म्यांमार के साथ पाकिस्तान की सैन्य साझेदारी एक क़दम और आगे बढ़ने की दिशा में है. म्यांमार एयर फ़ोर्स को और अधिक उन्नत बनाने के लिए पाकिस्तान ने मदद का हाथ बढ़ाया है.
पाकिस्तान वायु सेना के 15 तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम जल्दी ही मांडले एयर फ़ोर्स स्टेशन का दौरा करने वाली है. ये टीम म्यांमार एयरफ़ोर्स को चीन में बने जेएफ़-17 फ़ाइटर जेट के लिए प्रशिक्षण सहायता देगी.
इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार, पाकिस्तान के विशेषज्ञों की यह टीम यंगून में मिंगलादोन एयर फ़ोर्स स्टेशन का भी दौरा करेगी. जहां वह जेएफ़-17 जेट्स से जुड़े तकनीक़ी मसलों को भी देखेगी. दरअसल, ग्राउंड मेंटेनेंस स्टाफ़ को इससे जुड़ी कुछ परेशानियां पेश आ रही हैं.
हालांकि यह पहला मौक़ा नहीं है जब पाकिस्तान की ओर से म्यांमार को सहायता दी जा रही है. इससे पहले मई महीने में, एक पाकिस्तानी कार्गो ने जेएफ़-17 के कलपुर्जे़ म्यांमार को सप्लाई किए थे.
अख़बार की ख़बर के अनुसार, भारत के पूर्वी पड़ोसी देश की सेना, पाकिस्तान के साथ सैन्य-संबंधों को बढ़ा रही है. साथ ही वह पाकिस्तान से आसमान से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइलें ख़रीदने पर विचार कर रही है. ये मिसाइलें उनके जेएफ़-17 लड़ाकू विमान के लिए हैं.
प्रतिबंध के कारण म्यांमार इन मिसाइलों को सीधे चीन से नहीं ख़रीद सकता है. साल 2015 में म्यांमार पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स और चीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री ग्रुप के संयुक्त रूप से विकसित जेएफ़-17 थंडर फ़ाइटर एयरक्राफ़्ट को आयात करने वाला पहला देश बना था. इन एयरक्राफ़्ट्स की ख़ासियत यह है कि यह हल्के हैं और मल्टी-रोल कॉम्बेट हैं.
म्यांमार के एक विशेषज्ञ ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि म्यांमार में तख़्तापलट होने के बाद पाकिस्तान ने इसे एक अवसर के तौर पर लिया और म्यांमार के साथ रक्षा साझेदारी को विकसित करने की दिशा में कई क़दम उठाए. पिछले साल सितंबर महीने में पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के एक प्रतिनिधिमंडल ने म्यांमार का दौरा किया था. इस यात्रा में दोनों देशों के बीच उन्नत प्रौद्योगिकी, विमान की मरम्मत, रख-रखाव और नौसेना के पोतों पर चर्चा हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज की ओर से जारी विवाह प्रमाण पत्र को क़ानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है. दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित ख़बर के अनुसार, शुक्रवार को अपने एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज का काम विवाह प्रमाण पत्र जारी करना नहीं है.
अख़बार लिखता है कि जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ एक नाबालिग के अपहरण और बलात्कार के मामले में अभियुक्त की ज़मानत अर्ज़ी पर सुनवाई कर रही थी.
पीठ ने वकील की उन दलीलों को ख़ारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की बालिग थी और याचिकाकर्ता के साथ आर्य समाज मंदिर में उसका विवाह हो चुका था. इस पर जजों की पीठ ने कहा कि आर्य समाज का विवाह प्रमाण पत्र देने में कोई काम नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रमाण पत्र जारी करना अधिकारियों का काम है.
जेएनयू के जंगल वाले इलाक़े में पेड़ से लटका मिला शव
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के जंगल वाले इलाक़े में एक व्यक्ति का शव मिला है. शव बुरी तरह सड़-गल चुका था. पुलिस का कहना है कि शव को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह किसी 40-45 साल के शख़्स का शव होगा.
अख़बार ने डीसीपी (दक्षिण-पश्चिमी) मनोज सी के हवाले से लिखा है कि शव के पेड़ पर लटके होने का पता शुक्रवार को चला.उन्होंने बताया कि शुक्रवार शाम करीब 6.30 बजे एक पीसीआर कॉल मिली थी, जिसमें बताया गया कि जेएनयू के पास जंगल में एक शव लटका हुआ पाया गया है.डीसीपी मनोज सी ने बताया, “कॉल मिलने पर, पुलिस की एक टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और शव को पेड़ से उतारा.”
डीसीपी ने बताया कि ज़िला क्राइम टीम और फ़ॉरेंसिक टीम को घटनास्थल की जांच के लिए बुलाया गया था.उन्होंने बताया कि अभी तक शव की शिनाख़्त नहीं हो पाई है. पुलिस जांच कर रही है.