सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे क्या संदेश दे गए, किस पार्टी को फायदा किसे नुकसान?

आइए जानते हैं कि उपचुनाव में क्या हुआ? कहां से कौन प्रत्याशी जीता? किस पार्टी को कितना फायदा मिला? इसके नतीजे क्या सियासी संदेश दे रहे हैं? 

उपचुनाव
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छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे लगभग आ चुके हैं। तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है, एक पर बढ़त बनी हुई है। आरजेडी और शिवसेना (उद्धव गुट) को एक-एक सीट पर जीत मिली। तेलंगाना में टीआरएस आगे चल रही है। दो राज्यों में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आए उपचुनाव के इन नतीजों ने राजनीतिक पार्टियों के लिए काफी बड़ा संदेश दे दिया है।

आइए जानते हैं कि उपचुनाव में क्या हुआ? कहां से कौन प्रत्याशी जीता? किस पार्टी को कितना फायदा मिला? इसके नतीजे क्या सियासी संदेश दे रहे हैं? 

पहले नतीजे जान लीजिए

गोला गोकर्णनाथ (उत्तर प्रदेश) : लखीमपुर खीरी जिले में पड़ने वाले गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अमन गिरी ने जीत हासिल की है। 26 साल के अमन को कुल 1.24 लाख वोट मिले। अमन का मुकाबला समाजवादी पार्टी के विनय तिवारी से था। विनय दूसरे नंबर पर रहे। उन्हें कुल 90512 वोट मिले। इसके अलावा चार निर्दलियों के साथ कुल सात प्रत्याशी मैदान में थे। बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने इस चुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। इसी साल फरवरी-मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट से अमन के पिता अरविंद गिरी चुनाव जीते थे। अरविंद ने सपा के विनय तिवारी को 29,294 मतों से हराया था। पिछले महीने अरविंद के निधन के बाद ये सीट खाली हो गई थी।

गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट के उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई मंत्रियों ने जनसभाएं कीं। वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इससे दूरी बनाए रखी। हालांकि सपा के ज्यादातर वरिष्ठ नेता विधानसभा क्षेत्र में रहे।

बिहार एक सीट पर भाजपा, दूसरी पर आरजेडी की जीत

मोकामा : ये सीट राजद के बाहुबली विधायक अनंत सिंह को अयोग्य ठहराए जाने के बाद खाली हुई थी। इस सीट से कुल छह उम्मीदवार मैदान में थे। मुख्य मुकाबला राजद और भाजपा के बीच था। राजद ने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को उतारा था। नीलम देवी ने भाजपा की सोनम देवी को मात दे दी। सोनम मोकामा से तीन बार चुनाव लड़ चुके नलिनी रंजन शर्मा उर्फ ललन सिंह की पत्नी हैं। उप चुनाव से पहले तक ललन जदयू में थे। नीलम देवी को कुल 79744 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहीं भाजपा की सुमन देवी सिर्फ 63003 मत हासिल कर सकीं।

गोपालगंज : ये सीट भाजपा विधायक सुभाष सिंह के निधन की वजह से खाली हुई। इस सीट पर कुल नौ उम्मीदवार मैदान में थे। मुख्य मुकाबला भाजपा और राजद के बीच हुआ। भाजपा ने इस सीट से सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी को उतारा था। सुभाष 2005 से लगातार चार बार यहां से विधायक चुने जा चुके थे। वहीं, राजद ने मोहन प्रसाद गुप्ता को टिकट दिया था।

बसपा ने यहां से लालू यादव के साले साधू यादव की पत्नी इंदिरा यादव को टिकट दिया था। इसके चलते भी मुकाबला काफी रोचक हो गया था। एआईएमआईएम के अब्दुल सलाम ने भी खूब वोट काटे। भाजपा की कुसुम देवी को 70053 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे राजद के मोहन प्रसाद गुप्ता ने 68259 मत हासिल किए।

आरजेडी का खेल बसपा और एआईएमआईएम ने बिगाड़ दिया। कुसुम देवी और मोहन प्रसाद गुप्ता के बीच जीत और हार का अंतर केवल 1794 मतों का था। जबकि एआईएमआईएम के प्रत्याशी ने 12214 वोट हासिल किए। वहीं, इंदिरा यादव को 8854 वोट मिले।

