NIA-ED ने जिस PFI पर रेड मारकर कसा शिकंजा, आखिर उस ऑपरेशन का क्या था नाम?

पीएफआई पर जांच एजेंसी की कार्रवाई का नाम 'ऑपरेशन ऑक्टोपस' रखा गया था.  (न्‍यूज 18 हिन्‍दी/फाइल फोटो)

पीएफआई पर जांच एजेंसी की कार्रवाई का नाम ‘ऑपरेशन ऑक्टोपस’ रखा गया था.

नई दिल्ली: पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई हुई है. देश के 15 राज्यों में पीएफआई पर एनआईए और ईडी की संयुक्त कार्रवाई के पीछे काफी मजबूत प्लानिंग थी. न केवल राज्य पुलिस, सीएपीएफ से लेकर एनआईए और ईडी के अफसर इस अभियान में शामिल थे, बल्कि बकायदा इसके लिए ऑपरेशन का नाम तक दे दिया गया था. जी हां, सूत्रों की मानें तो पीएफआई पर हुई कार्रवाई का नाम ‘ऑपरेशन ऑक्टोपस’ रखा गया था.

समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पीएफआई पर जांच एजेंसी की कार्रवाई का नाम ‘ऑपरेशन ऑक्टोपस’ रखा गया था. 22 सितंबर को 15 राज्यों में एनआईए, ईडी और राज्य पुलिस की एक संयुक्त टीम द्वारा किए 96 स्थानों जगहों पर छापे में 106 से अधिक पीएफआई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें कई राज्यों के पीएफआई चीफ भी शामिल हैं.

सूत्रों की मानें तो पीएफआई पर कार्रवाई वाले ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए कई आईजी-एडीजी से लेकर सैकड़ों अफसर और पुलिस जवान तैनात थे. ऑपरेशन ऑक्टोपस की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम बनाए गए थे, जिसके जरिए पल-पल की हरकत पर नजर रखी जा रही थी. माना जा रहा है कि गृह मंत्रालय भी इस पर अपनी नजर बनाए हुए था और वहीं से सब कंट्रोल हो रहा था. अधिकारियों ने 15 राज्यों में 96 स्थानों पर की गई छापेमारी को अब तक की सबसे बड़ी जांच प्रक्रिया करार दिया.

किस वजह से हुई कार्रवाई
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि यह संगठन कथित लव जिहाद की घटनाओं, जबरन धर्म परिवर्तन, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों में अपनी भूमिका, मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, धन शोधन एवं प्रतिबंधित समूहों से संपर्क को लेकर विभिन्न एजेंसियों की निगाह में था. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने कहा कि कई हिंसक कृत्यों में कथित संलिप्तता के लिए पीएफआई, उसके नेताओं और सदस्यों के खिलाफ पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में आपराधिक मामले दर्ज किए गए.

क्या-क्या हैं आरोप
अधिकारियों ने कहा कि पीएफआई द्वारा कथित रूप से समय-समय पर किए गए आपराधिक और हिंसक कृत्यों में केरल में एक कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की निर्मम हत्याएं, विस्फोटकों का संग्रह, प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाना, इस्लामिक स्टेट को समर्थन और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से नागरिकों के मन में आतंकवाद का एक प्रभाव पड़ा है. अधिकारियों के मुताबिक, एनआईए ने पीएफआई के खिलाफ पहले की गई जांच के तहत 45 लोगों को दोषी ठहराया है। इन मामलों के संबंध में कुल 355 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया है.

कहां से कितने पीएफआई के सदस्य अरेस्ट हुए
रेड में देश में आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए पीएफआई के 106 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. सबसे अधिक गिरफ्तारी केरल में हुआ, जहां 22 लोगों को पकड़ा गया। इसके बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक (20-20), तमिलनाडु में 10, असम में नौ, उत्तर प्रदेश में आठ, आंध्र प्रदेश में पांच, मध्य प्रदेश में चार, पुडुचेरी और दिल्ली में तीन-तीन और राजस्थान में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया.

कब हुई थी पीएफआई की स्थापना
पीएफआई की स्थापना 2006 में हुई थी और अब इसकी केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर सहित दो दर्जन से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कईं शाखाएं हैं. गौरतलब है कि कई सुरक्षा एजेंसियों ने पीएफआई की जड़ें नेशनल डेवलेपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) में होने की बात कही है, जो एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है, जिसे बाबरी मस्जिद के विध्वंस के परिणामस्वरूप एक साल बाद 1993 में बनाया गया था.