ महापर्व का भी समापन हो जाएगा. छठ को लेकर होने वाले खरना का अनुष्ठान और उसके समय को लेकर हमने बिहार के मिथिला और बनारसी महावीर पंचांग के जानकार ज्योतिषाचार्यों से बात की.
पंडितों ने कहा कि छठ लोकपर्व है. इस कारण से इसके विधि-विधान भी लोक व्यवहार से तय होते आए हैं. हालांकि स्थान विशेष को लेकर लोक व्यवहार और आयोजन के समय में मामूली सा अंतर आता रहता है. लेकिन महापर्व की जो मूल भावना और विधि-विधान है, उसमें एक समानता ही रहती है. यही कारण है कि नहाय-खाय से लेकर खरना और दोनों दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के आयोजन में कोई परिवर्तन नहीं होता है.