क्या कहता है विज्ञान: क्या होगा अगर दो टुकड़ों में टूट जाएगाी पृथ्वी?

पृथ्वी (Earth) के दो टुकड़े केवल किसी बड़े पिंड से टकराने से ही हो सकते हैं.  (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

पृथ्वी (Earth) के दो टुकड़े केवल किसी बड़े पिंड से टकराने से ही हो सकते हैं

ब्रह्माण्ड में कई तरह की खगोलीय घटनाएं देखने को मिलती हैं. खगोलविद देखते हैं कि तारे टूट रहे हैं या टूटने वाले हैं, गैलेक्सी बिखराव की अवस्था में हैं ब्लैक होल और गैलेक्सी आपस में या एक दूसरे से टकरा रहे हैं. ऐसे में एक सवाल मन में ऐसा भी पैदा होता कि क्या पृथ्वी (Earth) भी टूट सकती है. या फिर क्या होगा अगर पृथ्वी के दो टुकड़े (Splitting of Earth) हों जाएं. क्या यह घटना वास्तव में हो भी सकती है नहीं या फिर इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं और अब भी हो रही हैं. आइए जानते हैं कि इस बारे क्या कहता है विज्ञान( What Does Science Say?)

तो क्या होगा फिर
वैसे तो इस सवाल का सीधा जवाब यही है कि दुनिया खत्म ही हो जाएगी और वह भी पूरी तरह से. यहां का पूरा का पूरा जीवन नष्ट हो जाएगा. लेकिन ऐसा क्यों होगा, कैसे होगा, और किस वजह से होगा. ऐसे कई सवाल हैं जो इस प्रश्न को बहुत रोचक और जटिल बना देते हैं. बहुत से वैज्ञानिक तो यह मानते हैं कि इस तरह की घटना एक बार पृथ्वी के साथ हो भी चुकी हैं.

संकेतों की तलाश
तो सबसे पहली बात तो यही है कि ऐसी घटना हो सकती है और अब ऐसी घटनाएं बहुत ही कम देखने को मिलती भी हैं. और तो और जब हमारा सौरमंडल अपनी युवाअवस्था में था, तब इस तरह की घटनाएं बहुत ज्यादा संख्या में हुआ भी करती थीं. फिलहाल हमारे वैज्ञानिक पृथ्वी और सौरमंडल के इतिहास के बारे में कई तरीकों से जानने का प्रयास करते हैं.

पुरानी स्थिति जानने का प्रयास
हमारे खगोलविद सुदूर अंतरिक्ष में हमारी गैलेक्सी मिल्कीवे और उसके बाहर के तारों के ग्रह तंत्रों का अध्ययन कर रहे है और उन तारों पर खास नजर रखते हैं जिनकी स्थिति वैसी है जो कभी हमारे सौरमंडल की शुरु में स्थिति थी. तमाम तरह के ग्रह तंत्रों के जरिए वे सौरमंडल के विकास प्रक्रियाओं को भी समझने के प्रयास कर रहे हैं.

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पृथ्वी (Earth) के टुकड़े तो हो सकते हैं. लेकिन बिलकुल ही दो टुकड़ों में बटंना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

टकराव की संभावना
इसके अलावा खगोलविदों और वैज्ञानिकों को  सौरमंडल में भी की तरह के प्रमाण मिलते हैं जिस वे विशाल टकराव कहते हैं. ग्रहों के निर्माण की अंतिम अवस्था में स्थितियां कुछ प्रचंड सी होती हैं जहां ग्रह के आसपास उसके आकार के और उससे बड़े भी पिंड घूमते रहते हैं और एक दूसरे से टकराते रहते हैं.

बुध ग्रह के साथ टकराव
जब ग्रहों के आकार के दो पिंड टकराते हैं तो यह टकराव विनाशकारी होता है. इससे दोनों या किसी एक के टुकड़े होना निश्चित हो जाता है. वैज्ञानिकों को लगता है की बुध ग्रह के साथ कुछ ऐसा ही हुआ होगा. संकेत बताते हैं कि जब बुध ग्रह का निर्माण हुआ था तब उसका आकार अज के बुध से दो गुना था.  लेकिन निर्माण के कुछही समय बाद उससे बुध के ही आकार का एक और पिंड टकाराया जिसने बुध को एक तरह से नष्ट ही कर दिया था.

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पृथ्वी (Earth) के टुकड़े होने के लिए किसी बड़े पिंड से टकराव होना जरूरी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

बुध के बाद पृथ्वी
इस टकराव से बुध का बड़ा हिस्सा अलग चला गया और पीछे केवल धातु का क्रोड़ रह गया जिसके ऊपर केवल पत्थरों की एक पतली परत रह गई. इस टकराव के निशान आज भी बुध ग्रह पर दिखाई देते हैं. जबकि यह घटना 4 अरब साल पहले हुई थी. इसके अलावा पृथ्वी के साथ एक बड़ा टकारव हुआ था जिसमें एक बड़ा पिंड पृथ्वी से टकराया था जिसके बाद चंद्रमा का निर्माण हुआ था.

अभी तक इस कहानी में कई तरह के संकेत मिले हैं और वह मुकम्मल कहानी बन भी नहीं पाई है क्योंकि अभी नए शोध कोई ना कोई नई जानकारी जोड़ रहे हैं.लेकिन अब तक के मिले प्रमाणों के आधार पर हुआ यही था कि मंगल ग्रह के जैसा थिया नाम का विशाल पिंड पृथ्वी से टकारया था इससे थिया नाम का पिंड तो पूरी तरह से  नष्ट हुआ ही. पृथ्वी के भी बहुत सारे टुकड़े अंतरिक्ष मे फैल गए और धीरे धीरे मिल कर चंद्रमा में बदल गए. यानि अगर पृथ्वी के टुकड़े हुए तो या बुध की तरह हाल होगा या फिर चंद्रमा की तरह कोई नया पिंड बन जाएगा.