कांग्रेस के हाथ से गई हरियाणा की सीट, कुलदीप बिश्नोई का जलवा बरकरार
हरियाणा जिले के आदमपुर सीट पर कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। ये सीट कांग्रेस के हाथों से भाजपा के पाले में चली गई। ये सीट कांग्रेस विधायक रहे कुलदीप बिश्नोई की इस्तीफे से खाली हुई थी। कुलदीप ने विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। उपचुनाव में इस सीट से भाजपा ने कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई को उम्मीदवार बनाया था। कुल 22 उम्मीदवार मैदान में थे। वहीं, कांग्रेस ने जय प्रकाश को उम्मीदवार बनाया था। आम आदमी पार्टी के सतेंदर सिंह भी मुकाबले में थे। भाजपा के भव्य बिश्नोई को चुनाव में कुल 67492 वोट मिले। दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी को 51752 मतों से ही संतोष करना पड़ा।
महाराष्ट्र में बड़ी पार्टियों के पीछे हटने से उद्धव के प्रत्याशी को मिली जीत
महाराष्ट्र की अंधेरी ईस्ट सीट शिवसेना विधायक रमेश लटके के निधन की वजह खाली हुई थी। उपचुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने यहां से रमेश लटके की पत्नी ऋतुजा लटके को उम्मीदवार बनाया था। वहीं, रमेश के परिवार को सहानुभूति दिखाते हुए भाजपा, मनसे, कांग्रेस, एनसीपी जैसी बड़ी पार्टियों ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। इसके चलते मुकाबला एकतरफा हो गया। निर्दलीय और कुछ छोटे दलों से कुल सात उम्मीदवार मैदान में थे। जिन्हें ऋतुजा ने हराकर जीत हासिल कर ली। ऋतुजा को कुल 66530 वोट मिले।
ओडिशा में भी भाजपा बड़ी जीत की ओर
ओडिशा की धामनगर सीट पर भी भारतीय जनता पार्टी को जीत मिल सकती है। ये सीट भाजपा विधायक विष्णु चरण सेठी के निधन की वजह से खाली हुई थी। उपचुनाव में भाजपा ने यहां से सेठी के बेटे सूर्यबंशी सूरज को उम्मीदवार बनाया था। सूरज का मुकाबला बीजद की अबंती दास और कांग्रेस के बाबा हरेकृष्ण सेठी से हुआ। हालांकि, सूरज ने पिता की विरासत को बरकरार रखी। सूरज अभी अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार से करीब सात हजार मतों से आगे चल रहे हैं।

टीआरएसस और भाजपा के बीच हुआ कड़ा मुकाबला
तेलंगाना की मुनुगोडे विधानसभा सीट पर टीआरएस प्रत्याशी के. प्रभाकर रेड्डी आगे चल रहे हैं। टीआरएस को भाजपा ने कड़ा मुकाबला दिया। अभी इसके नतीजे आने बाकी हैं। 2018 में इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर के. राजगोपाल रेड्डी ने जीत हासिल की थी। हालांकि, पिछले महीने उन्होंने इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा ने उन्हें यहां से अपना उम्मीदवार बनाया था। इस सीट से कुल 47 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और सत्ताधारी टीआरएस के बीच हुआ। उपचुनाव में राजगोपाल रेड्डी अपनी जीत बरकरार नहीं रख पाए और टीआरएस ने उन्हें बड़ा झटका दे दिया।

उपचुनाव के नतीजे क्या सियासी संदेश दे रहे हैं? 
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे बड़ा सियासी संदेश दे रहे हैं। इससे पता चलता है कि आने वाले समय में लगभग हर राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा बनाम अन्य होगा। भाजपा ने उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक अपनी पकड़ मजबूत बनानी शुरू कर दी है। ये नतीजे इसकी बानगी है।’

प्रमोद आगे कहते हैं, ‘ इन नतीजों को भाजपा दोनों चुनावी राज्यों में खूब प्रसारित करेगी और ये दिखाने की कोशिश करेगी की आज भी जनता का विश्वास भाजपा के पक्ष में है।’ प्रमोद के अनुसार, विपक्ष को भी अपनी नई रणनीति बनानी होगी।